Success story: झारखंड के जमशेदपुर से निकलकर रिचा ने जो मुकाम हासिल किया, वो लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है.
एक समय था जब रिचा के घरवाले भी उनके फैसलों से सहमत नहीं थे. खासकर तब जब उन्होंने लॉन्जरी जैसे “संवेदनशील” माने जाने वाले विषय में बिजनेस शुरू करने की सोची. लेकिन रिचा ने ना सिर्फ इस पर खुलकर बात की, बल्कि उसे अपना बिजनेस बना दिया और आज वही बिजनेस 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा की वैल्यू तक पहुंच गया है.
रिचा का जन्म 17 जुलाई 1980 को जमशेदपुर में हुआ था. उनके पिता टाटा स्टील में काम करते थे. घर में सख्त नियम, पारंपरिक सोच और “लड़की को तो बस पढ़-लिखकर शादी कर लेनी चाहिए” जैसे विचारों का माहौल था.
लेकिन रिचा अलग सोचती थीं, उन्होंने BITS पिलानी से इंजीनियरिंग की और फिर नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट, मुंबई से मैनेजमेंट की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने कॉरपोरेट जगत में अपनी जगह बनाई और कई बड़ी कंपनियों में काम किया.
एक आइडिया ने बदल दी जिंदगी
जब रिचा विक्टोरिया सीक्रेट जैसी अंतरराष्ट्रीय लॉन्जरी कंपनी के साथ काम कर रही थीं, तब उन्होंने एक चीज नोटिस की भारत में महिलाएं लॉन्जरी खरीदते समय बहुत असहज महसूस करती हैं. दुकानों में प्राइवेसी नहीं होती, विकल्प कम होते हैं और सही साइज मिलना भी मुश्किल होता है.
तभी उनके दिमाग में एक शानदार आइडिया आया क्यों न एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किया जाए, जहां महिलाएं आराम से, बिना शर्मिंदगी के, अपने लिए परफेक्ट लॉन्जरी खरीद सकें.
2011 में हुई ‘जिवामे’ की शुरुआत
रिचा ने अपने पति विवेक कर के साथ मिलकर 2011 में Zivame (जिवामे) की शुरुआत की. ये भारत का पहला ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म था जो खास महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर लॉन्जरी बेचता था.
रिचा को समाज के साथ-साथ अपने ही घरवालों से भी ताने सुनने पड़े। उन्हें कहा गया “लॉन्जरी का बिजनेस? क्या सोच रही हो!” लेकिन रिचा ने हार नहीं मानी.
अपने पैसों और थोड़े बहुत उधार से उन्होंने कंपनी शुरू की. शुरुआत में कई लोगों ने मज़ाक उड़ाया, लेकिन कुछ ही सालों में जिवामे ने लाखों ग्राहकों का दिल जीत लिया.
Zivame बना भारत का ‘विक्टोरिया सीक्रेट’
2015 में रतन टाटा जैसे बड़े बिजनेसमैन ने जिवामे में निवेश किया. फिर 2020 में मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल ने इस कंपनी का अधिग्रहण कर लिया. हालांकि रिचा ने 2017 में सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वे आज भी कंपनी के बोर्ड में हैं और दिशा दिखा रही हैं.
जमशेदपुर की एक लड़की ने दुनिया को दिखा दिया कि अगर जुनून हो, तो हर रूढ़िवादिता को मात दी जा सकती है.
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