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पूरा भारत नहीं जानता सबसे अमीर किसानों का नाम, जान जाएगा तो करने लगेगा करोड़ों की खेती

Richest Farmers in India: खेती अब केवल पारंपरिक पेशा नहीं रह गया है, बल्कि पैसा कमाने का एक सुनहरा अवसर बन गया है. खेती-किसानी के सही ज्ञान और आधुनिक तकनीकों से करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं. देश के कई किसान इस बात के प्रमाण हैं कि मेहनत, तकनीकी इनोवेशन और सही रणनीति से खेती भी अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है. ये किसान न केवल खुद आर्थिक रूप से मजबूत बने हैं, बल्कि देश के दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं.

Richest Farmers in India: भारत में बरसों से बुजुर्गों के मुंह हम आप एक कहावत ‘उत्तम खेती, मध्यम बान…नीच चाकरी भीख निदान’ सुनते आए हैं. जमाना बदला और बुजुर्गों की यह कहावत भी बदलकर उल्टी हो गई और लोग को उत्तम और खेती को दोयम दर्जे का काम मानने लगे. लेकिन, आज भी लोगों का पेट खेती से ही भरता है और आज भी अपने देश में खेती करके कई ऐसे किसान हैं, जो सबसे अधिक अमीर किसानों के तौर पर जाने जाते हैं. आज भारत के लोग इन अमीर किसानों के बारे में नहीं जानते. आइए, हम देश के सबसे बड़े 5 अमीर किसानों के बारे में जानते हैं.

उत्तर प्रदेश के पद्मश्री रामशरण वर्मा

किसान तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के दौलतपुर के रहने वाले रामशरण वर्मा भारत के सबसे अमीर किसानों में से एक हैं. उन्होंने 1986 में केवल 6 एकड़ भूमि से खेती की शुरुआत की थी और आज उनके पास 300 एकड़ से अधिक खेती की जमीन है. रामशरण वर्मा मुख्य रूप से सब्जियों की खेती करते हैं और उनका सालाना टर्नओवर लगभग 2 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. उनकी कृषि तकनीकों और योगदान को देखते हुए 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

राजस्थान के रमेश चौधरी

जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के जयपुर निवासी रमेश चौधरी भी भारत के प्रमुख अमीर किसानों में से एक हैं. उन्होंने अपनी खेती को आधुनिक बनाने के लिए तीन पाली हाउस और एक ग्रीनहाउस स्थापित किया है, जहां वे टमाटर, खीरा और फूलों की खेती करते हैं. इसके अलावा, वे मक्का की भी खेती करते हैं. उनकी मेहनत और तकनीकी खेती के कारण उनका सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है.

महाराष्ट्र के प्रमोद गौतम ने छोड़ी इंजीनियरिंग

महाराष्ट्र के प्रमोद गौतम पहले एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर थे, लेकिन 2006 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर 26 एकड़ भूमि पर खेती शुरू की. शुरुआत में हल्दी और मूंगफली की खेती में उन्हें नुकसान हुआ, लेकिन फिर उन्होंने संतरा, अंगूर, केला, नींबू और अमरूद की बागवानी शुरू की. इससे उन्हें भारी मुनाफा हुआ. इसके बाद, उन्होंने एक दाल मिल भी स्थापित की, जिससे उनकी आय में और वृद्धि हुई.

छत्तीसगढ़ के सचिन काले ने खेती के लिए छोड़ी नौकरी

सचिन काले ने 2014 में अपनी नौकरी छोड़कर कांट्रैक्ट फार्मिंग की एक कंपनी स्थापित की, जिससे कई किसानों को लाभ हुआ. उनकी कंपनी किसानों के साथ मिलकर काम करती है और आधुनिक खेती के तरीकों का उपयोग करके उत्पादकता बढ़ाती है. सचिन का वार्षिक टर्नओवर लगभग 2.5 करोड़ रुपये है, जिससे वे भारत के सबसे अमीर किसानों में गिने जाते हैं.

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राजस्थान के हरीश धन देव भी कभी थे इंजीनियर

हरीश धन देव एक इंजीनियर थे. उन्होंने नौकरी छोड़ खेती की ओर कदम बढ़ाया और आज वे राजस्थान के सफल किसानों में से एक हैं. उन्होंने एलोवेरा की खेती शुरू की और अब लगभग 100 एकड़ भूमि में एलोवेरा उगा रहे हैं. उनकी मेहनत और व्यवसायिक दृष्टिकोण के चलते उनका वार्षिक टर्नओवर लगभग 2 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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