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काम की बात: नॉमिनी ही होता है आपकी विरासत का मालिक? जानें क्या कहता है नियम

Succession Planning: ज्‍यादातर लोग नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी को एक ही समझते हैं तथा नॉमिनी को ही उन पैसों का हकदार मानते हैं. हालांकि, नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी एक नहीं होते है.

Succession Planning: आपके नहीं रहने पर परिवार को सारी संपत्तियां बिना किसी विवाद के मिल जाए, इसके लिए विल यानी वसीयत बहुत जरूरी है. वसीयत न बनाने से परिवार को आपकी सारी संपत्तियों का पता नहीं होता है. जब भी आप प्रापर्टी, पीएफ खाता, बैंक अकाउंट, म्‍यूचुअल फंड, बीमा या पैसों से जुड़ी किसी तरह की पॉलिसी में निवेश करते हैं तो उसमें किसी को नॉमिनी बनाया जाता है.

एक नहीं होते है नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी

बताते चलें कि ज्‍यादातर लोग नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी को एक ही समझते हैं तथा नॉमिनी को ही उन पैसों का हकदार मानते हैं. हालांकि, नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी एक नहीं होते है. दरअसल, इनके बीच काफी अंतर होता है. अगर, आप अपनी विरासत सही कानूनी वारिस को सौंपना चाहते हैं तो सिर्फ इच्छित व्यक्ति को नॉमिनी बनाना काफी नहीं है. बल्कि, आपको नॉमिनी और उत्‍तराधिकारी के बीच का अंतर समझना बहुत जरूरी है.

जानिए क्या है नियम

प्रॉपर्टी या निवेश से जुड़ी किसी स्‍कीम में जब आप किसी को नॉमिनी बनाते हैं तो वो उसके संरक्षक के तौर पर होता है. आपकी मौत के बाद नॉमिनी को उस प्रॉपर्टी या उस पॉलिसी के पैसों को लेकर क्‍लेम करने का अधिकार प्राप्‍त होता है. लेकिन, सिर्फ नॉमिनी बनने मात्र से उसे मालिकाना हक नहीं मिल जाता. अगर बैंक अकाउंट होल्डर, बीमाधारक या प्रॉपर्टी के मालिक ने कोई वसीयत नहीं की हुई है तो उसकी मृत्‍यु के बाद नॉमिनी उसकी प्रॉपर्टी या पॉलिसी को क्‍लेम करेगा. लेकिन, वो राशि नॉमिनी को तभी दी जा सकती है, जब उसमें कोई विवाद न हो. अगर, मरने वाले के उत्‍तराधिकारी हैं तो वे अपने हक के लिए उस राशि या प्रॉपर्टी के लिए दावा कर सकते हैं. ऐसे में उसे राशि या प्रॉपर्टी के हिस्‍से सभी कानूनी वारिसों में बराबर बंटेंगे.

कौन होता है उत्‍तराधिकारी

उत्‍तराधिकारी वास्‍तव में वो होता है, जिसका नाम संपत्ति के वास्तविक स्वामी द्वारा कानूनी वसीयत में लिखा जाता है या उत्तराधिकार कानून के हिसाब से उसका संपत्ति पर अधिकार हो. किसी प्रॉपर्टी या रकम के मालिक की मृत्‍यु के बाद नॉमिनी उसके पैसों को निकालता जरूर है, लेकिन उसे ये रकम रखने का हक नहीं होता. ये रकम उसे उत्‍तराधिकारियों को सौंपनी होती है. अगर, नॉमिनी उत्‍तराधिकारियों में से एक है तो वो प्रॉपर्टी या पैसों के बंटवारे का एक हिस्‍सा प्राप्‍त करने का अधिकारी होता है. ऐसे में अगर आप चाहते हैं, आपकी मृत्‍यु के बाद इच्छित नॉमिनी ही आपकी पूरी संपत्ति का मालिक हो तो वसीयत में स्‍पष्‍ट रूप से उसके नाम का उल्लेख होना जरूरी है.

कैसे लिखी जाती है वसीयत?

वसीयत लिखने के लिए कानूनी और तकनीकी भाषा की जरूरत नहीं है. आप चाहे तो अपने ही शब्दों में वसीयत लिख सकते है. वसीयत लिखने से पहले व्यक्ति को अपनी संपत्तियों जैसे जमीन, अचल संपत्ति, बैंक जमा, शेयर, जीवन बीमा, सोना या अन्य निवेश वगैरह की लिस्ट बना लेनी चाहिए. उसके बाद उसे लाभार्थियों को तय करना चाहिए कि वह अपनी संपत्ति किसे या किन-किन लोगों को देना चाहता है. इसके साथ ही दो ऐसे गवाहों को चुनना चाहिए जो वसीयत में लाभार्थी न हों. वसीयत का मसौदा तैयार करने के लिए किसी वकील की सेवाएं भी ले सकते हैं. वसीयतनामे पर वसीयतकर्ता का और दो गवाहों के हस्ताक्षर होंगे. दस्तखत के वक्त दोनों गवाहों का शारीरिक रूप से एक साथ उपस्थित होना जरूरी है. जरूरत पड़ने पर गवाहों को अदालत में गवाही के लिए बुलाया जा सकता है.

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Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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