Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के साथ ही टैरिफ वॉर छेड़ दिया है. उन्होंने अपने इस अभियान में सबसे पहले चीन को निशाना बनाया और अब भारत पर निशाना साधने की तैयारी शुरू कर दी है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन भारत के अमेरिकी निर्यात पर 20% तक आयात शुल्क लगा सकता है. ऐसे में भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने मंगलवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में आशंका जताई है कि अगर ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत के निर्यात पर 20% तक फ्लैट टैरिफ लागू किया जाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है.
भारत के जीडीपी को 50 बीपीएस तक नुकसान की आशंका
एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अमेरिका भारतीय निर्यात पर 20% फ्लैट टैरिफ लागू करता है, तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 50 बेसिस पॉइंट (बीपीएस) का नुकसान हो सकता है. हालांकि, यह एक काल्पनिक और बेहद असंभावित परिदृश्य है, लेकिन यह भारतीय अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों पर संभावित प्रभाव को उजागर करता है.
ट्रंप के टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित सेक्टर
अगर ट्रंप प्रशासन की ओर से इस तरह का टैरिफ लागू किया जाता है, तो कृषि, शिकार, वानिकी और मछली पकड़ने पर सबसे अधिक असर पड़ेगा. इससे 1,543.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होगा.
ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित अन्य क्षेत्र
- वित्तीय क्षेत्र: 1,426.9 मिलियन डॉलर का संभावित नुकसान
- रसायन और रासायनिक उत्पाद: 1,106.5 मिलियन डॉलर का नुकसान
- वस्त्र और कपड़ा उद्योग: 1,076.0 मिलियन डॉलर का नुकसान
- मूल धातु और धातु निर्माण: 804.7 मिलियन डॉलर का नुकसान
- खनन और उत्खनन: 512.4 मिलियन डॉलर का नुकसान
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर प्रभाव
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप के टैरिफ का भारतीय निर्यात-आधारित उद्योगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की व्यापार वार्ताएं चल रही हैं, जिनका उद्देश्य टैरिफ से जुड़े विवादों को हल करना और द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाना है.
टैरिफ दरों में बदलाव का विश्लेषण
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ 2018 में 2.72% था, जो 2021 में बढ़कर 3.91% हो गया. हालांकि, 2022 में यह मामूली घटकर 3.83% रह गया. वहीं, भारत की ओर से अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ 2018 में 11.59% था, जो 2022 में बढ़कर 15.30% हो गया.
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नीति निर्माताओं की रणनीति
वैश्विक व्यापार की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए, भारतीय नीति निर्माता निर्यात क्षेत्रों को सुरक्षित रखने और संभावित आर्थिक झटकों को कम करने के लिए रणनीतिक व्यापार समझौतों पर जोर दे रहे हैं. एसबीआई की यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण संकेत देती है कि ट्रेड वॉर और टैरिफ प्रतिबंधों का उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर बड़ा असर हो सकता है.
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