Success Story: महाकुंभ का समापन और आर्थिक अवसर 45 दिनों तक चले प्रयागराज के महाकुंभ का समापन हो चुका है. यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि इस दौरान कई लोगों ने अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया. महाकुंभ में न केवल बड़ी कंपनियों ने मुनाफा कमाया, बल्कि छोटे व्यवसायियों और स्थानीय कामगारों ने भी अच्छी कमाई की. कोई दातुन बेचकर लखपति बना तो किसी ने चाय बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया. इस बीच, एक नाविक परिवार ने 30 करोड़ रुपये की कमाई कर महाकुंभ को आर्थिक अवसरों के महोत्सव के रूप में स्थापित किया.
नाविक परिवार की अद्भुत कमाई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में महाकुंभ की आर्थिक सफलता पर चर्चा करते हुए बताया कि प्रयागराज के नैनी के अरैल निवासी एक नाविक परिवार ने इस आयोजन के दौरान 30 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया. यह परिवार वर्षों से नाव संचालन के व्यवसाय में संलग्न है. मुख्यमंत्री के अनुसार, इस परिवार के पास 130 नौकाएं थीं, जिनके माध्यम से इन्होंने श्रद्धालुओं को संगम स्थल तक पहुंचाया. कमाई का विश्लेषण इस परिवार ने 45 दिनों के महाकुंभ में कुल 30 करोड़ रुपये कमाए. यदि इसे प्रत्येक नौका के हिसाब से देखें, तो एक नाव से 45 दिनों में लगभग 23 लाख रुपये की कमाई हुई.
एक नाविक परिवार ने महाकुम्भ-2025, प्रयागराज में 45 दिनों में ₹30 करोड़ की कमाई की है… pic.twitter.com/BqJ3OXYeio
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 4, 2025
- रोजाना की कमाई: प्रतिदिन प्रति नाव औसतन 50 से 52 हजार रुपये की आय हुई.
- कुल नौकाओं से कमाई: 130 नौकाओं के माध्यम से इस परिवार ने 45 दिनों में 30 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया.
पिंटू महरा: सफलता की मिसाल इस उल्लेखनीय उपलब्धि के पीछे नाविक पिंटू महरा और उनका परिवार है. पिंटू महरा ने बताया कि उन्होंने अपने आसपास के गांवों से अपने संबंधियों की नौकाएं भी मंगवाईं, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को संगम स्थल तक पहुंचाया जा सके. उनकी मां, शुक्लावती, इस सफलता से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि योगी सरकार द्वारा किए गए बेहतरीन प्रबंधन और इंतजामों के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई.
महाकुंभ: आस्था और आर्थिक अवसरों का संगम महाकुंभ केवल आध्यात्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई गति देने वाला पर्व साबित हुआ. इस दौरान छोटे व्यापारियों, होटल व्यवसायियों, परिवहन सेवाओं, फूल और प्रसाद विक्रेताओं, रिक्शा चालकों, और अन्य स्थानीय व्यापारियों ने भी भारी मुनाफा कमाया.
पिंटू महरा और उनके परिवार की सफलता इस बात का प्रमाण है कि धार्मिक आयोजनों में आर्थिक संभावनाएं भी अपार होती हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि इतनी बड़ी कमाई किसी नाविक ने पहली बार देखी है. यह महाकुंभ एक बार फिर साबित करता है कि यह आयोजन न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और समृद्धि का बड़ा माध्यम भी बनता है.
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