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All We Imagine As Light: सेट पर करना पड़ा था कोबरा का सामना..निर्देशिका पायल कपाड़िया का खुलासा

कान फिल्म फेस्टिवल में इतिहास रचने के बाद फिल्म आल वी इमेजिन एज लाइट इनदिनों थिएटर में रिलीज हुई है. इस फिल्म की मेकिंग से जुड़े दिलचस्प पहलुओं के बारे में निर्देशिका पायल कपाडिया ने इस इंटरव्यू में बताया है.

all we imagine as light :इस बार 77वां कान फिल्म फेस्टिवल भारतीयों के लिए बेहद खास रहा था, क्योंकि इसमें पायल कपाड़िया निर्देशित फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ ने ग्रैंड प्रिक्स अवॉर्ड जीत कर इतिहास रच दिया था. दरअसल, 30 साल बाद यह मौका किसी भारतीय फिल्म को मिला था. वहीं, पायल पहली भारतीय महिला निर्देशिका हैं, जिनकी फिल्म कान के इस कैटेगरी में प्रदर्शित की गयी थी. यह फिल्म 22 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस फिल्म की मेकिंग से लेकर कान फिल्म फेस्टिवल तक पहुंचने के सफर पर पायल कपाड़िया की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

प्रतिस्पर्धा में जाने की खबर सुनकर ही हमने कर ली थी पार्टी

77वें कान फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत में मुझे बताया गया था कि मेरी फिल्म किसी और सेक्शन में दिखायी जायेगी. सच कहूं, तो मुझे यह सुनकर काफी खुशी हुई थी. अचानक जिस दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी, मुझको शाम में ईमेल आता है कि आपकी फिल्म को हम कंपटीशन में डाल रहे हैं. मैं बताना चाहूंगी जैसे ही हमारी फिल्म कंपटीशन में गयी. हम इतने खुश हुए कि हम सब जाकर पार्टी करने लगे थे. हम अवार्ड भी जीत लेंगे, यह बात मेरे जेहन में नहीं थी. मुझे लगता है कि हम फिल्म मेकर्स जीत के बारे में कम सोचते हैं.

अस्पताल आने-जाने के क्रम में आया फिल्म बनाने का आइडिया

मेरे पिता की उम्र बहुत ज्यादा है. मेरे पिता डिमेंशिया की बीमारी से जूझ रहे हैं, तो अक्सर हम हॉस्पिटल आते-जाते रहते हैं. डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आपको इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती, बल्कि इसमें लंबा प्रोसेस चलता है. मैंने अपना बहुत सारा वक्त हॉस्पिटल के वेटिंग रूम में गुजारा है. मेरी एक और करीबी रिश्तेदार अस्पताल में थीं, जिस वजह से भी मैं अस्पताल जाती रहती थीं. इस दौरान मैंने नर्सेज से बहुत अच्छी दोस्ती कर ली थी, तो आप कह सकती हैं कि मैंने अपना बहुत सारा वक्त अस्पताल में गुजारा है, जिस वजह से मुझे इस कहानी का आइडिया मेरे अंदर आया होगा. मुझे लगा कि मैं नर्स और अस्पताल को जोड़ते हुए और भी बहुत कुछ कह सकती हूं.

90 साल की एक नन ने दिया है फिल्म में पियानो का म्यूजिक

हमारी फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक में पियानो और गिटार का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ है. फिल्म में अनु और रियाज की जब लव स्टोरी आती है, तो पियानो ज्यादा बजता है. वह कहीं ना कहीं उनके रोमांस को दर्शाता है. वह पियानो कंपोजिशन किया है यूथोपिया की एक नन ने. उनका नाम एमाहे सेबरू था. वह 90 साल की थीं और पिछले साल उनका निधन हो गया. मेरे फिल्म के निर्माता फ्रेंच हैं और उन्होंने ही मुझे उनके बारे में बताया था. मैं उनसे मिली और उनकी कंपोजिशन को सुनी, तो लगा वाकई वह सही पसंद है.

मानसून में भी कृत्रिम बारिश करवानी पड़ी थी

वर्ष 2018 में पहली बार मैंने इस फिल्म की कहानी का एक सिनॉप्सिस पेज पर लिखा था. उसके बाद मैंने एक और फिल्म बनायी. चार साल बाद 2022 में मैंने दोबारा इस फिल्म पर काम शुरू किया. इसी साल
मैंने इसका पूरा प्री प्रोडक्शन किया. अगले साल 2023 में हमने शूट किया और अगले साल 2024 में हमारी फिल्म आपके पास आ गयी. यह बात शब्दों में बोलने में आसान लग रही है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था. फिल्म मेकिंग एक ऐसी चीज है, जो हमें बहुत सबक सिखाती है. शूटिंग के कुछ दिन पहले जिस अस्पताल में हम शूट करने वाले थे. उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद हमने सेट बनाकर शूट किया. सेट बनाने की अपनी जद्दोजहद थी. फिल्म के लिए हमको जिस दिन बारिश चाहिए होती थी. उस दिन बारिश नहीं होती थी. जब सीन में बारिश नहीं चाहिए तो बारिश हो रही होती थी. मुंबई में मानसून के सीजन में हमलोग कृत्रिम बारिश करवाकर शूट कर रहे थे. लोग हम पर हंस रहे होते थे. हमारे रत्नागिरी शूटिंग शेड्यूल में एक दिन सेट पर कोबरा आ गया था. मेरे फ्रेंच प्रोड्यूसर ने कभी अपनी जिंदगी में सांप नहीं देखा था और कोबरा देखकर तो वह लोग उछल पड़े थे. इसके बाद हमें सांप पकड़ने वाले को बुलाना पड़ा. हमारे ज्यादातर एक्टर्स नंगे पैर ही शूट कर रहे थे.

इंटिमेट सीन की शूटिंग के वक्त सेट पर थीं केवल महिलाएं

एक महिला निर्देशक होने के नाते मेरी ये सभी से अपील है और खुद भी कोशिश रहेगी कि हमें वर्क कल्चर अच्छा बनाना ही होगा, जहां पर महिलाएं बहुत ही सेफ और सिक्योर महसूस कर सकें. इस पर हमें लगातार काम करना पड़ेगा, क्योंकि यह एक दिन में नहीं होने वाला है. मैं अपनी फिल्म की बात करूं, तो फिल्म में एक जगह इंटिमेसी की सीन है. उसकी शूटिंग के वक्त सेट पर सिर्फ लेडीज थीं. मैंने सीन की शूटिंग में इंटिमेट कोऑर्डिनेटर का भी इस्तेमाल किया था. हमारी जो इंटिमेट कोऑर्डिनेटर हैं, खुद भी एक्टर थीं. उन्हें पता था कि कहां पर एक्ट्रेस को ज्यादा कंफर्टेबल करना है.

थिएटर में रिलीज की बहुत खुशी है

मेरी फिल्म को लेकर भारत में जो सपोर्ट अब मिलना शुरू हुआ है, उससे मैं बहुत खुश हूं. अब हमारे पास हमारे डिस्ट्रीब्यूटर है. किसी इंडिपेंडेंट फिल्म को डिस्ट्रीब्यूशन मिलना ही बहुत बड़ी बात है, वरना ऐसी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही जाती हैं. मगर मेरी फिल्म थिएटर में रिलीज हुई है. मैं थिएटर से बहुत प्यार करती हूं, इसलिए मैं अपनी फिल्मों को बड़े पर्दे पर देखना चाहता हूं. हमारी फिल्म को सेंसर ने भी बिना किसी कट के पास किया है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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