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ट्रंप के टैरिफ वॉर से भारत समेत इन दो देशों को भी होगा नुकसान, एसएंडपी ने जताई आशंका

Trump Tarrif War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापारिक प्रतिशोध लेने के लिए अपने सहयोगी देशों पर जवाबी शुल्क लगाना शुरू कर दिया है. अपना पद भार संभालने के साथ ही उन्होंने एक बार फिर टैरिफ वॉर छेड़ दिया है, जिसका असर दुनिया के तमाम देशों पर दिखाई देगा. ट्रंप के निशाने पर भारत भी है और वे भारत से अमेरिका निर्यात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की बात कर रहे हैं. रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने इसी बात पर आशंका जाहिर की है.

Trump Tarrif War: अमेरिका की ओर से छेड़े गए टैरिफ वॉर का सबसे अधिक असर भारत, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड पर पड़ने की संभावना है. एसएंडपी ग्लोबल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के व्यापारिक फैसलों से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान हो सकता है. रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने सोमवार 24 फरवरी 2025 को जारी अपनी रिपोर्ट ‘अमेरिकी व्यापार शुल्क से एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ने की संभावना’ में कहा कि वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया जैसी अर्थव्यवस्थाओं का अमेरिका के प्रति आर्थिक जोखिम अपेक्षाकृत अधिक है. इसका अर्थ है कि यदि शुल्क लगाया गया, तो इनपर इसका सबसे बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ेगा.

भारत-जापान पर असर कम

एसएंडपी ने कहा, ‘‘भारत और जापान की अर्थव्यवस्थाएं घरेलू रूप से अधिक उन्मुख हैं, जिससे इन शुल्क का असर उन पर कुछ कम होगा.’’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारत सहित अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगाएंगे. नया अमेरिकी प्रशासन पहले ही चीन से आयात पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाने के साथ-साथ इस्पात और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ लागू कर चुका है.

एशिया-प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं पर मंडरा रहा जोखिम

एसएंडपी ने कहा, ‘‘ हमारा मानना ​​है कि यह इसका अंत नहीं हो सकता. अनिश्चितता बहुत अधिक है, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने साझेदार अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापार टैरिफ लगाने में काफी बेबाकी दिखाई है. द्विपक्षीय वार्ता भी परिणामों को प्रभावित कर सकती है. हालांकि, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की कई अर्थव्यवस्थाएं इसके दायरे में हैं और आर्थिक गतिविधियों के लिए जोखिम मंडरा रहा है.’’

जवाबी शुल्क कार्रवाई की होगी जांच

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कुछ स्थान अमेरिकी उत्पादों पर अमेरिका की ओर उनके उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ के मुकाबले काफी अधिक शुल्क लगाते हैं. उन अर्थव्यवस्थाओं पर ‘जवाबी शुल्क कार्रवाई’ के लिए संभावित जांच की जाएगी. एजेंसी ने कहा, ‘‘इस पर नजर रखना मुश्किल है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी प्रशासन टैरिफ की तुलना किस स्तर पर करेगा. नतीजे बहुत अलग हो सकते हैं, जो लागू किए गए विवरण के स्तर पर निर्भर करेगा.’’

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व्यापारिक प्रतिशोध का सबसे अधिक असर

अपनी रिपोर्ट में एसएंडपी ने एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिकी उत्पादों पर भारित औसत शुल्क दरों, उन्हीं अर्थव्यवस्थाओं से आयात पर अमेरिकी शुल्क और दोनों के बीच अंतर पर गौर किया. एसएंडपी ने कहा, ‘‘प्रभावी शुल्क के ये अनुमान आयात शुल्क लगाने का एक उपयोगी संकेतक हैं. परिणाम बताते हैं कि भारत उसके बाद दक्षिण कोरिया और थाईलैंड पर इस मानदंड के आधार पर व्यापारिक प्रतिशोध का सबसे अधिक असर हो सकता है.’

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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