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ट्रंप के टैरिफ के विरोध में उतरे फेडरल रिजर्व के प्रमुख, बोले- अब बढ़ेगी महंगाई

Trump Tariff: डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ पर फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने चेतावनी दी कि इससे महंगाई बढ़ेगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने ब्याज दरों को स्थिर रखने का संकेत दिया, जिससे निवेशकों में निराशा है. ट्रंप की टैरिफ नीति से वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट जारी है.

Trump Tariff: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार से पूरी दुनिया में जहां एक ओर हाहाकार मचा हुआ है, वहीं इसका जमकर विरोध भी किया जा रहा है. खासकर केंद्रीय बैंकों के वर्तमान और पूर्व प्रमुखों के आवाज तेजी से मुखर हो रही हैं. वर्तमान और भविष्य को लेकर शंका-आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं. इसी सिलसिले में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से दुनिया के 60 देशों पर लगाए गए नए टैरिफ (सीमा शुल्क) पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इन शुल्कों से मुद्रास्फीति (महंगाई) बढ़ेगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

फेडरल रिजर्व की चिंता: महंगाई और आर्थिक सुस्ती

जेरोम पॉवेल ने अपनी लिखित टिप्पणी में साफ किया है कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी से मूल्य वृद्धि अस्थायी रूप से बढ़ सकती है, लेकिन यह वृद्धि दीर्घकालिक भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व का लक्ष्य इस महंगाई को अस्थायी बनाए रखना और इसे स्थायी समस्या बनने से रोकना है. वर्जीनिया के आर्लिंगटन में दिए गए एक भाषण में पॉवेल ने कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि मूल्य स्तर में एक बार की वृद्धि स्थायी मुद्रास्फीति की समस्या न बने.”

ब्याज दरों पर असर: निवेशकों की चिंता

फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के इस बयान के बाद यह संकेत मिल रहा है कि ब्याज दरों को आने वाले महीनों में लगभग 4.3% पर स्थिर रखा जा सकता है. इससे अमेरिकी शेयर बाजार के निवेशकों में निराशा देखी जा सकती है, क्योंकि वे इस साल ब्याज दरों में पांच बार कटौती की उम्मीद कर रहे थे. हालांकि, ट्रंप प्रशासन द्वारा बुधवार को टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं और बढ़ गई हैं. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नए सीमा शुल्क से अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, नई भर्तियों पर असर पड़ेगा और उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं.

फेडरल रिजर्व की प्राथमिकता: मुद्रास्फीति पर नियंत्रण

फेडरल रिजर्व जेरोम पॉवेल के बयान से यह संकेत मिलता है कि फेडरल रिजर्व की प्राथमिकता मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना है, न कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करना. यह स्थिति अमेरिकी वित्तीय बाजारों के लिए नकारात्मक संकेत हो सकती है.

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शेयर बाजार में गिरावट

ट्रंप के नए सीमा शुल्क लगाने की घोषणा के बाद अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिकी प्रशासन आयात करों पर सख्त रुख अपनाए रखता है, तो इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा बढ़ सकता है.

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जेरोम पॉवेल का बयान अमेरिका के लिए चेतावनी

फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का बयान अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चेतावनी है. यदि ट्रंप प्रशासन अपने टैरिफ नीति को जारी रखता है, तो इससे महंगाई और आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ सकता है. फेडरल रिजर्व के रुख से स्पष्ट है कि मौजूदा परिस्थितियों में वे मुद्रास्फीति पर अधिक ध्यान देंगे और ब्याज दरों में कटौती की संभावना फिलहाल कम है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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