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Success Story: आसमां में सुराख कर रहे झारखंड के ये तीन नौजवान, बैंक मित्र बनकर लहरा रहे परचम

Success Story: झारखंड के तीन ग्रामीण सोनी कुमारी, चंदन विश्वकर्मा और सकलदेव कुशवाहा ने एफआईए ग्लोबल के साथ मिलकर बैंक मित्र बनकर वित्तीय समावेशन की नई इबारत लिखी है. इन्होंने सैकड़ों लोगों को बैंकिंग से जोड़ा, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया. इनकी मेहनत से पलामू और गिरिडीह के गांवों में आर्थिक जागरूकता और आत्मनिर्भरता की लहर दौड़ गई है. यह सफलता ग्रामीण भारत में बैंकिंग क्रांति का सशक्त उदाहरण बन चुकी है.

Success Story: ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.’ देश के प्रसिद्ध साहित्यकार दुष्यंत कुमार की कविता की इस पंक्ति को झारखंड के तीन ग्रामीण चरितार्थ कर रहे हैं. बैंक मित्र बनकर इन तीनों ने मिलकर झारखंड में एक नई लकीर खींचने का काम किया है. इसी का नतीजा है कि झारखंड के पलामू और गिरिडीह के गांवों में एक नई रोशनी फैल रही है. ये तीन बैंक मित्र सोनी कुमारी, चंदन विश्वकर्मा और सकलदेव कुशवाहा हैं. ये तीनों ग्रामीण एफआईए ग्लोबल (FIA Global) के साथ मिलकर अपने-अपने इलाकों में वित्तीय समावेशन के सच्चे ध्वजवाहक बन चुके हैं. इनकी मेहनत, लगन और समर्पण ने न केवल लोगों का बैंकिंग पर भरोसा बढ़ाया है, बल्कि उनके गांवों को आर्थिक आजादी की राह पर ले जाकर एक नई मिसाल कायम की है. आज इनके इलाकों के लोग बेझिझक वित्तीय सेवाओं का हिस्सा बन रहे हैं. आइए इनकी सफलता की कहानी को जानते हैं.

पलामू की प्रेरणा और विश्वास की नींव बनीं सोनी कुमारी

पलामू की 23 वर्षीय सोनी कुमारी ने अपने हौसले से गांव की तस्वीर बदल दी. एफआईए ग्लोबल और पंजाब नेशनल बैंक के साथ बैंक मित्र के रूप में सोनी ने तीन साल में सैकड़ों बैंक खाते खुलवाए और नकद लेन-देन को आसान बनाया.शुरू में गांववाले बैंकिंग से डरते थे, शहर के बैंकों पर भरोसा नहीं करते थे. लेकिन, सोनी ने हर घर का दरवाजा खटखटाया. लोगों से बात की और उन्हें समझाया कि बैंक खाता उनकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकता है.

उनकी मेहनत रंग लाई. आज उनके इलाके में लोग बेझिझक बैंक खाते खुलवा रहे हैं. महिलाएं अपनी छोटी-छोटी बचत को बैंक में जमा कर रही हैं और युवा डिजिटल ट्रांजेक्शन को अपनाने लगे हैं. सोनी की एक साधारण सी कोशिश ने गांव में विश्वास की ऐसी नींव रखी कि अब लोग वित्तीय सेवाओं को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं. सोनी की मेहनत ने उनके इलाके को नई आर्थिक ताकत दी है.

चंदन विश्वकर्मा ने जलाई जागरूकता का दीपक

पलामू के ही 24 वर्षीय चंदन विश्वकर्मा ने बैंक मित्र के रूप में न केवल बैंकिंग सेवाएं पहुंचाईं, बल्कि वित्तीय जागरूकता का दीपक जलाया. चंदन ने गांव-गांव जाकर लोगों को अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और UPI जैसे डिजिटल भुगतान के फायदे समझाए. शुरू में लोग हिचकते थे. खासकर बुजुर्ग, जो नकद लेन-देन पर ही भरोसा करते थे. लेकिन, चंदन ने धैर्य से उनकी शंकाओं को दूर किया.

आज चंदन के इलाके में लोग न केवल बैंक खाते खोल रहे हैं, बल्कि बीमा और पेंशन योजनाओं में भी हिस्सा ले रहे हैं. युवा अब UPI से भुगतान कर रहे हैं और बुजुर्ग भी धीरे-धीरे डिजिटल दुनिया से जुड़ रहे हैं. चंदन की मेहनत ने उनके इलाके में वित्तीय सेवाओं को इतना सहज बना दिया कि लोग अब बिना डर के इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. ये चंदन की मेहनत की जीत है, जिसने पूरे समुदाय को वित्तीय ताकत दी.

गिरिडीह के तीन पंचायतों का नायक बने सकलदेव कुशवाला

गिरिडीह के सकलदेव कुशवाहा की मेहनत की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं. हर दिन 70-100 किलोमीटर का सफर तय करते हुए अपने मोबाइल, डेस्कटॉप, और अथक ऊर्जा के साथ सकलदेव तीन पंचायतों के लिए बैंक मित्र बन चुके हैं. छह साल की मेहनत में उन्होंने हजारों लोगों को प्रधानमंत्री जनधन योजना से जोड़ा. शुरू में उनके इलाके में लोग बैंकिंग से अनजान थे, लेकिन सकलदेव ने हर व्यक्ति तक पहुंचकर उन्हें बैंकिंग की ताकत समझाई.

आज उनकी तीन पंचायतों में लोग बेझिझक बैंक खाते खोल रहे हैं, लोन ले रहे हैं और अपनी बचत को सुरक्षित कर रहे हैं. छोटे दुकानदार अब अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वित्तीय सेवाओं का सहारा ले रहे हैं और महिलाएं सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रही हैं. सकलदेव की मेहनत ने उनके इलाके में वित्तीय समावेशन को एक जन आंदोलन बना दिया. ये उनकी जीत है, जिसने पूरे समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त किया.

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ग्रामीणों को मिला एफआईए ग्लोबल का मजबूत सहारा

सोनी कुमारी, चंदन विश्वकर्मा और सकलदेव कुशवाहा की इस सफलता में एफआईए ग्लोबल का अहम योगदान है. अपने मजबूत नेटवर्क के साथ एफआईए ने इन बैंक मित्रों को वह मंच दिया, जिसने झारखंड के गांवों में वित्तीय समावेशन को हकीकत बनाया. इनके प्रयासों से लाखों लोग बैंकिंग की मुख्यधारा से जुड़े हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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