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Success Story: मुश्किलें थीं…पर नहीं मानी हार, पहले JEE और फिर UPSC Topper बना चायवाले का बेटा

किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही दिशा में मेहनत और प्रयास करना जरूरी है. जानिए कैसे राजस्थान के एक गरीब परिवार से आए देशलदान रतनू ने बिना कोचिंग और हिंदी मीडियम से UPSC क्लियर किया. पढ़ें उनकी संघर्ष और सफलता की असली कहानी (UPSC Success Story) जो सभी छात्रों को प्रेरणा देने वाली है.

IAS Success Story in Hindi: अगर मेहनत सही दिशा में की जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. कहा जाता है कि सपने पूरे करने से पहले सपने देखना जरूरी है. हम जो सोच सकते हैं तो कर सकते हैं और हम वह सोच सकते हैं जो हमने आज तक नहीं सोचा. ऐसा है कि कुछ कर दिखाया है राजस्थान के लाल ने. संघर्ष बहुत था पर चायवाले के बेटे के कदम नहीं रुके और सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा UPSC में झंडा गाड़ दिया. आइए जानते हैं इस सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जो आपके प्रेरणा और आत्मविश्वास से भर देगी.

जैसलमेर के हैं निवासी (IAS Success Story in Hindi)

रिपोर्ट्स और रिसर्च के मुताबिक, राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे देशलदान रतनू (Deshaldan Ratnu) का बचपन संघर्षों से भरा था. उनके पिता एक चाय की दुकान चलाते थे और परिवार की आर्थिक हालत बहुत कमजोर थी. सात भाई-बहनों में से सिर्फ देशल और उनके बड़े भाई ने ही स्कूल की पढ़ाई की, बाकी बच्चे मजदूरी या दुकान पर मदद करते थे.

पढ़ाई के साथ मुश्किलें भी आईं (Success Story)

देशल ने 10वीं तक की पढ़ाई एक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से की. इसके बाद वो कोटा गए और 12वीं के बाद JEE क्लियर करके IIIT जबलपुर में दाखिला लिया. इंजीनियरिंग करते समय ही उन्होंने तय कर लिया था कि वे UPSC की तैयारी करेंगे, लेकिन कोचिंग के पैसे नहीं थे और इसलिए उन्होंने खुद से तैयारी की.

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भाई की मौत बनी प्रेरणा (Success Story)

देशल के बड़े भाई भारतीय नौसेना में थे. ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गई, जो परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका था. लेकिन देशल ने इसे कमजोरी नहीं बनने दी, बल्कि यही उनकी ताकत और प्रेरणा बन गई.

बिना कोचिंग के बने IAS (UPSC Success Story)

कठिन हालातों, आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के बावजूद देशल ने हार नहीं मानी. उन्होंने 2017 में पहली बार में UPSC परीक्षा पास की और 82वीं रैंक लाकर IAS अधिकारी बन गए. सबसे खास बात यह है कि उन्होंने यह सफलता हिंदी मीडियम से और बिना कोचिंग के हासिल की.

छात्रों के लिए संदेश (UPSC Topper Success Story in Hindi)

देशलदान रतनू की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती. उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से हर छात्र को सीख लेनी चाहिए.

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Shubham
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