Wing Commander Vyomika Singh Education in Hindi: में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर तड़के जवाबी कार्रवाई की. 7 मई को हुए इस सटीक और सीमित ऑपरेशन को नाम दिया गया ऑपरेशन सिंदूर. इस खास मिशन की एक बड़ी ताकत बनीं भारतीय वायुसेना की हेलिकॉप्टर पायलट, विंग कमांडर व्योमिका सिंह.
इस मिशन के बाद पहली बार सेना की तरफ से दो महिला अधिकारियों, व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी, ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑपरेशन की जानकारी दी. यह सेना के इतिहास में महिलाओं की एक नई भागीदारी का प्रतीक बन गया. (Indian Air Force women pilots in Hindi)
Vyomika Singh Education: बचपन से था उड़ान भरने का सपना
व्योमिका का नाम ही उनके जुनून को बयां करता है. व्योमिका का मतलब होता है “आकाश में रहने वाली”. छठी कक्षा से ही उन्होंने पायलट बनने का सपना देखा. उन्होंने एनसीसी में हिस्सा लिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर सेना में शामिल हुईं. वे अपने परिवार की पहली सदस्य हैं, जिन्होंने वर्दी पहनी.
18 दिसंबर 2019 को उन्हें भारतीय वायुसेना में हेलिकॉप्टर पायलट के तौर पर स्थायी कमीशन मिला. अब तक उनके नाम 2,500 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है. उन्होंने चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत की कठिन पहाड़ियों में उड़ाया है.
Wing Commander Vyomika Singh: मुश्किल मिशनों की माहिर
2020 में अरुणाचल प्रदेश में जब मौसम बिगड़ा और कई जिंदगियां खतरे में थीं, तब व्योमिका ने एक जोखिम भरे रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाली. 2021 में वे एक ऑल-वुमन सैन्य दल के साथ 21,650 फीट ऊंचे माउंट मणिरंग पर चढ़ीं. इस मिशन को तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने सराहा. उन्हें अब तक एयर चीफ और एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ से प्रशंसा पत्र मिल चुका है.
ऑपरेशन सिंदूर में निभाई अहम भूमिका
व्योमिका ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ‘मॉक ड्रिल’ यानी अभ्यास अभियानों की अहमियत को बताया. उन्हीं तैयारियों की वजह से सेना ने आतंकियों के खिलाफ तेज, सटीक और सीमित जवाबी हमला किया. यह हमला इतना सुनियोजित था कि दुश्मन संभल ही नहीं पाया.
पढ़ें: पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले एयर मार्शल भारती, झारखंड के इस स्कूल से की है पढ़ाई
नई पीढ़ी के लिए मिसाल
आज विंग कमांडर व्योमिका सिंह साहस, आत्मबल और प्रेरणा की मिसाल बन गई हैं. उन्होंने यह साबित कर दिया कि बेटियां भी आकाश की ऊंचाइयों को छू सकती हैं बस हौसले बुलंद होने चाहिए.