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Biopic Series On Maharani Gayatri Devi: प्रांजल खंधाड़िया ने वेब सीरीज की मेकिंग से जुड़ी खास बातें की शेयर

निर्माता प्रांजल खंधाड़िया ने बताया कि वह राजमाता गायत्री देवी के बचपन से 80 साल के उम्र को दर्शाएंगे, जिस वजह से अलग -अलग अभिनेत्रियों को उम्र के अनुरूप कास्ट करने की प्लानिंग है.

biopic series on maharani gayatri devi: सूरमा, सुपर 30,रश्मि रॉकेट ,धक् धक् सहित कई लीग से हटकर फिल्मों का हिस्सा रहे निर्माता प्रांजल खंधाड़िया के प्रोडक्शन की मिथिला पालकर और अमोल पराशर स्टारर फिल्म स्वीट ड्रीम इन दिनों ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम कर रही है. इस फिल्म की मेकिंग, निर्माता से जुड़ी चुनौतियों सहित उन्होंने आने वाली बायोपिक सीरीज राजमाता गायत्री देवी पर उर्मिला कोरी से बातचीत की है.बातचीत के प्रमुख अंश  

आप ज्यादातर रियलिस्टिक सिनेमा का हिस्सा रहे हैं .पीकू से 83 तक ऐसे कई उदाहरण है. ऐसे में स्वीट ड्रीम जैसी फिल्म से जुड़ने का ख्याल कैसे आया?

 मुझे लगता है की सोच बदलनी पड़ेगी. बॉक्स ऑफिस पर हमारी फिल्में लगातार फेल हो रही है. दर्शक हमें बता रहे हैं कि हमें कुछ नया चाहिए. कोविड  के बाद लग रहा था कि लोगों को थिएटर नहीं जाना है,लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि लोगों को थिएटर जाना है.लेकिन अच्छा कंटेंट देखना है.हम उनको वह चीजें दे रहे हैं,जो हमको लगता है कि यह सक्सेस का फार्मूला है, जबकि वही चीज हमारी बार-बार फेल हो रही है. स्वीट ड्रीम्स बनाने के पीछे मकसद यह था कि हम आजकल रोमांटिक कॉमेडी नहीं बना रहे हैं. कॉलेज लव स्टोरी नहीं बता रहे हैं. यूथ के काम ऐसा कुछ नहीं दे रहे हैं ,जिससे वह रिलेट करें या उससे वह अटैच हो. यह कहानी बनाना मेरे लिए बहुत जरूरी था,क्योंकि मुझे लगता है कि जब मैं अपने टीन में था. हमारे पास आमिर, शाहरुख और सलमान खान थे. जो हमें तीन अलग-अलग तरीके से सिनेमा दिखते थे. हम उनके प्यार करने का तरीका,उनके एक्शन का तरीका उनकी फिलॉसफी यह सब सिखते हुए बड़े हुए हैं, जबकि आजकल के यूथ के लिए आइडल बनाने  के लिए कोई यंग एक्टर है ही नहीं. हमारे जो भी पापुलर एक्टर है.वह सभी 40 प्लस है. जिस तरह का सिनेमा बन रहा है. वह उससे रिलेट करके अपने कॉलेज कैंपस में बातें भी नहीं कर सकते हैं.

स्वीट ड्रीम हमेशा से ओटटी के लिए ही थी?

हम जिस तरह की कहानी बताने जा रहे थे और जिस तरह के एक्टर्स को लेकर ये फिल्म बना रहे थे. हमको यह बात पता थी कि अगर हम इसको थिएटर में ले जाएंगे, तो हम इतने लोगों तक नहीं पहुंच पाएंगे इसलिए हम शुरुआत से ही मन बना चुके थे कि हम यह फिल्म ओटीटी पर ही रिलीज करेंगे. कोविड ने  हमें यह सहूलियत दे दी है  कि हम पहले से तय कर ले कि अगर इस तरह का कंटेंट है तो हमें डिजिटल जाना चाहिए या फिर थिएटर. फिल्म का टारगेट 18 से 24 साल के दर्शक थे.जो ओटीटी देखना पसंद करते हैं.

कास्टिंग में भी इस बात को ध्यान में रखते हुए ही मिथिला और अमोल की कास्टिंग हुई है?

मैंने स्टूडियो के साथ भी काम किया और इंडिपेंडेंट प्रोड्यूसर के तौर पर अभी काम कर रहा हूं. अगर आप मेरी फिल्मों से जुड़े एक्टर्स को देखेंगे तो हमने उन्हें एक्टर को प्राथमिकता दी है जिसे लोग रिलेट कर सके. हम स्टार वैल्यू स्टार पावर के दम पर कास्टिंग नहीं करते हैं.

निर्माता के तौर पर मौजूदा दौर की क्या चुनौतियां आपको लगती है?

बहुत ज्यादा चुनौतियां बढ़ गई है. आपको हर दिन दिहाड़ी मजदूर की तरह निकालना है. वही 10 एक्टर्स है. वही दो से तीन प्लेटफार्म हैं। हर  रोज उनके दरवाजे खटखटाने हैं. उनको जाकर बोलना है कि बहुत अच्छी कहानी है.थोड़ा सा भरोसा कर लो. थोड़ा सा एफर्ट दिखा दो. जब कटौती करनी होती तो मिड साइज कॉन्सेप्ट वाली फिल्में होती है. उनपर ही कैंची चल जाती है, आपकी हकीकत यह है कि मिड साइज जो कंटेंट है. यह किसी भी स्टूडियो को सबसे ज्यादा रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट देता है. हम किसी सुपरस्टार लेकर फिल्म नहीं बनाते  तो हमारी मुश्किलें और बढ़ जाती है.मिड साइज कंटेंट फिल्मों को बनाने से ज्यादा मुश्किल उनकी रिलीज पर आती है. मैं कहीं से भी पैसों का जुगाड़ करके फिल्म तो बना लूंगा, लेकिन जब हम इनको ऑडियंस को सही तरह से नहीं दिखा पाए तो दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है. लोगों तक फिल्म की जानकारी पहुंचाने के लिए आपको फिल्म का मार्केटिंग बजट बहुत तगड़ा चाहिए होता है. स्टार की फिल्म का मार्केटिंग बजट 15 से 30 करोड़ का होता है. इतने में मैं दो पिक्चर बना लूंगा.

 अभी हाल ही में राकेश रोशन ने बयान दिया है कि जो साउथ की फिल्में है वह फार्मूला को ही भुना रही है, लीग से हटकर कुछ नहीं कर रही है?

 राकेश जी की बात से मैं 200% सहमत हूं.अगर आप देखो तो पुष्प राज कौन है.यह सब कहानियां हम 80 के दशक में बना चुके हैं.एक फिल्म में 8 से 10 हीरो के इंट्रो शॉट चलते हैं.हम इससे बहुत ज्यादा आगे निकल चुके थे. हिंदी सिनेमा बहुत एक्सपेरिमेंट कर चुका था.

तापसी के साथ मिलकर भी आप फिल्में बना रहे हैं, किस तरह से इस साथ को परिभाषित करेंगे?

हमारी सोच एक जैसी ही है ह.म चाहते हैं कि अच्छे लोगों को मौके मिले. इस संगठन की खास बात यह भी है कि हम सिर्फ तापसी पन्नू के लिए फिल्म नहीं बना रहे हैं. हम सभी के लिए फिल्म बना रहे हैं चाहे वह इनसाइडर हो आउटसाइडर हो. बस हमारी फिल्म की कास्टिंग उसे परफेक्ट तरीके से फिट होना है.

 अपनी बातों के लिए काफी मुखर है क्या इससे परेशानी का भी सामना करना पड़ता है?

हर एक्टर की अपनी पर्सनालिटी होती है. एक्टर के तौर पर अगर इंटरव्यू देती है तो कोई जरूरी नहीं कि वह बात प्रोडक्शन में भी लागू होती है. हम दोनों के बीच में डिवीजन बहुत ही क्लियर है. प्रोडक्शन से जुड़े जो भी मसले होते हैं. जो भी डीलिंग्स करनी होती है. वह मैं संभालता हूं. हम कभी एक दूसरे को ओवर स्टेप या ओवर इनफ्लुएंस नहीं करते हैं.

आने वाले प्रोजेक्ट और कौन से हैं?

धक् धक् का सीक्वल आ रहा है. कई लोगों ने कहा कि अब बड़ी हीरोइनों  के साथ बना लो ,लेकिन हमने कहा कि नहीं हम वही एक्ट्रेसेज के साथ ही फिल्म बनाएंगे. बाइक में ही ट्रिप करेंगे, लेकिन ऐसी स्टोरी जो पहले कभी किसी ने सोची नहीं होगी. एक और फिल्म है जो बाप बेटे की कहानी पर होगी। गायत्री देवी की बायोपिक पर भी काम चल रहा है. हम वेब सीरीज के जरिए उनकी कहानी को सामने लाएंगे. बचपन से लेकर 80 उम्र के अलग अलग पड़ाव को दिखाया जाएगा. ऐसे में हम कई  एक्ट्रेस को लेकर यह कास्टिंग करना चाहते हैं.पूरा रिसर्च हो गया है.हमने दो सीजन का एपिसोड ब्रेक डाउन वगैरह भी कर लिया है.अब असली एपिसोडिक लिखे शुरू हो गयी है.जैसे वो खत्म होगी. प्रोडक्शन और कास्टिंग हम शुरू हो जायेंगे।यह सिर्फ राजमाता की कहानी है.राजमाता की कहानी के ज़रिये हम इंडिया की उस कहानी को दिखाने जा रहे हैं, जो कहीं पर भी विजुवली डॉक्युमेंटेड नहीं है. अगर आप देखेंगी तो टीपू सुल्तान ,शिवाजी और औरंगजेब के आगे हमारे पास कुछ है ही नहीं.हमारे पास मॉडर्न रिच इंडिया का कुछ विजुअल है ही नहीं. जो कहानी लिखी भी गयी है. वो अंग्रेजों के नजरिये से लिखी गयी है. हमारे राजा महाराजों की नेगेटिव छवि ही लिखी गयी है, लेकिन उन्होंने भी आजादी में बहुत त्याग किया है. यह सीरीज उसको भी दिखाएगी.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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