anupam kher :फिल्म ओम जय जगदीश रिलीज के 23 वर्षों के बाद अभिनेता अनुपम खेर बतौर निर्देशन फिल्म तन्वी द ग्रेट से वापसी कर रहे हैं. 18 जुलाई को यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. यह फिल्म ऑटिस्टिक लड़की तन्वी की कहानी है, जो भारतीय आर्मी का हिस्सा बनती है. इस फिल्म और उसकी मेकिंग पर अनुपम खेर के साथ हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.
इतने वर्षों बाद फिल्म निर्देशन में आने की क्या वजह थी ?
मैं एक ऐसी कहानी ढूंढ रहा था, जिसमें लोगों का अच्छे पर भरोसा आये. जो समझे कि सच कितना अहम है. मैं पेशे से एक्टर हूं. मेरा फिल्में बनाना जरूरी नहीं है. मैं अपनी भांजी से मिला, जो खुद भी ऑटिस्टिक है. मैंने उसे कहीं देखते हुए पाया. मैंने उससे कहा कि क्या देख रही हो. उसने बताया कि मैं अपनी दुनिया देख रही हूं. मैं बड़ा हक्का-बक्का रह गया कि इसकी क्या दुनिया हो सकती है? इसके बाद मुझे इस कहानी को लेकर आइडिया मिला. अपने लेखक अंकुर और अभिषेक के साथ मैंने कहानी पर काम किया. शुरुआत में मैं इसे म्यूजिकल बनाना चाहता था. जो मुख्य किरदार था, वह ऑटिस्टिक होने के साथ-साथ सुपरहीरो भी होता. अगर आप गूगल करेंगी, तो कई बड़े नाम वाले जिसमें खास हुनर है, वह ऑटिस्टिक हैं.
इस फिल्म की मेकिंग में सबसे बड़ा चैलेंज क्या था ?
इस फिल्म की मेकिंग में चैलेंज ही चैलेंज था. लीक से हटकर फिल्म बनाना अपने आप में चैलेंज था. इस फिल्म से जुड़े कुछ फाइनेंसर ने अचानक फिल्म से हाथ खिंच लिए. अपनी कन्विक्शन से फिल्म बनाना, खासकर मौजूदा दौर में जब इस तरह की फिल्में नहीं बनती हैं, तो चीजें मुश्किल होती ही हैं. मगर वो काम ही क्या जिसमें मुश्किलें ना आयें. मुझे तो उसी काम में मजा आता है, जिसमें चैलेंज हो.तमाम मुश्किलात के बावजूद बहुत अच्छी टीम मेरे साथ काम कर रही है. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी में जापान की प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर केइको नाकाहारा जुड़ी हैं तो म्यूजिक से ऑस्कर विनर एम एम करीम.
फिल्म सितारे जमीन पर की कामयाबी क्या आपकी फिल्म को भी फायदा पहुंचायेगी ?
मैं उनके लिए खुश हूं कि फिल्म सफल हुई है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह बिलकुल अलग फिल्म है. सितारे जमीन पर एक स्पेनिश फिल्म का रीमेक थी. मैं उन बच्चों में कई को जानता हूं. ऋषि को मैं दिलखुश स्पेशल स्कूल में मिला था. मैं आपको एक उदाहरण देना चाहूंगा. एक फिल्म टाइटैनिक बनी थी. वह फिल्म डिजास्टर के अगेंस्ट बनी एक लव स्टोरी फिल्म थी, तो हॉलीवुड के प्रोड्यूसर ने उससे बड़ा एक डिजास्टर ढूंढा और फिल्म बनी पर्ल हार्बर, लेकिन वह फ्लॉप हुई. स्त्री चल गयी है, तो सारे भूत-प्रेत की फिल्में नहीं चलने वाली हैं. मेरे कहने का मतलब है कि हर फिल्म का अपना कन्विक्शन और जर्नी है. मैं 240 लोगों के हक को छीनने नहीं दे सकता हूं. हमने एक ओरिजिनल और फ्रेश फिल्म बनायी है. यह महिला प्रधान फिल्म है. 50 करोड़ की फिल्म हमने नये स्टार के साथ बनायी है. उस फिल्म के स्टार आमिर खान थे. मैं बस यही कहूंगा.
फिल्म में आपने एक्टिंग भी की है. आमिर खान ने कहा कि वह निर्देशन में अब तभी आयेंगे, जब वह एक्टिंग छोड़ देंगे. क्या एक्टिंग और निर्देशन साथ-साथ मुश्किल है?
आमिर बहुत कुछ बोलते हैं. उनकी हर बात सही हो जरूरी नहीं है. मैं डेढ़ दो साल से फिल्म से जुड़ा था. इस किरदार को समझता था. मेरा इतने वर्षों का अनुभव है. मैं उसका इस्तेमाल करना चाहता था, इसलिए मुझे लगा कि मैं ये रोल कर देता हूं.
ओटीटी को थिएटर की फिल्मों की नाकामयाबी का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है?
मैं इस सोच को नहीं मानता हूं. मुझे लगता है कि फिल्म अच्छी होगी, तो दर्शक देखने आयेंगे. ओटीटी ने ही हमें पैन इंडिया स्टार से मिलवाया है. वैसे मैं खुद अपनी फिल्म को ओटीटी पर एक साल तक रिलीज नहीं करूंगा. मुझे वैसे भी किसी ने अप्रोच नहीं किया है.
क्या आप निर्देशन अब जारी रखेंगे ?
जरूर, मैं दोनों में बैलेंस करके चलना चाहूंगा.