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कभी आटा चक्की चलाते थे सोनम रघुवंशी के पिता, आज करोड़ों की कमाई! रेवड़ी की तरह बांटे पैसे

Sonam Raghuwanshi: सोनम रघुवंशी के पिता कभी आटा चक्की चलाते थे, आज करोड़ों की संपत्ति और हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल के कारण सुर्खियों में हैं. सोनम इस समय हत्या और हवाला कनेक्शन के आरोपों में पुलिस हिरासत में है. प्लाईवुड बिजनेस की आड़ में फर्जी बैंक खातों और संदिग्ध लेन-देन का खुलासा हुआ है. क्या यह तरक्की मेहनत की थी या काले धन की चाल?

Sonam Raghuwanshi: शादी के बाद पत्नी के साथ हनीमून मनाने शिलांग गए राजा रघुवंशी की हत्या के बाद सोनम रघुवंशी का परिवार और उसका बिजनेस शक के घेरे में है. सवाल इस बात पर भी उठाए जा रहे हैं कि सोनम रघुवंशी के पिता देवी सिंह रघुवंशी कभी आटा चक्की चलाते थे, लेकिन आज उनकी कमाई करोड़ों में होती है. बताया यह भी जा रहा है कि कमाई बढ़ने पर उन्होंने अपने परिवार और सगे-संबंधियों के बीच रेवड़ियों की तरह पैसे बांटे हैं.

उत्तर प्रदेश से इंदौर में बसे सोनम रघुवंशी के पिता

हिंदी की वेबसाइट टीवी9 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोनम रघुवंशी के पिता देवी सिंह रघुवंशी उत्तर प्रदेश से इंदौर में बसे थे. रोजगार के लिए उन्होंने आटा चक्की से काम की शुरुआत की. रिपोर्ट में कहा गया है कि देवी सिंह रघुवंशी ने जिस आटा चक्की से काम शुरू किया था, वही परिवार आज करोड़ों की संपत्ति और हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल का मालिक बन गया है. उनकी कमाई का यह रफ्तार अब सवालों के घेरे में है, क्योंकि उनकी बेटी सोनम रघुवंशी फिलहाल शिलॉन्ग पुलिस की हिरासत में है और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और संदिग्ध लेन-देन जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं.

बालाजी प्लाईवुड से खड़ा किया बिजनेस का साम्राज्य

आटा चक्की के बाद देवी सिंह रघुवंशी ने प्लाईवुड बिजनेस में कदम रखा. शुरुआत में नुकसान झेलने के बाद उन्होंने करीब 35 लाख रुपये निवेश कर कंपनी को फिर से खड़ा किया. यही कंपनी आज “बालाजी प्लाईवुड” के नाम से इंदौर की मंगल सिटी में प्रसिद्ध है, जिसमें उनकी बेटी सोनम और बेटा गोविंद प्रमुख भूमिका निभाते हैं. सूत्रों के अनुसार, यह परिवार मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में प्लाईवुड का बड़ा कारोबार फैला चुका है.

रघुवंशी परिवार के पास महंगी गाड़ियां और आलीशान मकान

रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी हाल ही में रघुवंशी परिवार ने 4000 स्क्वायर फीट का बड़ा गोदाम किराए पर लिया है. पहले सामान्य जीवन जीने वाला यह परिवार अब महंगी गाड़ियों, आलीशान मकानों और दिखावेभरी लाइफस्टाइल के लिए जाना जा रहा है. लेकिन, अचानक मिली इस दौलत ने कानून और प्रशासन को चौंका दिया है.

फर्जी खातों से फंड ट्रांसफर का आरोप

पुलिस की जांच में सामने आया है कि सोनम रघुवंशी ने अपने अनपढ़ और ग्रामीण रिश्तेदारों के नाम पर कई बैंक खाते खुलवाए. रिपोर्ट में कहा गया है कि सोनम रघुवंशी के मौसेरे भाई जितेंद्र रघुवंशी के नाम पर चार बैंक खाते खोले गए, जिनमें लाखों के लेन-देन हुए. इसके अलावा, सोनम रघुवंशी ने अपने कथित प्रेमी राज कुशवाह की मां के नाम पर भी खाता खुलवाया था.

हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका

मेघालय पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इन फर्जी खातों का इस्तेमाल हवाला ट्रांजेक्शनों और संदिग्ध लेन-देन के लिए किया जा सकता है. जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इन खातों में जमा या स्थानांतरित की गई राशि का स्रोत क्या था और क्या इसके पीछे संगठित हवाला नेटवर्क का हाथ है.

हत्या से लेकर हवाला तक

सोनम रघुवंशी इस समय राजा रघुवंशी हत्याकांड की मुख्य संदिग्ध है. पीड़ित परिवार का आरोप है कि यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा आर्थिक घोटाला और काला कारोबार छिपा है. राजा के भाई सचिन रघुवंशी ने मीडिया से कहा, “यह एक सिस्टमेटिक फ्रॉड है. इसमें बड़े पैमाने पर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है.”

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जांच के घेरे में सबकुछ

पुलिस और वित्तीय एजेंसियों की टीमें अब सोनम रघुवंशी के पूरे परिवार और उनके आर्थिक नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही हैं. सवाल ये उठ रहे हैं कि आटा चक्की से काम शुरू करके कुछ ही वर्षों में बिजनेस का इतना बड़ा साम्राज्य कैसे खड़ा हुआ? अनपढ़ रिश्तेदारों के नाम पर बैंक खाते खोलने की क्यों जरूरत पड़ी? क्या वास्तव में प्लाईवुड बिजनेस हवाला लेन-देन के लिए एक मुखौटा था?

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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