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Block Bookings in Bollywood :ब्लॉक बुकिंग बोले तो कलेक्शन में गोलमाल है भाई सब गोलमाल

इंडस्ट्री इन दिनों ब्लॉक बुकिंग की वजह से सवालों के घेरे में हैं. ब्लॉक बुकिंग के गहराहते सवाल को आइये करीब से जानते हैं इस रिपोर्ट में

block bookings in bollywood :बीते डेढ़ दशक में 100 करोड़ क्लब फिल्मों की सफलता का स्थापित फार्मूला बन चुके हैं. इस क्लब में फिल्मों को शामिल करने के लिए एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री नित नए जोड़ तोड़ अपनाती नजर आ रही है. नेट और ग्रॉस कलेक्शन का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब एक अलग ही बहस  शुरू हो गयी है.जिसे ब्लॉक बुकिंग कल्चर कहा जा रहा है. क्या है ये कल्चर और इंडस्ट्री से जुड़े जानकार इसे इंडस्ट्री की विश्वसनीयता को खत्म करने जैसा क्यों करार दे रहे हैं. इसकी पड़ताल करता उर्मिला कोरी का यह आलेख 

ब्लॉक बुकिंग है क्या 

जब कोई फिल्म थिएटर में रिलीज होती है और फिल्म से जुड़े मेकर्स देखते हैं  कि उनकी फिल्म को लेकर बज नहीं है या कम कलेक्शन आ रहे हैं या फिर फिल्म की वर्ड ऑफ़ माउथ पब्लिसिटी भी अच्छी नहीं है. उस केस में कभी निर्माता तो कभी खुद स्टार्स ही टिकटों को खरीद लेते हैं. कई बार दोनों मिलकर अपने कॉर्पोरेट दोस्तों की इसमें मदद लेते हैं और उन्हें बल्क में टिकट खरीदने को कह देते हैं ताकि सिनेमाघरों में हाउसफुल का बोर्ड दिखें. इसमें कॉरपोरेट हाउस अपने सभी काम करने वालों को टिकट फ्री में बाँट देते हैं.कई बार थिएटर में लोग नहीं है,लेकिन बाहर हाउसफुल का बोर्ड लगा है क्योंकि ब्लॉक बुकिंग हुई है.इसके पीछे सबसे अहम मकसद के बारे में बात की जाए तो फिल्म हाउसफुल हो रही है इससे आम लोग में फिल्म को देखने का बज बनाया जा सके.यह ब्लॉक बुकिंग  सिर्फ फिल्म के ओपनिंग डे में नहीं की जाती है कि कलेक्शन को जबरदस्त दिखाया जा सके बल्कि शनिवार रविवार को भी किया जाता है ताकि कलेक्शन अच्छा रखा जाए और कई बार फिल्म मंडे बॉक्स ऑफिस टेस्ट में फिल्म को पास करवाने के लिए भी यह किया जाता है.

इस कल्चर से एक्टर और निर्माता का फायदा !

अपने पैसे लगाकर अपनी ही फिल्म को हिट बनाने का फार्मूला सुनने में यकीन करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की मानें तो इसमें स्टार्स और निर्माता दोनों को ही अपना फायदा नजर आता है. दरअसल स्टार्स अपने पैसे लगाकार फिल्म को हिट इसलिए बनाता है ताकि वह मार्केट में यह बात साबित कर सके कि उसका स्टारडम अभी भी बरक़रार है. यह उसकी दूसरी फिल्मों में उसके फीस को बरक़रार रखता है और विज्ञापन फिल्मों में भी.निर्माता या प्रोडक्शन हाउस की ब्लॉक बुकिंग के पीछे की सोच के बारे में बात करें तो कई बार वह सिर्फ सुपरस्टार्स के ईगो को मेन्टेन रखना चाहता है ताकि उनकी दोस्ती बनी रहे और आगे भी सुपरस्टार उनके साथ काम जारी रखें जबकि ज्यादातर मामलों में  ओटीटी और सैटेलाइट डील के लिए मेकर्स ऐसा करते हैं. फिल्म ने थिएटर में अच्छी कमाई की है तो ओटीटी डील भी अच्छी मिलती है.

स्काई फाॅर्स से ब्लॉक बुकिंग की बहस हुई शुरू

इंडस्ट्री में ब्लॉक बुकिंग के कल्चर के तहत नंबर्स में हेर फेर करने में कोविड के बाद कई फिल्मों के नाम शुमार हुए थे और हाल ही में गेम चेंजर पर उंगलियां उठी, लेकिन बहस स्काई फोर्स की रिलीज के बात शुरू हुई.जब ट्रेड विश्लेषक कोमल नहाटा ने अक्षय कुमार की फिल्म स्काई फ़ोर्स पर सीधा इल्जाम लगाया था. उन्होंने कहा था कि फिल्म ने 40 करोड़ की कमाई पहले हफ्ते की थी, लेकिन फिल्म के मेकर्स मैडॉक फिल्म्स ने इस आंकड़े को 80 करोड़ बना दिया था, जो ब्लॉक बुकिंग से किया गया है . कोमल नहाटा ने प्रभात खबर के साथ हुई बातचीत में बताया कि यह कल्चर इंडस्ट्री पर भारी पड़ने वाला है.दो साल बाद यही एक्टर आँखें दिखाएंगे कि हमारी फिल्म ने दो सौ करोड़ किया. हमारी फीस ये होनी चाहिए.जो प्रोड्यूसर पैसे देकर फेक कलेक्शन कर रहे हैं.उनको ही यह भारी पड़ने वाला है. दूसरी जब कोई भी चीज झूठ के बेसिस पर टिकती है,तो वो सही नहीं होती है.कल को किसी फिल्म के असल नंबर पर भी लोग यकीन नहीं करेंगे. इंडस्ट्री अपनी विश्वसनीयता खो देगी. इससे बुरी बात क्या हो सकती है. कल को अच्छी फिल्म रिलीज होगी तो भी लोग कहेंगे कि ये लोग एक के बदले एक फ्री टिकट नहीं दे रहे हैं.हम देखने नहीं जाएंगे .हर तरह से गलत हो रहा है. मुझे पता है कि फिल्म से जुड़े लोग ब्लॉक बुकिंग की बात को नहीं मान रहे हैं. मैं कहूंगा कि अगर मैं गलत हूं तो मुझे लीगल नोटिस भेज दें. उन्हें भी पता है कि 250 शहरों में मेरे नेटवर्क हैं.जिनसे सही कलेक्शन की मेरे पास जानकारी होगी और जो लोग कह रहे हैं कि इंडस्ट्री में यह हमेशा से था,तो मैं भी मानता हूँ लेकिन आटे में स्वादानुसार नमक बराबर था. अभी तो पूरा आटा ही नमक हो गया है. पहले इसे फीडिंग कहते थे. एक्टर ने मुंबई में अपने आसपास के सिनेमाघर में दो हजार टिकट खरीद ली और अपने परिचित में दे देते थे .अब तो देशभर में 25 से 30 लाख टिकटें ब्लॉक बुकिंग के तहत खरीदी जा रही है.

छावा में भी हुई है ब्लॉक बुकिंग !

इंडस्ट्री से जुड़े एक सीनियर ट्रेड विश्लेषक अपना नाम ना छापने पर इस बात की जानकारी देते हैं कि छावा बॉक्स ऑफिस पर इनदिनों झंडे गाड़ रही है. आंकड़ा 400 पार पहुंच गया है लेकिन फिल्म के शुरुआत में 75 से 80 करोड़ की ब्लॉक बुकिंग हुई है. इसमें कुछ पैसा निर्माता ने लगाया है. उसके बाद एक राष्टीय पॉलिटिकल पार्टी ने ब्लॉक बुकिंग की जिम्मेदारी ले ली, लेकिन फिल्म को इसका फायदा मिल गया. छावा से जुड़ी ब्लॉक बुकिंग की चर्चाओं पर वेटेरन डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल कहते हैं कि उन्हें फिलहाल तो ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है.

 ये रुकना चाहिए 

इंडस्ट्री के वेटेरन डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल भी मानते हैं कि  ब्लॉक बुकिंग नेशनल लेवल पर हो रही  है.लेकिन यह हर फिल्म में नहीं हो रही है. कुछ फिल्मों में हो रही है खासकर बड़े स्टार्स और बड़े बैनर की फिल्मों के साथ यह हो रहा है.  थिएटर में 50 लोग बैठे हैं और बाहर हाउसफुल का बोर्ड है और यह एक थिएटर नहीं बल्कि देश भर के दो सौ थिएटर में हो रहा है.  ये सब रुकना चाहिए.  इंडस्ट्री के बड़े लीडर्स और एक्टर्स मिलकर इस पर बात करनी चाहिए कि हम कहाँ गलत जा रहे हैं. सुपरस्टार्स को फीस कम करनी होगी और कम बजट में फिल्म बनाने पर जोर देना होगा ताकि रिकवरी के लिए 300 से 400 करोड़ पर निर्भर ना रहना पड़े. बीता साल इंडस्ट्री के लिए अच्छा नहीं था. गलत आंकड़ों से इंडस्ट्री का भला नहीं होगा.यह अब सोचने का समय आ गया है. 


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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