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Tariff War: अरविंद पनगढ़िया ने सरकार को बताया अमेरिकी टैरिफ से बचने का मंत्र, दिया ये सुझाव

Tariff War: अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अगले 3-4 सालों में अमेरिका की शुल्क नीति में बदलाव भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा. अरविंद पनगढ़िया के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ को लेकर भारत को आक्रामक रणनीति अपनाने के बजाय कूटनीतिक समाधान तलाशना चाहिए.

Tariff War: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अमेरिका की ओर से लगाए जाने वाले संभावित जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariff) को भारत एक सकारात्मक अवसर में बदल सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर भारत इसे एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल करे और अमेरिका को शुल्क कटौती के लिए राजी करे, तो इससे दोनों देशों को लाभ हो सकता है.

टैरिफ वॉर से होगा नुकसान

हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि अगर यह प्रक्रिया टैरिफ वॉर (Tariff War) में बदल जाती है, तो इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं. टैरिफ वॉर की स्थिति में अमेरिका भारत पर शुल्क बढ़ाएगा और भारत जवाबी कार्रवाई करेगा. इससे व्यापारिक संबंधों में नुकसान हो सकता है.

अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए पनगढ़िया का सुझाव

अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारत के पास एक बेहतर रणनीति अपनाने का अवसर है, जिससे दोनों देशों के लिए लाभदायक समझौता किया जा सकता है.

  • भारत को अमेरिका को शुल्क कटौती के लिए बाध्य करना चाहिए.
  • इससे भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी.
  • टैरिफ वॉर से बचने के लिए भारत को कूटनीतिक वार्ता करनी चाहिए.

अमेरिकी नीतियों का भारत पर प्रभाव

अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अगले 3-4 सालों में अमेरिका की शुल्क नीति में बदलाव भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार संकेत दे चुके हैं कि अमेरिका भारत पर जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariff) लागू कर सकता है. यदि भारत इस स्थिति का सही इस्तेमाल करता है, तो व्यापारिक संबंध मजबूत हो सकते हैं और भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में बढ़त मिल सकती है.

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भारत को तलाशना चाहिए कूटनीतिक समाधान

अरविंद पनगढ़िया के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ को लेकर भारत को आक्रामक रणनीति अपनाने के बजाय कूटनीतिक समाधान तलाशना चाहिए. इससे न केवल भारत को अमेरिका के साथ व्यापारिक लाभ मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध भी मजबूत होंगे.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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