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100 Years Of Guru Dutt :जब गुरुदत्त ने पेमेंट बकाया होने पर वर्कर्स को दे दिए थे पत्नी गीता दत्त के गहने..

गुरुदत्त की जन्मशताब्दी पर उनके परिवार के करीबी रहे फिल्मकार उदय शंकर पाणी ने उनसे जुड़े कई किस्सों को इस इंटरव्यू में सांझा किया है.

100 years of guru dutt :अपने जमाने के महान फिल्मकार व अभिनेता गुरुदत्त ने न केवल स्क्रीन पर दो दशकों पर राज किया, बल्कि लोगों के दिलों में भी खास जगह बनायी. 1950 और 60 के दशक में प्यासा, कागज के फूल और साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्मों के जरिये उन्होंने हिंदी सिनेमा को नया आयाम दिया. गीत, कैमरा एंगल और लाइट का ऐसा प्रयोग किया कि दृश्य खुद बोल उठे. उनकी जन्मशती पर उनके पारिवारिक मित्र व फिल्मकार उदय शंकर पाणी ने गुरुदत्त से अपने जुड़ाव को साझा किया है, जो उनके बेटों के खास दोस्त भी रहे हैं.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत .

गुरुदत्त के परिवार के करीब रहा हूं 

गुरुदत्त के बेटे अरुण दत्त ने अपने पिता के फिल्म इंडस्ट्री में 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में साल 2004 में ‘गुरु ऑफ सेल्युलॉइड’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण किया था. इस फिल्म के निर्माण की पूरी जिम्मेदारी मैंने संभाली थी. मैं उनके परिवार के बेहद करीब रहा हूं. उनके दोनों बेटे तरुण दत्त और अरुण दत्त मेरे अच्छे दोस्त रहे हैं. दरअसल, तरुण दत्त के साथ मैंने एक एड एजेंसी चलायी थी.मैं और अरुण निर्देशक विजय आनंद के असिस्टेंट डायरेक्टर थे. उसके बाद अरुण दत्त ने कई फिल्मों में मुझे असिस्ट भी किया था, जब मैं नारी हीरा और गुलशन कुमार के लिए फिल्में बना रहा था. जानना दिलचस्प होगा कि मेरी शादी गुरुदत्त के कैमरे से रिकॉर्ड की गयी थी, जिसे अरुण लाये थे. गुरुदत्त की फिल्मों के राइट्स अल्ट्रा फिल्म्स के पास हैं. मैंने उनसे उनकी जन्मशती (9 जुलाई) पर फिल्म फेस्टिवल या एक बड़ा कार्यक्रम करने की बात की थी, जिस पर उन्होंने हामी भी भरी, मगर अब तक कोई तैयारी नहीं हुई. ना उन्होंने करने दिया, ना ही खुद कुछ किया. उनके सबसे छोटे भाई देवी दत्त की तबीयत ठीक नहीं रहती और बेटी नीना पुणे में रहती हैं. गुरुदत्त के परिवार के करीबी होने की वजह से उनसे जुड़े कई सुने-अनसुने किस्सों का गवाह रहा हूं.

ईमानदारी ऐसी कि गीता जी के गहने तक दे दिये

गुरुदत्त जी बहुत ही ईमानदार शख्स थे. उन्होंने ‘कागज के फूल’ व ‘प्यासा’ बनायी. दोनों फिल्में नहीं चलीं. उस वक्त वह पाली हिल में रहते थे. उनकी फिल्मों से जुड़े वर्कर्स वहां पहुंचकर चिल्लाने लगे कि हमारा पैसा दीजिये. उनकी लाइफ में यह पहली बार हुआ था. उस वक्त वह फ्लोर पर बैठकर खा रहे थे. उन्होंने वर्कर्स के लीडर को अंदर बुलाया और गीता जी को कहा कि तुम्हारे पास जितना सोना है, वो लेकर आओ. वह गहनों से भरी पोटली लेकर आ गयीं. उन्होंने वर्कर के लीडर को पोटली देते हुए कहा, ये सोना लीजिये और आपस में बांट लीजिये. फिर भी जो बैलेंस होगा, मैं घर गिरवी करके दे दूंगा. जब वर्कर्स को यह बात पता चली, तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि वे भाभीजी के गहनों को हाथ भी नहीं लगायेंगे. आपके पास जब भी पैसे आयेंगे, हम तभी लेंगे.गुरुदत्त जी ने अपने साथ काम करने वालों का एक भी पैसा कभी बकाया नहीं रखा था लेकिन लगातार दो फिल्में फ्लॉप होने पर चीज़ें थोड़ी मुश्किल हो गयी थी. वर्कर्स को भी यह बात उनकी पता थी.

बेटों को थी गुरुदत्त से ये शिकायत

गुरुदत्त अपने परिवार को बेहद चाहते थे लेकिन वह थोड़े शार्ट टेम्पर थे. उनको कब गुस्सा आ जाए कोई नहीं जानता था इसलिए बच्चे उनसे थोड़ा डरते थे लेकिन उनके बेटों को इससे शिकायत नहीं थी.सिर्फ एक बात से उन्हें अपने पिता से शिकायत थी.यह बात सभी जानते हैं कि गुरु दत्त ने सिंगर गीता दत्त को शादी के बाद दूसरे प्रोडक्शन हाउसेज के लिए शादी के बाद गाने से मना कर दिया था. इस बात से बेटे अरुण को शिकायत थी. उसने बताया था कि जब उनकी मां और पिता की शादी हुई थी. उस वक्त गुरुदत्त स्ट्रगलिंग डायरेक्टर थे, जबकि गीता जी बड़ी स्टार थीं, पर सिर्फ गुरुदत्त प्रोडक्शन के लिए गाने की वजह से वह इंडस्ट्री से दूर हो गयी थीं. उनका पूरा करियर खत्म हो गया. अरुण का मानना था कि अगर उनकी मां का सिंगिंग करियर होता, तो वह खुद को नशे के हवाले नहीं करते, जिसने बाद में उनकी जान ले ली.

मौत से पहले बुक की थी क्रिकेट मैच की टिकट

अरुण से जो भी मेरी बातचीत है. उसके आधार मैं ये कह सकता हूं कि वह सुसाइड नहीं कर सकते हैं. हां, उन्होंने अपनी बेटी नीना को गीता जी को भेजने को कहा था, पर उन्होंने अपनी बेटी को पेडर रोड नहीं भेजा, क्योंकि उस वक्त गुरुदत्त नशे में रहते थे और थोड़ा वह उनसे खफा भी थीं. गुरुदत्त नींद की दवाइयों को शराब में मिलाकर लेते थे. उनका दिवालिया हो गया था. फिल्में नहीं मिल रही थी. इस तरह की बातों को अरुण ने गलत बताया था.उनके पास काम था.वह अपनी अगली दो फिल्मों की प्लानिंग कर रहे थे. अरुण ने मुझे यह भी बताया था कि जिस दिन उनकी मौत हुई है. उस दिन उन्होंने वानखेड़े में होने वाले क्रिकेट मैच की टिकट बुक की थी और अरुण कहा था कि अगले दिन होने वाले इस मैच में हम साथ में चलेंगे. जो व्यक्ति आत्महत्या की सोच में हो, उसके कुछ व्यवहार अलग होते हैं. अरुण ने मुझे बताया था कि उस दिन गुरुदत्त की अपने सीए से बहस भी हुई थी. फिल्म भरोसा की सफलता पर उसके प्रोड्यूसर ने उन्हें सोना गिफ्ट किया था, जो उनकी मौत के बाद मिला ही नहीं. यह सब सुनकर मुझे थोड़ा संदेह होता है.

बहुत इनोवेटिव फिल्मकार थे

गुरुदत्त बेहद इनोवेटिव थे. उनके पास 100 एमएम का लेंस था, जो उस दौर की फिल्मों में इस्तेमाल नहीं होता था. वह लेंस अब भी मेरे पास है. उनके पास एक खास इफेक्ट्स ट्रॉली भी थी, जो गुरुदत्त फिल्म्स बंद होने के बाद अरुण मुझे देना चाहता था, पर घर में जगह न होने के कारण नहीं रख सका. अब अफसोस होता है. मुझे नहीं लगता कि गुरुदत्त जैसा इनोवेशन कोई और कर सका. ‘साहिब बीवी और गुलाम’ के मुजरा गीत साथिया तेरे बिना…की शूटिंग इसका उदाहरण है. उस फिल्म से भले ही अबरार अल्वी का नाम जुड़ा हो, पर असल निर्देशन गुरुदत्त ने ही किया था. उस गीत की शूटिंग में बैकग्राउंड डांसर की जरूरत थी, पर जब गुरुदत्त जी ने बैकग्राउंड डांसर को देखा तो वह खुश नहीं हुए थे. वह कलर में डार्क था. रिप्लेस के लिए समय नहीं था. गुरुदत्त ने आइडिया निकाला. उन्होंने बैकग्राउंड डांसर को शैडो में और मुख्य डांसर पर लाइट रख दिया. इस तरह का इनोवेशन शायद ही उस वक्त फिल्मों में देखा गया था.

जब वहीदा ने गुरुदत्त के खिलाफ चुना अलग रास्ता

उस वक्त स्टूडियो सिस्टम का चलन था, जहां निर्माता पैसे देते थे. गुरु दत्त ने गीता दत्त ही नहीं, बल्कि वहीदा जी के लिए भी यह नियम बनाया था कि वह बिना उनकी मर्जी के दूसरे बैनर की फिल्मों में काम नहीं कर सकती थीं. उनमें खास बॉन्डिंग थी, लेकिन समय के साथ वह कमजोर भी हुई.फिल्म मुझे जीने दो से वहीदा जी बिना गुरुदत्त को बताये जुड़ी थीं. गुरुदत्त इससे इतना आहत हुए कि ड्रिंक करके सीधे फिल्म के सेट पर पहुंच गये थे, मगर वहीदा जी अडिग थीं कि वह ये फिल्म जरूर करेंगी. यह गुरुदत्त की मौत से तीन साल पहले की बात है. तब तक दोनों में काफी दूरी आ चुकी थी, इसलिए वहीदा जी का उनकी मौत से कोई सीधा संबंध नहीं कह सकते हैं.

जानवरों से बहुत था लगाव

गुरुदत्त को जानवरों से बहुत लगाव था. पाली हिल में उनके घर पर दो गाय थी. तीन चार उनके कुत्ते भी थे. जिनके साथ समय बिताना उन्हें बहुत पसंद था. वह फिशिंग को भी एन्जॉय करते थे. पवई लेक पर जाकर फिशिंग करना उन्हें बहुत सुकून देता था.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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