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इंश्योरेंस पॉलिसी से 5 लाख से अधिक की कमाई पर लगेगा टैक्स, नियम बदला

आयकर विभाग ने साल में पांच लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाले जीवन बीमा पॉलिसी से होने वाली आमदनी की कैलकुलेशन के लिए नया नियम निर्धारित किया है. यह प्रावधान उन बीमा पॉलिसियों के लिए है, जिसमें प्रीमियम की रकम पांच लाख रुपये से अधिक है.

नई दिल्ली : जीवन बीमा के लिए सालाना पांच लाख के प्रीमियम पर पॉलिसी की परिपक्वता पर होने वाली आमदनी पर अब बीमाधारकों को टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा. इसका कारण यह है कि आयकर विभाग ने पांच लाख रुपये से अधिक सालाना प्रीमियम वाले जीवन बीमा पॉलिसी की परिपक्वता से होने वाली कमाई की कैलकुलेशन के लिए नियमों में बदलाव कर दिया है. आयकर विभाग की ओर से जारी किए गए एक बयान में यह कहा गया है कि जो बीमाधारक साल में अपनी पॉलिसी के तहत पांच लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम का भुगतान करते हैं और पॉलिसी की परिपक्वता पर उससे उन्हें जो कमाई होती है, उस पर अब विभाग की ओर से बीमाधारक को आयकर से छूट का लाभ नहीं दिया जाएगा.

नियम-11 यूएसीए के तहत होगा कैलकुलेशन

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, आयकर विभाग ने साल में पांच लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाले जीवन बीमा पॉलिसी से होने वाली आमदनी की कैलकुलेशन के लिए नया नियम निर्धारित किया है. इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से आयकर अधिनियम (16वां संशोधन)-2023 को अधिसूचित किया गया है. सीबीडीटी की ओर से नियमों में किए गए संशोधन के अनुसार, जीवन बीमा पॉलिसी की परिपक्वता पर हासिल होने वाली रकम के संबंध में आमदनी के कैलकुलेशन के लिए नियम-11 यूएसीए निर्धारित किया गया है.

एक अप्रैल 2023 से लागू होगा नया नियम

आयकर विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह प्रावधान उन बीमा पॉलिसियों के लिए है, जिसमें प्रीमियम की रकम पांच लाख रुपये से अधिक है और ऐसी पॉलिसी​​ एक अप्रैल 2023 या उसके बाद जारी की गई हैं. इसका मतलब यह कि जीवन बीमा पॉलिस के प्रीमियम से होने वाली आमदनी पर आयकर विभाग का नया नियम एक अप्रैल 2023 से लागू होगा.

कौन करेगा टैक्स का भुगतान

आयकर अधिनियम में संशोधन के अनुसार, एक अप्रैल 2023 या उसके बाद जारी की गई पॉलिसी के लिए धारा 10(10डी) के तहत परिपक्वता पर होने वाले लाभ पर आयकर से छूट केवल तभी मिलेगी, जब किसी व्यक्ति की तरफ से भुगतान किया गया कुल प्रीमियम सालाना पांच लाख रुपये तक हो. इस सीमा से अधिक प्रीमियम के लिए हासिल होने वाली रकम को उसकी आमदनी से जोड़ा जाएगा और फिर उसके बाद उस आमदनी पर लागू दर के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा.

किसे मिलेगी टैक्स से छूट

बता दें कि एक फरवरी को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए आम बजट के दौरान यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) को छोड़कर जीवन बीमा पॉलिसियों के संबंध में कर प्रावधान में बदलाव की घोषणा की गई थी. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के संयुक्त भागीदार (कॉरपोरेट और अंतरराष्ट्रीय कर) ओम राजपुरोहित ने कहा कि फॉर्मूले के अनुसार परिपक्वता पर प्राप्त होने वाली कोई भी अधिशेष राशि पर ‘अन्य स्रोतों से आय’ (टीडीएस) की श्रेणी के अंतर्गत कर लगेगा. हालांकि, बीमाधारक की मृत्यु होने पर प्राप्त होने वाली रकम के लिए कराधान प्रावधान को नहीं बदला गया है और वह पहले की तरह आयकर से मुक्त होगा.

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जीवन बीमा का प्रीमियम क्या है

जीवन बीमा प्रीमियम वह राशि है, जो पॉलिसीधारकों की ओर से एक निर्दिष्ट अवधि के लिए भुगतान की जाती है और उन्हें जीवन बीमा लाभों का फायदा लेने देती है. कोई भी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपने प्रीमियम भुगतान मोड का चयन कर सकता है. जीवन बीमा प्रीमियम की गणना करते समय आयु एक महत्वपूर्ण कारक है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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