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Bhojpuri :नेशनल अवार्ड विनिंग निर्देशक नितिन चंद्र को बिहार फिल्म नीति से है ये शिकायत

नितिन चंद्रा ने इस इंटरव्यू में अपनी आगामी भोजपुरी फिल्म करियट्ठी के अलावा बिहार की फिल्म पॉलिसी पर भी बात की है.

bhojpuri :नेशनल अवार्ड विनिंग निर्देशक नितिन चंद्रा की आगामी फिल्म करियट्ठी 31 जनवरी को प्रसार भारती के ओटीटी चैनल वेव पर दस्तक देने जा रही है. रंगभेद पर आधारित इस विषय को निर्देशक मौजूदा दौर में भी समायिक बताते हैं.वे कहते हैं कि सांवले रंग से हमारे समाज को कल भी परेशानी थी और और आगे भी रहेगी. ऊंची जाति में अगर कोई लड़की सांवले रंग की है, तो उसकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. अपनी फिल्म से हम इसी मुद्दे को सामने ला रहे हैं.करियट्ठी फिल्म की मेकिंग,उससे जुड़े दुसरे पहलुओं के साथ बिहार फिल्म नीति पर निर्देशक नितिन चंद्रा से उर्मिला कोरी की हुई खास बात

फिल्म भ्रूण हत्या को भी उठा रही है

फिल्म की कहानी की बात करूं तो यह सरोज सिंह की लघु कहानी पर आधारित है. 2018 के आसपास की आसपास की बात है. कहानी को पढ़कर मन में उदासी छा गयी थी और तय कर लिया कि मुझे इस पर फिल्म बनानी है. कोविड की वजह से मामला टलता जा रहा था. पिछले साल लगा कि अब इस पर फिल्म बना ही लेते हैं। नीतू को भी लगा और उसने सपोर्ट किया। तीन चार महीने लघु कहानी को फिल्म के लिए स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखने में गए। 10 पेज की कहानी को 2 घंटे की 22 मिनट की फिल्म बनाना आसान काम नहीं था.फिल्म रंगभेद के अलावा एक और मुद्दे को हाईलाइट करती है. वह है कन्या भ्रूण ह्त्या. बहुत ही संवेदनशील कहानी है. फिल्म 1960 से 1990 के दशक की कहानी कहती है,लेकिन मुझे लगता है कि ये मुद्दा हर समय प्रासंगिक है. हमारा समाज आज भी रंगभेद से नहीं निकला है.

शूटिंग के दौरान 16 कमरों में 60 लोग रहते थे

फिल्म की मेकिंग की बात करूं तो कहानी जैसे ही लिख ली थी. सांवली लड़की की तलाश शुरू हो गयी. मैं किसी गोरी लड़की को लेकर सांवली नहीं बनाना चाहता था।इसी तलाश में मैंने फेसबुक में अनुप्रिया को देखा. उनसे बात हुई तो मालूम पड़ा कि उसने एनएसडी से पास आउट किया है. वैसे अनु भले ही एनएसडी से हैं, लेकिन बिहार से उनका गहरा नाता है.वह समस्तीपुर से है.अनुप्रिया ही नहीं फिल्म के सारे कलाकार लोकल हैं.पूरी शूटिंग भी छपरा में ही हुई है. म्यूजिक की बात करूं तो चन्दन तिवारी और मेघा डाल्टन का गीत आ चुका है. जल्द ही ऋचा वर्मा का गाना आ रहा है.उसके बाद प्रभाकर पांडे का एक गाना आएगा, जो मेघा का मेल वर्जन होगा.फिल्म की शूटिंग और पोस्ट प्रोडक्शन मिलाकर 10 महीने में शूट हो गया था.22 दिनों में फिल्म की शूटिंग हुई है.हिंदी भाषा में अगर इस फिल्म को बनाया जाता था, तो 5 करोड़ इसका बजट होता था लेकिन हमने उसके 20 प्रतिशत के बजट में फिल्म बना ली है.इसका श्रेय शूटिंग के हालातों को भी जाता है.हमलोग एक घर में 60 लोग रह रहे थे. 16 कमरे थे. सब कास्ट क्रू साथ में रहते थे. दिन में आलू गोभी रात में गोभी आलू . खिचड़ी तो कभी गीला भात यही सब रहता था. फिल्म की शूटिंग मुश्किल हालात में हुई थी लेकिन फिल्म अच्छी बनी है. मैं अपने सारे कास्ट एंड क्रू को इस बात की गारंटी देता है.

ओटीटी वेव पर आएगी फिल्म

फिल्म की रिलीज के बारे में बात करते हुए निर्देशक नितिन चंद्रा बताते हैं कि भारत सरकार का ओटीटी चैनल वेव आया है. उस पर फिल्म करियट्ठी रिलीज हो रही है. एक समय था कि नेशनल अवार्ड जीतने के चार साल बाद भी मेरी भोजपुरी फिल्म रिलीज नहीं हुई थी और आज करियट्ठी को सेंसर सर्टिफिकेट भी नहीं मिला था,तो भी फिल्म को खरीद लिया गया था.मैं इतने सालों से जो अच्छा काम कर रहा हूं शायद ये उसका पुण्य है. प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफार्म की खास बात ये है कि वेव में अपने तरह की कहानियों और चेहरे को हम देख पाएंगे, जबकि दूसरे ओटीटी में आपको वेस्टर्न से ही प्रभावित कहानियां और चेहरे ही दिखेंगे। वेव में आपको गोरखपुर, छपरा, पटना और रांची की कहानी दिखेंगी.इस ओटीटी चैनल को सभी को सपोर्ट करना चाहिए ताकि बिहार की भाषा में अच्छा काम जो हो रहा है. उसको सपोर्ट मिले।बिहार के कई लोग हिंदी इंडस्ट्री में बहुत अच्छी फिल्में और वेब सीरीज बना रहे हैं, लेकिन भोजपुरी फिल्मों से उनका दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है.

बिहार की फिल्म नीति

बिहार की फिल्म नीति अच्छी शुरुआत है.मैं बताना चाहूंगा कि बिहार की फिल्म नीति आने से पहले हमारी फिल्म करियट्ठी की शूटिंग हो गयी थी तो हमें उसका फायदा नहीं मिला. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगा कि फिल्म नीति लांच इवेंट पर मैंने जो देखा था. उससे मुझे ज्यादा उम्मीदें नहीं नजर आ रही है. नीति पर भी अश्लील और फूहड़ लोगों को कब्जा हो रहा है. आप नीति लांच कर रहे हैं तो फिल्मकार के लिए हैं ना,लेकिन आपके मंच पर डायरेक्टर है ही नहीं. जिन्होंने बिहार की भाषा में बिहार में फिल्म बनायीं और नेशनल अवार्ड जिताया है. उन्हें आप मंच पर भी नहीं बुलाते हैं. मैंने मिथिला मखान और नीरज मिश्रा ने सामांतर फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड अपने नाम किया है, लेकिन आपलोग उन्हें मंच तक में बुलाना तो छोड़िये नाम तक नहीं लेते हैं.इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता है. मैं तो पिछले दस सालों से बिना किसी मदद के भोजपुरी फिल्में बना रहा हूं.आपको ये समझना चाहिए कि इससे युवाओं को क्या सन्देश मिलेगा कि नेशनल अवार्ड जरुरी नहीं है,बस आपको पॉपुलर होना है.भले ही अश्लील ही बनाना पड़े.


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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