Uttar Pradesh: भारत के कुल 2.4 करोड़ टन आम के उत्पादन में उत्तर प्रदेश एक तिहाई का योगदान करता है. इस मात्रा में दशहरी, लंगड़ा, चौसा और आम्रपाली किस्म के आम शामिल हैं. आईसीएआर-केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने कहा है कि भारत के उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई भारी बारिश के बाद आम की फसल पर कीटों और रोगों के हमले का खतरा मंडराने लगा है, जो आम उत्पादकों के लिए एक नई समस्या है. आम के बागानों में लगातार बढ़ रही नमी और तापमान में गिरावट ने कीट प्रकोप के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना दी हैं, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
खतरे में पड़े बाजारों में मिलने वाले आम
दामोदरन के अनुसार, यदि फल मक्खियों पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो बाजार में आमों के साथ इन मक्खियों की संख्या भी बढ़ सकती है. नियंत्रण न होने की स्थिति में, जब तक आम बाजार में पहुंचते हैं, तब तक मक्खियों की आबादी काफी अधिक हो चुकी होगी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ और मलिहाबाद जैसे आम उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के कारण खेतों में जलभराव हो गया है और फल झड़ने लगे हैं.
कैसे होगी आम कि सुरक्षा
दामोदरन की सलाह है कि मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप आम की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी उपाय है. यह ट्रैप बाजार में आसानी से उपलब्ध है और इसे 1.5 से 2 मीटर की ऊंचाई पर लटकाकर प्रयोग में लाया जा सकता है. इसे पेड़ की छाया में, अर्ध-छायादार स्थानों पर लगाना अधिक लाभकारी माना जाता है.
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बागवानी विशेषज्ञों की चेतावनी
कृषि वैज्ञानिकों और बागवानी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस मौसम में खासतौर पर फ्रूट फ्लाई, स्यूडोस्टेम बोरर और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे कीट और फफूंद तेजी से फैल सकते हैं. इनका समय पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आम की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बुरा असर पड़ सकता है.
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