Success Story in Hindi: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. हर साल इस परीक्षा में 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी आवेदन करते हैं, लेकिन सफलता का मुकाम केवल 800 से 1000 उम्मीदवार ही हासिल कर पाते हैं. कड़ी प्रतिस्पर्धा और जटिल परीक्षा प्रक्रिया के कारण अधिकांश उम्मीदवारों को कई प्रयासों के बाद सफलता मिलती है.
इस परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों में कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े होते हैं, तो कुछ साधारण कॉलेजों और मध्यम वर्गीय परिवारों से भी होते हैं. कई बार आर्थिक तंगी और विपरीत परिस्थितिया भी इनके सपनों के आड़े आती हैं, लेकिन मजबूत इरादों और सही रणनीति से वे अपने लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं.
आज हम एक ऐसे ही होनहार उम्मीदवार की प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं—उत्तर प्रदेश के बजरंग प्रसाद यादव. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में टॉप कर न केवल आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया, बल्कि अपनी आर्थिक चुनौतियों को भी पार कर एक मिसाल कायम की.
Success Story: बजरंग प्रसाद यादव
संघर्ष, साहस और दृढ़ निश्चय की मिसाल है बजरंग प्रसाद यादव की कहानी. असाधारण परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद उनका जीवन सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले बजरंग प्रसाद यादव ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में सफलता पाने के लिए ‘हिंदी साहित्य’ को अपना वैकल्पिक विषय चुना. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में 454वीं रैंक हासिल कर उन्होंने साबित कर दिया कि मुश्किलों के बावजूद भी सफलता हासिल की जा सकती है. इस सफलता को पाने के लिए उन्होंने अपनी ट्यूशन फीस भरने के लिए घर का अनाज तक बेच दिया था. आइए जानते हैं उनके संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी.
पिता की हत्या से शुरू हुआ संघर्ष
बजरंग प्रसाद की जिंदगी आसान नहीं थी. जब वो 10वीं क्लास में थे, तब उनके पिता की हत्या कर दी गई थी. इस दुखद घटना के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. उन पर और उनके परिवार पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पिता की मौत ने उन्हें झकझोर दिया, लेकिन उन्होंने इस दुख को अपनी ताकत बना कर यूपीएससी परीक्षा को क्रैक किया.
Bajrang Prasad Yadav IPS in Hindi: शिक्षा और कड़ी मेहनत
बजरंग प्रसाद ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उनका सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए. उन्होंने खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखा और लगातार प्रयास करते रहे और आखिरकार 454वीं रैंक हासिल कर सफलता हासिल की.
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सफलता की राह
कई प्रयासों के बाद उन्होंने 2023 में यूपीएससी परीक्षा में 454वीं रैंक हासिल की. यह न केवल उनके लिए बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व की बात थी. बजरंग प्रसाद की सफलता उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.
प्रेरणा और संदेश
बजरंग प्रसाद कहते हैं कि कठिनाइयां जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे तो कोई भी बाधा उसका रास्ता नहीं रोक सकती. उनका संघर्ष और सफलता यह साबित करती है कि सच्ची मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों से घबरा जाते हैं और हार मान लेते हैं. बजरंग प्रसाद ने साबित कर दिया है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हों, अगर हौसला बुलंद हो तो हर सपने को हकीकत में बदला जा सकता है.
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