Reciprocal Tariff: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ नीति 9 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आ गई है. भारत सहित लगभग 180 देशों पर यह शुल्क लागू कर दिया गया है. 9 अप्रैल की सुबह 9:31 बजे से अमेरिका में भारतीय वस्तुओं पर 26% आयात शुल्क लगाया जाना शुरू हो गया है.
भारत से अमेरिका को निर्यात होगा महंगा
इस नए शुल्क के कारण अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हो सकती है. यह विशेष रूप से उन देशों के मुकाबले नुकसानदायक होगा, जिन पर कम टैरिफ लगाया गया है. इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, रत्न और आभूषण तथा वस्त्र जैसे क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकते हैं.
फार्मा सेक्टर पर सबसे गहरा असर
भारत से अमेरिका को सस्ती दवाओं और फार्मा उत्पादों का निर्यात बड़े पैमाने पर होता है. साल 2023-24 में अमेरिका ने भारत से 12 अरब डॉलर से अधिक के फार्मा उत्पाद खरीदे थे. नए टैरिफ के चलते इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे निर्यात पर असर पड़ेगा और ट्रेड सरप्लस कम हो सकता है.
भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन पर संकट
वर्तमान में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) है. भारत अमेरिका को 73.7 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि 39.1 अरब डॉलर का आयात करता है. हालांकि, अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार यह अंतर और भी अधिक है. टैरिफ लागू होने से यह संतुलन गड़बड़ा सकता है.
ट्रंप ने भारत को क्यों बताया “टैरिफ किंग”?
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार भारत को “टैरिफ किंग” करार दिया है. उनके मुताबिक भारत अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है, जो अनुचित और क्रूर (brutal) है. इसी कारण उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया, जिससे अमेरिकी उत्पादों को बराबरी का मौका मिल सके.
WTO और GTRI के आंकड़े क्या कहते हैं?
WTO के अनुसार, भारत में औसतन 17% टैरिफ है, जबकि अमेरिका में यह सिर्फ 3.3% है. GTRI की रिपोर्ट बताती है कि भारत अमेरिका से आने वाले खाद्य उत्पादों पर 37.66% शुल्क लगाता है, जबकि भारत से उन्हीं उत्पादों पर अमेरिका सिर्फ 5.29% शुल्क लेता है.
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कैबिनेट और निर्यातकों के साथ रणनीति पर चर्चा
भारत सरकार इस टैरिफ के प्रभाव को लेकर गंभीर है. आज सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है. वाणिज्य मंत्रालय निर्यातकों से बातचीत कर रहा है और संभावित रणनीति पर विचार कर रहा है.
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