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Supreme Court Order: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, सेबी के सामने पेश करें विस्तृत प्रतिनिधित्व

Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को सेबी के सामने विस्तृत प्रतिनिधित्व पेश करने का आदेश दिया है. मोइत्रा ने अपनी याचिका में एआईएफ और एफपीआई की पोर्टफोलियो शेयरधारिता और अंतिम लाभकारी मालिकों के सार्वजनिक खुलासे को अनिवार्य करने की मांग की थी, ताकि वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता बढ़े. कोर्ट ने कहा कि सेबी इस पर कानून के अनुसार विचार करेगी. अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि मौजूदा नियमों में ऐसी अनिवार्यता की कमी है. यदि सेबी समय पर फैसला नहीं लेता, तो मोइत्रा कानूनी कदम उठा सकती हैं. यह कदम निवेशक जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.

Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की पोर्टफोलियो शेयरधारिता के सार्वजनिक खुलासे को अनिवार्य करने के लिए वह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष विस्तृत प्रतिनिधित्व पेश करें. यह आदेश न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.

महुआ मोइत्रा की याचिका का आधार

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि सेबी को एआईएफ, एफपीआई और भारत में उनके मध्यस्थों के अंतिम लाभकारी मालिकों (Ultimate Beneficial Owners) और पोर्टफोलियो होल्डिंग्स के सार्वजनिक खुलासे को अनिवार्य करने का निर्देश दिया जाए. उनकी याचिका का उद्देश्य भारत के वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता और निवेशकों के बीच जागरूकता बढ़ाना था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि इस मांग को पहले सेबी के सामने रखा जाए, जिसके बाद सेबी इस पर कानून के अनुसार विचार करेगी.

कोर्ट में क्या हुआ?

महुआ मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील दी कि सेबी के मौजूदा नियमों के तहत सामान्य म्यूचुअल फंड और अन्य निवेशकों को अपने निवेश और निवेशकों की जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. लेकिन, एआईएफ और एफपीआई के मामले में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का प्रबंधन करने वाली इकाइयों के लिए भी इस तरह के खुलासे का कोई प्रावधान नहीं है, जो पारदर्शिता के लिहाज से चिंताजनक है.

कोर्ट में प्रशांत भूषण का तर्क

पीठ ने प्रशांत भूषण के तर्कों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि वह पहले सेबी के सामने अपनी मांग को औपचारिक रूप से पेश करें. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सेबी वाजिब समय के भीतर इस प्रतिनिधित्व पर विचार नहीं करती, तो महुआ मोइत्रा कानूनी विकल्पों का सहारा ले सकती हैं.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता को सेबी के समक्ष एक विस्तृत प्रतिनिधित्व पेश करना चाहिए. सेबी को इस पर कानून के अनुसार विचार करना होगा.” कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि यह मामला सेबी की जिम्मेदारी के दायरे में आता है और याचिकाकर्ता को पहले नियामक संस्था से संपर्क करना चाहिए.

महुआ मोइत्रा का पक्ष

महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में जोर दिया कि भारत के वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता की कमी निवेशकों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है. उन्होंने कहा, “एआईएफ और एफपीआई की पोर्टफोलियो शेयरधारिता और अंतिम लाभकारी मालिकों का खुलासा अनिवार्य होने से निवेशकों को बेहतर जानकारी मिलेगी और बाजार में विश्वास बढ़ेगा.” उनकी यह मांग वित्तीय क्षेत्र में सुधार और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम मानी जा रही है.

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महुआ मोइत्रा को सेबी के सामने रखनी होगी मांग

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब महुआ मोइत्रा को सेबी के सामने अपनी मांग रखनी होगी. सेबी इस प्रतिनिधित्व पर क्या फैसला लेती है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा.अगर सेबी इस मांग को लागू करती है, तो यह भारत के वित्तीय बाजारों के लिए एक बड़ा बदलाव हो सकता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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