Mutual Fund: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) म्यूचुअल फंड के पास एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के जरिए रखे गए सोना और चांदी के मूल्यांकन पद्धति में बदलाव पर विचार कर रहा है. इसका मकसद मौजूदा प्रणाली को स्थानीय बाजार मूल्यों के साथ अधिक तालमेल में लाना है.
एलबीएमए आधारित प्रणाली में क्या है समस्या
भारत में गोल्ड ईटीएफ योजनाओं के तहत रखे गए सोने का मूल्यांकन लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) के एएम फिक्सिंग प्राइस के आधार पर डॉलर प्रति ट्रॉय औंस में होता है. यह मूल्य पांच वैश्विक बैंकों की सहमति से प्रतिदिन सुबह तय किया जाता है. इसी तरह, सिल्वर ईटीएफ का मूल्यांकन भी एलबीएमए की तय एएम प्राइसिंग और 999.0 शुद्धता के आधार पर किया जाता है. लेकिन इस व्यवस्था में कई जटिलताएं हैं. मसलन, विदेशी मुद्रा दर पर निर्भरता, डॉलर से रुपये में रूपांतरण, कस्टम ड्यूटी और प्रीमियम या डिस्काउंट समायोजन और घरेलू मांग-आपूर्ति से असंबद्ध मूल्य निर्धारण शामिल हैं.
सेबी का प्रस्ताव
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में प्रस्ताव दिया है कि अब संपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) एलबीएमए मूल्य के बजाय घरेलू जिंस बाजारों द्वारा प्रकाशित हाजिर कीमतों का सीधा उपयोग करें. इस प्रस्ताव से मूल्यांकन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी, घरेलू मांग और आपूर्ति की स्थिति बेहतर तरीके से झलकेगी, विदेशी मूल्य निर्धारण पर निर्भरता कम होगी और निवेशकों के लिए स्थानीय बाजार यथार्थ के अनुसार वैल्यूएशन संभव होगा.
मूल्य निर्धारण में असमानता खत्म
सोने और चांदी की वैल्यूएशन पद्धति में भिन्नता है. गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ एलबीएमए आधारित होगा. इसके अलावा, कमोडिटी डेरिवेटिव्स (ईटीसीडी) घरेलू वायदा बाजार के समापन मूल्य पर आधारित होगा. इसी असमानता को मानकीकरण के जरिये दूर करने की जरूरत महसूस की गई है.
निवेशकों के लिए क्या होगा असर?
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो म्यूचुअल फंड निवेशकों को सोने और चांदी के अधिक यथार्थ मूल्यांकन का लाभ मिलेगा. घरेलू कीमतों से मेल खाते एनएवी मिल सकते हैं और
मूल्य निर्धारण में जटिल विदेशी गणनाओं से राहत मिलेगी. यह बदलाव खासकर उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनका पैसा गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में लगा है और जो लंबी अवधि की स्थिरता चाहते हैं.
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सेबी ने मांगे सुझाव
सेबी ने इस विषय पर सभी हितधारकों से 6 अगस्त 2025 तक सुझाव देने को कहा है. निवेशक, एएमसी, विशेषज्ञ और संस्थाएं इस पर राय भेज सकते हैं. सेबी का यह प्रस्ताव सोने और चांदी के निवेशकों के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम साबित हो सकता है. इससे न केवल मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि स्थानीय आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप निवेश मूल्यांकन भी संभव होगा. अगर यह लागू होता है, तो यह भारत में ईटीएफ निवेश के भरोसे को और मजबूत कर सकता है.
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