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Success Story: नौ घंटे की नौकरी के बाद रैपिडो चलाता है दिल्ली का ये लड़का, कमाई जानकर उड़ जाएंगे होश

Success Story: दिल्ली के शुभम परमार ऑफिस की 9 घंटे की नौकरी के बाद रैपिडो चलाकर हर महीने 10 से 22 हजार रुपये की अतिरिक्त कमाई करते हैं. गुरुग्राम की नौकरी और लंबा सफर होने के बावजूद वह पार्ट टाइम राइडिंग करते हैं और सोशल मीडिया पर वीडियो भी बनाते हैं. शुभम की सालाना सैलरी 3.6 लाख रुपये है. उनकी मेहनत और समर्पण को लोग सोशल मीडिया पर सराह रहे हैं. यह कहानी युवाओं को साइड इनकम और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देती है.

Success Story: आज के जमाने में पैसा सबके लिए अहम हो गया है. बिना पैसों के सांस लेना भी मुश्किल है. एक सामान्य नौकरी से आदमी के घर का पूरा खर्च चलाना मुश्किल होता जा रहा है. महंगाई दिन-ब-दिन आसमान पर चढ़ती चली जा रही है और महज 9 से 5 की नौकरी से जीवन में संतुलन बना पाना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा. यही कारण है कि कई युवा अब साइड इनकम के लिए पार्ट-टाइम विकल्प तलाश रहे हैं. लेकिन नौकरी के बाद दोबारा काम करना सबके बस की बात नहीं होती. इन्हीं में से एक दिल्ली के शुभम परमार हैं. यूट्यूब से आइडिया मिलने के बाद शुभम अपने ऑफिस में 9 घंटे तक काम करने के बाद दिल्ली की सड़कों पर रैपिडो चलाते हैं. नौकरी और रैपिडो से उन्हें इतनी कमाई हो जाती है कि उसे देखकर आम आदमी दांतों तले उंगली काट लेगा.

पार्ट टाइम रैपिडो ड्राइवर बने शुभम परमार

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के रहने वाले शुभम परमार एक मल्टीनेशनल कंपनी में फुल-टाइम नौकरी करते हैं. उनकी ड्यूटी गुरुग्राम में है, जो दिल्ली से अच्छी-खासी दूरी पर है. ऑफिस में वह रोजाना करीब 9 घंटे काम करते हैं, लेकिन इसके बाद भी वे सीधे घर नहीं लौटते. ऑफिस का काम खत्म होने के बाद शुभम बाइक निकालते हैं और रैपिडो पर राइड्स लेते हैं.

नए-नए लोगों से मिलने का मिलता है मौका

शुभम का कहना है कि यह पार्ट टाइम काम उन्हें न केवल अतिरिक्त कमाई देता है, बल्कि इससे उन्हें नए-नए लोगों से मिलने और अपने अनुभव साझा करने का मौका भी मिलता है. इसके साथ-साथ वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं, जहां वह अपनी मेहनत और जीवनशैली से जुड़ी वीडियो साझा करते रहते हैं.

यूट्यूब से मिली प्रेरणा

शुभम का यह सफर अचानक शुरू नहीं हुआ. एक दिन उन्होंने एक यूट्यूबर का वीडियो देखा, जिसमें बताया गया था कि कैसे कोई इंसान नौकरी के साथ-साथ पार्ट टाइम काम करके अच्छा पैसा कमा सकता है. इसी से उन्हें रैपिडो चलाने का आइडिया मिला. उन्होंने सोचा कि खाली समय में बाइक चलाकर कुछ एक्स्ट्रा इनकम की जा सकती है. जब शुभम ने यह काम शुरू किया, तो उनके ऑफिस के कई साथी उन्हें “रैपिडो वाले भइया” कहकर चिढ़ाने लगे. उन्होंने किसी की परवाह नहीं की. उनके लिए यह एक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका था.

कितनी है शुभम की कमाई

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट कहा गया है कि शुभम की फुल-टाइम नौकरी से सालाना करीब 3.6 लाख रुपये की सैलरी मिलती है. इसका मतलब है कि हर महीने उनके हाथ में 30 हजार रुपये से भी कम की रकम आती है. यह आम दिल्लीवासी के खर्च के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे में रैपिडो उनके लिए वरदान साबित हुआ. शुभम ने बताया कि रैपिडो से वह हर महीने 10 से 22 हजार रुपये तक की अतिरिक्त कमाई कर लेते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह हर दिन कितनी देर बाइक चलाते हैं और कितनी राइड्स लेते हैं. उनकी यह साइड इनकम अब उनके जीवन की जरूरत बन चुकी है.

सोशल मीडिया से भी मिल रही पहचान

शुभम केवल रैपिडो नहीं चला रहे, बल्कि अपने अनुभव और प्रेरणादायक विचारों को सोशल मीडिया पर साझा भी करते हैं. यहां वह वीडियो बनाकर यह दिखाते हैं कि मेहनत, लगन और सही सोच से कोई भी इंसान दोहरी कमाई कर सकता है. उनके वीडियो पर लोग सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं और उनकी मेहनत की सराहना कर रहे हैं.

यूजर्स बोले, ‘यही होता है असली संघर्ष’

शुभम की कहानी पर कई यूजर्स ने कमेंट करके तारीफ की है. उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक यूजर ने लिखा, “ऐसा ही होता है एक मेहनती आदमी का जीवन.” वहीं एक और यूजर ने लिखा, “कोई आपके बिल नहीं भरता, इसलिए जिसे जो कहना है कहने दो, आप मेहनत करो और सक्सेसफुल बनो.” शुभम परमार जैसे युवाओं की कहानी आज के भारत की हकीकत और उम्मीद दोनों को दर्शाती है.

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मेहनत का कोई विकल्प नहीं

शुभम परमार की यह कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सिर्फ नौकरी के भरोसे अपनी जिंदगी को चलाना चाहते हैं. शुभम ने यह साबित किया है कि अगर हौसला मजबूत हो और समय का सही इस्तेमाल किया जाए, तो एक आम इंसान भी खास बन सकता है. उनका संघर्ष और मेहनत उन्हें जरूर एक दिन बड़ी सफलता दिलाएगी.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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