SBI Report: भारत के डेयरी क्षेत्र को अमेरिका से आयात के लिए खोलने पर देश के करोड़ों डेयरी किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस कदम से भारतीय किसानों को सालाना ₹1.03 लाख करोड़ तक का नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डेयरी क्षेत्र को सरकार की ओर से भारी सब्सिडी मिलती है, जिससे वह दूध को काफी सस्ते दाम पर वैश्विक बाजार में बेचने में सक्षम है. यदि भारत इस क्षेत्र को खोलेगा, तो घरेलू दूध की कीमतों में कम से कम 15% की गिरावट आ सकती है.
डेयरी क्षेत्र का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरावट का सीधा प्रभाव किसानों की आय पर पड़ेगा और उनकी आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर होगा. भारत का डेयरी क्षेत्र न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है, बल्कि यह देश की कुल सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 2.5 से 3 प्रतिशत तक का योगदान देता है, जिसका मूल्य ₹7.5 से ₹9 लाख करोड़ के बीच है. यह क्षेत्र लगभग 8 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, यानी हर ₹1 लाख GVA पर एक व्यक्ति को रोजगार मिलता है.
दूध की कीमतों में गिरावट से क्या होगा असर?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डेयरी क्षेत्र में कीमतों में गिरावट केवल किसानों की आय को ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की उत्पादन क्षमता और आर्थिक भूमिका को भी प्रभावित करेगी. लागतों जैसे पशु चारा, ईंधन, परिवहन और अवैतनिक पारिवारिक श्रम को ध्यान में रखते हुए, देश के सकल मूल्य वर्धन में लगभग ₹0.51 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है.
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि भारत का डेयरी बाजार अमेरिका के लिए खोला गया, तो देश में दूध का आयात सालाना लगभग 25 मिलियन टन तक बढ़ सकता है. यह आयात स्थानीय बाजार की संतुलन व्यवस्था को बिगाड़ सकता है, जिससे भारतीय उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता में कमी आएगी.
हालांकि, एसबीआई ने यह भी स्वीकार किया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक सहयोग को बढ़ाने से कुछ क्षेत्रों में लाभ भी हो सकते हैं. वर्तमान में भारत अमेरिका को जैविक खाद्य पदार्थ और मसालों जैसे उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों का केवल $1 बिलियन का निर्यात करता है. यह आंकड़ा, अमेरिकी मांग को देखते हुए, $3 बिलियन तक बढ़ाया जा सकता है.
इसके अलावा, यदि अमेरिका की ओर से स्वच्छता और पौध-स्वास्थ्य (Sanitary and Phytosanitary – SPS) संबंधी प्रतिबंधों को हटाया जाता है, तो भारत आम, लीची, केला, भिंडी जैसी उपज का निर्यात बढ़ा सकता है. साथ ही, आयुष उत्पादों और जेनेरिक दवाओं के निर्यात में भी $1 से $2 बिलियन की बढ़ोतरी संभव है.
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