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भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को तैयार स्टार्टअप

Startups: राघवन ने कहा कि हम दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र हैं. हमारे लिए कुछ अनुकूल परिस्थितियां जारी हैं. उन्होंने कहा कि पिछले सात-आठ साल में हमने संस्थापकों को कई स्टार्टअप शुरू करते हुए देखा है.

Startups: भारत में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से तैयार है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेजन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) के वरिष्ठ अधिकारी कुमार राघवन ने कहा है कि भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र परिपक्व है और इसमें कई अनुकूल परिस्थितियां भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

राघवन ने जीवंत भारतीय स्टार्टअप परिदृश्य इसकी ताकत तथा नवाचार क्षमता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के कगार पर हैं. इसमें योगदान देंने वाले कारक श्रम वृद्धि, बुनियादी ढांचे की वृद्धि और दक्षता में सुधार हैं, जहां रचनात्मक कृत्रिम मेधा (जेनएआई) जैसी प्रौद्योगिकियां अपनी भूमिका निभाएंगी.

भारत के स्टार्टअप परिपक्व

कुमार राघवन ने आगे कहा कि इनके अलावा एक बड़े डेवलपर पारिस्थितिकी तंत्र की मौजूदगी देश में उत्पाद बनाने और दुनिया भर में सेवा देने की क्षमता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी नियामक अनुकूल परिस्थितियां भी हैं. राघवन ने भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की परिपक्वता की सराहना की. उन्होंने कहा कि इसमें ऐसे अनुभवी संस्थापकों के महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखा गया, जिन्होंने कई उद्यम शुरू किए हैं.

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भारत में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र

राघवन ने कहा कि हम दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र हैं. हमारे लिए कुछ अनुकूल परिस्थितियां जारी हैं. उन्होंने कहा कि पिछले सात-आठ साल में हमने संस्थापकों को कई स्टार्टअप शुरू करते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि अनुभव की इस संपदा ने न केवल स्टार्टअप को गति दी है, बल्कि उनकी सफलता की संभावना भी बढ़ा दी है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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