State Bank of India: 1 जुलाई का दिन भारतीय बैंकिंग इतिहास के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन साल 1955 में देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI) की स्थापना हुई थी. लेकिन यह स्थापना महज़ एक नई शुरुआत नहीं थी, बल्कि उस बैंकिंग यात्रा की परिणति थी जिसकी शुरुआत करीब 200 साल पहले, ब्रिटिश शासनकाल में हो चुकी थी. SBI का इतिहास भारत के आर्थिक विकास, बदलावों और आज़ादी के बाद की आर्थिक नीतियों से गहराई से जुड़ा हुआ है.
बैंक ऑफ कलकत्ता से शुरुआत (1806)
SBI की कहानी शुरू होती है साल 1806 में, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 2 जून को बैंक ऑफ कलकत्ता (Bank of Calcutta) की स्थापना की. यह बैंक भारत में अंग्रेज़ों की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए खोला गया था. तीन साल बाद 2 जनवरी 1809 को इसका नाम बदलकर बैंक ऑफ बंगाल (Bank of Bengal) कर दिया गया. यह भारत का पहला संयुक्त स्टॉक बैंक (Joint Stock Bank) था, यानी इसमें सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भी पूंजी लगाई गई थी.
- तीन प्रेसीडेंसी बैंक: बॉम्बे और मद्रास की एंट्री
- भारत के अलग-अलग हिस्सों में बैंकिंग सेवाओं की आवश्यकता बढ़ने लगी खासकर व्यापारिक केंद्रों में.
- 1840 में बैंक ऑफ बॉम्बे (Bank of Bombay) की स्थापना हुई.
- 1843 में बैंक ऑफ मद्रास (Bank of Madras) अस्तित्व में आया.
इन तीनों बैंकों बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे, और बैंक ऑफ मद्रास को मिलाकर “प्रेसीडेंसी बैंक्स” कहा गया. ये बैंक ब्रिटिश भारत की तीन बड़ी व्यापारिक प्रेसीडेंसी में काम करते थे और उनका उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना था.
इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना (1921)
भारत में बैंकिंग संरचना को अधिक संगठित और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से साल 1921 में इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों का विलय कर दिया गया. इसके बाद बना
इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India). यह उस समय भारत का सबसे बड़ा व प्रभावशाली बैंक बन गया था. हालांकि यह बैंक निजी स्वामित्व में था, लेकिन इसमें सरकारी नियंत्रण भी शामिल था. आज़ादी से पहले यह बैंक भारत में करेंसी चेस्ट, सरकारी खाता संचालन और सीमित बैंकिंग सेवाओं का कार्य करता था.
SBI की स्थापना (1955)
1947 में भारत की आज़ादी के बाद देश को एक सशक्त, राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई.
1955 में भारत सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मदद से इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण किया.
30 अप्रैल 1955 को इसका नाम बदलकर रखा गया भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI)
1 जुलाई 1955 को SBI की औपचारिक स्थापना हुई और यहीं से भारत की आर्थिक आज़ादी की असली शुरुआत मानी जाती है. यह पहला ऐसा बैंक था जिसे आम जनता के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था.
SBI का विस्तार
SBI केवल एक बैंक नहीं रहा, बल्कि उसने देश भर के क्षेत्रीय बैंकों को अपने साथ जोड़कर एक विशाल नेटवर्क तैयार किया.
अक्टूबर 1955 में, पहला सहयोगी बैंक बना स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (State Bank of Hyderabad)
इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे कई राज्य स्तरीय बैंकों को SBI के अधीन लाया गया. इससे SBI की पहुंच ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक हो गई.
आज भारतीय स्टेट बैंक न केवल भारत का सबसे बड़ा बैंक है, बल्कि यह विश्व के सबसे बड़े बैंकों में से एक बन चुका है. वर्तमान में SBI के पास 22,500 से अधिक शाखाएं, 62,000 से ज्यादा एटीएम, 50 करोड़ से अधिक ग्राहक, 32 से अधिक देशों में शाखाएं और प्रतिनिधि कार्यालय है.
SBI ने समय के साथ खुद को डिजिटल युग के अनुरूप ढाला है. YONO ऐप, ऑनलाइन बैंकिंग, QR कोड पेमेंट, और अन्य आधुनिक सुविधाएं इसके उदाहरण हैं. यह बैंक अब सिर्फ बचत खाता और लोन देने तक सीमित नहीं, बल्कि इंश्योरेंस, निवेश, कार्ड सर्विसेज और अंतरराष्ट्रीय फाइनेंसिंग तक फैला हुआ है.
SBI का महत्व सिर्फ बैंक नहीं, एक भरोसा
SBI भारत के लाखों नागरिकों के लिए सिर्फ एक वित्तीय संस्थान नहीं, बल्कि एक भरोसे का प्रतीक है. गांव का किसान हो या शहर का उद्यमी, हर किसी की पहली पसंद SBI होती है. इसका एक मुख्य कारण है इसकी सरलता, विश्वसनीयता और व्यापक पहुंच.
जहां निजी बैंक केवल मुनाफे के पीछे भागते हैं, वहीं SBI ने सामाजिक दायित्व और सेवा को अपनी पहचान बनाया है. शिक्षा ऋण, महिला सशक्तिकरण, किसान क्रेडिट कार्ड, जनधन योजना जैसे क्षेत्रों में इसकी भूमिका अतुलनीय रही है.
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