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टैरिफ के मामले में भारत को बख्श देंगे डोनाल्ड ट्रंप, एशिया प्रशांत देशों से कम होगा शुल्क?

Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की अटकलों के बीच मूडीज रेटिंग्स ने संकेत दिया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में भारत पर अमेरिकी टैरिफ कम हो सकता है. इससे भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने और विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. चीन, वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों पर शुल्क बढ़ने से भारत को लाभ मिलने की संभावना है. अमेरिका-भारत के बीच अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत भी निवेश प्रवाह को गति दे सकती है.

Tariff War: टैरिफ के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्या भारत को प्रशांत और एशिया के दूसरे देशों के मुकाबले छूट देंगे? मूडीज रेटिंग्स ने गुरुवार को एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों पर अमेरिकी टैरिफ नीति के प्रभाव पर रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि भारत को कंबोडिया और वियतनाम जैसे निर्यात-निर्भर देशों की तुलना में टैरिफ के मामले में अमेरिका से राहत मिल सकती है. इससे भारत को न सिर्फ निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि वह वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है.

कई देशों पर भारी शुल्क, भारत के लिए अवसर

मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में अमेरिका की तरफ से कई एशिया प्रशांत देशों पर भारी टैरिफ लगाए गए, जिससे इन देशों की निर्यात क्षमता प्रभावित हुई. वियतनाम और कंबोडिया जैसे देश जो चीन के विकल्प के रूप में उभर रहे थे, अब अमेरिकी टैरिफ के दबाव में आ गए हैं. इसके विपरीत, भारत पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाया गया है, जिससे उसे ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिल सकता है.

भारत को मिल सकता है व्यापार और निवेश प्रवाह का लाभ

मूडीज रेटिंग्स का मानना है कि भारत को एक शुल्क-आधारित बदलाव का लाभ मिल सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत पर टैरिफ का असर अन्य एशिया प्रशांत देशों की तुलना में कम हो सकता है, जिससे निवेश प्रवाह बढ़ने की संभावना है. इससे भारत का एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने का सपना साकार हो सकता है.”

मुक्त व्यापार समझौते बना रहे हैं माहौल

भारत ने मई में ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं और यूरोपीय संघ के साथ भी इसी दिशा में प्रयास कर रहा है. इन समझौतों के चलते भारत का निर्यात बाजार और बड़ा हो सकता है. इस कदम से वैश्विक व्यापारिक रिश्तों में भारत की स्थिति और मजबूत हो रही है.।

अमेरिकी शुल्क नीति में बदलाव और भारत की मांग

हालांकि, अमेरिका ने दो अप्रैल को भारतीय उत्पादों पर 26% का जवाबी शुल्क लगाया था, लेकिन इसे 90 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया. इस बीच भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत तेज़ हो गई है. भारत चाहता है कि उसे पूरी तरह से अतिरिक्त शुल्क से छूट मिले, जबकि अमेरिका अपने कृषि उत्पादों पर भारत से शुल्क रियायत चाहता है.

9 जुलाई की समयसीमा से पहले बातचीत अहम

अमेरिका की ओर से लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ पर रोक नौ जुलाई को समाप्त हो रही है. ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. दोनों देशों के अधिकारी अपनी-अपनी प्राथमिकताओं को सामने रखकर समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं. भारत जहां श्रम-गहन उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच चाहता है, वहीं अमेरिका कृषि उत्पादों के लिए रियायत की उम्मीद कर रहा है.

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भारत के लिए अवसरों का दौर

मूडीज की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि बदलते वैश्विक टैरिफ परिदृश्य में उसे रणनीतिक बढ़त मिल सकती है. अगर भारत इन अवसरों का सही उपयोग करता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों को तेजी से अंतिम रूप देता है, तो वह निकट भविष्य में वैश्विक विनिर्माण हब बनने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर सकता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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