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Bhojpuri Actor Dev Singh हैं शिव भक्त.. बताया सावन में हर सोमवार को रखता हूं उपवास

bhojpuri actor dev singh अपनी आनेवाली फिल्मों के साथ - साथ इस इंटरव्यू में अपनी शिव भक्ति पर भी चर्चा की है.

Bhojpuri actor dev singh ने फिल्मों में अपनी शुरुआत कुछ सीन्स वाले रोल से की थी , जिसके बाद वह खलनायक बनें और अभी वह कई फिल्मों में लीड भूमिका में नजर आ रहे हैं.वह इस जर्नी को पूरी तरह से किस्मत मानते हैं और भगवन भोलेनाथ का शुक्रिया अदा करना भी नहीं भूलते हैं.उनकी जर्नी ,संघर्ष और उनकी शिव भक्ति पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

आशुतोष राणा जी को देखकर एक्टर बनने का लिया था फैसला

एक्टर बनने के पीछे मैं पूरी तरह से अपनी किस्मत को श्रेय देना चाहूंगा.मैं अपने स्कूल और फिर कॉलेज का बहुत ही शर्मीला लड़का था. मुझे तो लड़कियों से बात करने में भी झिझक होती थी. मुझे याद है कि एक बार एक लड़की ने मुझे मेरा नाम पूछ लिया था और मैं पसीना पसीना हो गया था. मैं हमेशा से बिजनेसमैन बनना चाहता था. मैंने कोलकाता में सी ए की पढ़ाई भी शुरू की थी. मेरे पिताजी कॉल माइंस में काम करते थे,इसलिए मेरा जन्म कोलकाता के रानीगंज में हुआ था. कोलकाता में आर्केस्ट्रा कल्चर बहुत ही पॉपुलर है. एक दिन 15 अगस्त को मैं और मेरे दोस्त आर्केस्ट्रा देखने के लिए गए.वहां पर बहुत भीड़ थी. सब लोग बैठे हुए थे और मैं पीछे खड़ा था. कोई मेरी तरफ अच्छी नहीं रहा था. मंच पर भी बैठे लोग मुझे जानते थे,लेकिन वह भी मुझे देखकर अनदेखा कर रहे थे.उनका यह बर्ताव मुझे इस कदर बुरा लगा कि मैं अपने मन में ठान लिया कि एक दिन यह लोग मुझे देखेंगे। मैं इनको नहीं देखूंगा.यह बोलकर मैं चला आया. यह बात मेरे दिल में इतनी घर कर गई कि मैं तुम सोचने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं कि लोग मुझे जानने लगे.मैं आशुतोष राणा जी को स्वाभिमान सीरियल में देखा. उसके बाद मैं उनकी फिल्में संघर्ष और दुश्मन भी देखी.इसके बाद मैंने तय कर लिया कि मुझे यही काम करना है. ते तो कर लिया था कि करना है ,लेकिन पूरे खानदान में किसी को एक्टिंग का ए भी नहीं पता था. एक्टिंग छोड़िए पूरे खानदान में कोई मुंबई या दिल्ली भी नहीं गया था.मैंने दिमाग लगाया और जॉब का बहाना बनाकर दिल्ली पहुंचा फिर वहां से मैं मुंबई पहुंचा था.

टेलिविजन से शुरुआत हुई थी
मैंने टेलीविजन में छोटे-छोटे रोल करने शुरू कर दिया।मैंने भाग्य विधाता, सीआईडी, क्राइम पेट्रोल जैसे शोज किए. महुआ के भी दो शो किए थे. मैं संघर्ष कर ही रहा था कि मेरी मां की मौत हो गई और मैं उनको आखिरी वक्त में देखा नहीं पाया था,जिसकी वजह से मैं डिप्रेशन में चला गया. मुंबई छोड़कर अपने गांव शिफ्ट हो गया. वहां पर मैं 3 साल तक कपड़े की दुकान चलाई.इस दौरान मुझे भोजपुरी सिनेमा और भोजपुरी कलाकारों जैसे निरहुआ ,खेसारी लाल इनके बारे में मालूम पड़ा क्योंकि मैंने अपना ज्यादातर समय कोलकाता,मुंबई और दिल्ली में बिताया था.मुझे भोजपुरी सिनेमा के बारे में ज्यादा पता नहीं था. मेरे जीजा जी बहुत बड़े भोजपुरी फिल्मों के फैन हैं . उन्होंने मुझे भोजपुरी फिल्म निरहुआ रिक्शावाला की सीडी दी. फिर मेरे जेहन में भोजपुरी सिनेमा आया. मैं निर्देशक राजकुमार पांडे से मिला और उनसे कहा कि मुझे अपनी फिल्म में एक रोल दे दीजिए।उस वक्त वह दीवाना बना रहे थे. उसमें निरहुआ और विराज भट्ट लीड में थे. उसमें मेरा एक सीन विराज भट्ट के साथ था.भोजपुरी फिल्म करने के बाद मैंने एक बात महसूस की कि टेलीविजन में 3 महीने के बाद पेमेंट मिलता था, भोजपुरी फिल्मों में तुरंत पैसा मिल जाता था. जिस वजह से मेरा फोकस भोजपुरी फिल्मों में ही शिफ्ट हो गया. एक के बाद एक में छोटे ही सही रोल करता रहा.एक बार अवधेश जी ने मुझे कहीं परफॉर्म करते हुए देखा. उनको मुझमे कुछ कैलिबर नजर आया. उन्होंने मुझे फिल्म सेहरा बांध कर आऊंगा में मुख्य खलनायक की भूमिका दे दी. उसके नायक खेसारी लाल यादव थे. उस फिल्म में मुझे बहुत पहचान दी. उसके बाद लगातार मुझे खलनायक के तौर फिल्में मिलने लगी. उसके बाद जब टीवी का दौर आया तो मुझे नायक की भूमिका भी ऑफर हो गई.

हीरो बनने का नहीं सोचा था
टेलीविजन की कई फिल्मों का मैं नायक हूं. मैंने एक बायोपिक फिल्म सिंह साहब भी की है, लेकिन मेरा कभी हीरो बनने का सपना नहीं था. क्योंकि मेरी पर्सनालिटी ऐसी नहीं थी.इतने पैसे भी नहीं थे कि अपने चेहरे पर खर्च कर सकूं या अपने बॉडी बना सकूं. पेट भर खाना हो जाता था. वही बहुत होता था.मैं तो पैदल ही सब जगह ऑडिशन पर जाता था ताकि पैसे बचा सकूं.सच कहूं तो हीरो या विलन बनने का ऑप्शन नहीं था. बस एक ही बात था कि मुझे एक्टर बनना है. यही वजह है कि जो काम मिलने गया मैं करता गया.मैंने एक सीन से लेकर लीड एक्टर तक की जर्नी तय की है. हां अब सोचता हूं कि काम अच्छा मिले.खुद को रिपीट ना करूं लेकिन परिवार वाला हूं. घर की ज़रूरतें भी हैं.इतने पैसे एक फिल्म से नहीं मिल जाते कि इन्तजार कर लूं चार पांच महीने का कि जब तक कुछ अच्छा नहीं आएगा मैं नहीं करूंगा.हम इतने दिन तक सर्वाइव नहीं कर पाएंगे इसलिए फिर हमको फिल्में करनी ही पड़ती है.सभी को यह बात मालूम है कि जैसे कमाई होने लगती है वैसे से खर्च बढ़ने लगते हैं.एक बेटा भी है.मीरा रोड में एक घर भी ले लिया है.

टेलीविजन वाली भोजपुरी फिल्मों में एक्सपेरिमेंट नहीं हो रहा है
टेलीविजन पर जो भी भोजपुरी फिल्में रिलीज हो रही है. वह पूरी तरह से महिला प्रधान हो गई है. टेलीविजन में पुरुष एक्टर्स के लिए बहुत कुछ करने को बचा नहीं है. चैनल के हिसाब से ही सब कुछ हो रहा है. मेरी किस्मत थोड़ी अच्छी है.मुझे अब तक अच्छे-अच्छे रोल मिले हैं,लेकिन आगे का मुझे पता नहीं है. मेरी आने वाली फिल्म भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना है. ये फिल्म राखी के दिन रिलीज होगी.इस बात को बताने के साथ मैं यह भी बताऊंगा कि मैं इस दौरान बहुत सारी फिल्में छोड़ी है.ऐसी फिल्में बहुत कम मिल रही हैं ,जहां परफॉर्म करने को मिले।

कास्टिंग डायरेक्टर्स भोजपुरी एक्टर्स को अच्छा एक्टर नहीं मानते
ओटीटी पर पंचायत जैसी सीरीज देखकर लगता है कि यह तो मैं भी कर सकता हूं. मैं ऑडिशन भी देता रहता हूं.ऑडिशन तो मैंने खाकी वेब सीरीज का भी दिया था, लेकिन नहीं हुआ.हम लोग के मुंह पर तो कोई नहीं बोलता है लेकिन मुझे पता है कि कास्टिंग डायरेक्टर के मन में या सोच रहती है कि भोजपुरी फिल्मों का एक्टर है मतलब अच्छा एक्टिंग नहीं कर पाएगा.कई एक्टर हैं भोजपुरी के जो बहुत अच्छा काम करते हैं. वैसे मैंने ऑडिशन देना कभी कम नहीं किया है. मैं लगातार ऑडिशन देता रहता हूं. लोगों से मिलता रहता हूं. देखिए कब किस्मत साथ देती है.

शिव का भक्त हूं
मैं शिव का बहुत बड़ा भक्त हूं. शिवरात्रि के साथ मैं सावन के सभी सोमवार को व्रत रखता हूं. पिछले 25 सालों से मैं ऐसा कर रहा हूं.मैं कुछ नहीं था तो भी मैं व्रत रखता था और आज मैं थोड़ा बहुत जो कुछ भी हूं तो भी रखता हूं. मैं भगवान से आज तक कुछ मांगा नहीं है. बस मैं इतना ही कहता हूं कि भगवान किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े. बस इतना ही कृपा कीजिए. मैं देवघर तीन बार पैदल कांवर लेकर भी गया हूं. एक बार मैं देवघर में शूटिंग कर रहा था तो वहां पर मैं दर्शन के लिए गया था.वहां पर बाबा झा जी है उन्होंने पूजा करवाई थी और कहा था कि जाइए तीन होकर आइएगा. वहां से आने के बाद मेरी शादी हो गई और मेरा बेटा भी हो चुका है, लेकिन 6 सालों से मैं वहां जा नहीं पाया हूं. बहुत दिन से मैं वहां जाने की सोच रहा हूं शायद जल्दी चला जाऊं.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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