Success Story: आज के डिजिटल जमाने में बिना हुनर के किसी को आसानी से जॉब नहीं मिल पाती. बच्चों को हुनरमंद बनाकर अच्छी जॉब के लायक बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं. लेकिन, इस देश में कई कंपनियां और संस्थान ऐसे हैं, जो छोटी शुरुआत के जरिए युवाओं को हुनरमंद बना रहे हैं. इसी सोच के तहत देश की राजधानी दिल्ली के नारायणा स्थित मीडिया डिजाइन नामक ब्रांड बीते 20 सालों से गरीब परिवार के बच्चों को हुनरमंद बनाने में जुटा है.
20 साल पहले की छोटी शुरुआत
करीब 20 साल पहले तरुण शर्मा ने इस ब्रांड की शुरुआत एक छोटे कमरे से की थी. इनके पास ना बड़ा स्टाफ था और न ही संसाधन थे, लेकिन उनके पास एक बड़ी सोच थी कि युवाओं को सिर्फ तकनीकी दक्षता के साथ-साथ रचनात्मकता और आत्मविश्वास भी दिया जाए. आज यही ब्रांड डिजिटल मीडिया, ग्राफिक डिजाइन, एनीमेशन, एडिटिंग और ब्रांडिंग जैसे क्षेत्रों में दक्ष पेशेवर तैयार कर रही है.
देश ही नहीं, विदेशों में भी पहचान
‘मीडिया डिजाइन’ के छात्र आज भारत के प्रमुख मीडिया हाउस, क्रिएटिव एजेंसियों और विदेशी कंपनियों में काम कर रहे हैं. कई छात्र अंतरराष्ट्रीय फोरम पर अपने प्रोजेक्ट्स और क्रिएटिव आइडियाज के लिए सराहे गए हैं. इसका श्रेय उस पाठ्यक्रम को भी जाता है, जिसे वैश्विक मानकों और नई तकनीकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.
हर बच्चों में है रचनात्मकता
इस ब्रांड के संस्थापक और निदेशक तरुण शर्मा कहते हैं, “हमारा लक्ष्य केवल तकनीकी ट्रेनिंग देना नहीं, बल्कि हर छात्र को उसके भीतर छिपी रचनात्मकता से परिचित कराना है.” उनका मानना है कि हर युवा में कुछ अलग करने की क्षमता होती तो है, लेकिन उन्हें सिर्फ सही मार्गदर्शन और अवसर की जरूरत भी पड़ती है.
सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ाव
मीडिया डिजाइन ने सामाजिक अभियानों और जनजागरूकता कार्यक्रमों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है. हिंदी भाषा के लिए चलाए गए आंदोलन ‘द हिंदी’ के माध्यम से संस्थान ने भाषायी चेतना को नया रूप दिया है. यह केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव की शुरुआत बन चुका है.
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सिर्फ संस्थान नहीं, उम्मीद की किरण
आज ‘मीडिया डिजाइन’ एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है, जो नौकरी से आगे बढ़कर करियर और चरित्र निर्माण की दिशा में काम कर रहा है. तरुण शर्मा की यह पहल आने वाले समय में और भी नई ऊंचाइयों को छूने की काबिलियत रखती है.
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