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बॉलीवुड की फिल्मों में इतिहास की दस्तक, दमदार कहानी ने बदली सोच, कई ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया गदर

बॉलीवुड लंबे समय से कहानी कहने का एक सशक्त माध्यम रहा है. बीते कुछ समय से इस इंडस्ट्री ने ऐतिहासिक आख्यानों को नया आकार देने और गुमनाम नायकों को प्रकाश में लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट के साथ-साथ ज्ञान भी मिला है.

भारतीय सिनेमा, विशेष रूप से बॉलीवुड, हमेशा से समाज और इतिहास का आईना रहा है. जहां पहले फिल्मों का फोकस काल्पनिक कहानियों, रोमांस और मसाला एंटरटेनमेंट पर अधिक था, वहीं हाल के वर्षों में ऐतिहासिक और वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्मों का चलन तेजी से बढ़ा है. इतिहास के पन्नों को पलटते हुए बॉलीवुड उन कहानियों को बड़े पर्दे पर ला रहा है, जो कभी किताबों में पढ़ने पर आपको झकझोर कर रख देती थी. यह नया सिनेमा न केवल दर्शकों को अतीत से रूबरू करवा रहा है, बल्कि उन्हें एक नया नजरिया भी दे रहा है. हाल ही में रिलीज हुई छावा इसका सटीक उदाहरण है. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तो शानदार कमाई की ही, लेकिन छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान को भी दिखाया.

सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि ज्ञान, प्रेरणा और जागरूकता फैलाने का प्रभावी माध्यम

आज के दौर में सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि ज्ञान, प्रेरणा और जागरूकता फैलाने का भी एक प्रभावी माध्यम बन चुका है. बीते वर्षों में कई ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्में बनी हैं, जिन्होंने इतिहास को पुनः जीवंत कर दिया. उदाहरण के लिए, “तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर” ने मराठा योद्धा तान्हाजी मालुसरे की वीरता को दिखाया, जबकि “केसरी” ने सारागढ़ी की लड़ाई में सिख सैनिकों के बलिदान को बड़े पर्दे पर उतारा. इसी तरह “पद्मावत”, “मणिकर्णिका”, और “सम्राट पृथ्वीराज” जैसी फिल्मों ने ऐतिहासिक चरित्रों को नई पहचान दी.

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ऐतिहासिक फिल्मों का कलेक्शन

किताबों में दर्ज घटनाओं को मिला नया नजरिया

इतिहास को लेकर हर किसी का अपना दृष्टिकोण होता है और बॉलीवुड की ऐतिहासिक फिल्में दर्शकों को एक नया नजरिया देने का काम कर रही हैं. जब हम इतिहास की किताबों में किसी घटना के बारे में पढ़ते हैं, तो उससे सिर्फ तथ्य लेते थे, लेकिन जब फिल्म देखते हैं, तो उसके भावनात्मक गहराई से जुड़ जाते हैं. उदाहरण के लिए, “शेरशाह” फिल्म ने कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी को जिस तरीके से दिखाया, वह केवल किताबों से महसूस करना संभव नहीं था. दर्शक डिंपल चीमा की अधूरी लवस्टोरी देखकर रो पड़े थे. इसी तरह, “गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल” ने कारगिल युद्ध में पहली महिला पायलट की भूमिका को दिखाया, जो किताबों में केवल कुछ लाइनों तक सीमित थी.

ऐतिहासिक फिल्में फिर से की गई गलतियों को सुधारने का देती है मौका

ऐतिहासिक फिल्मों का एक और बड़ा योगदान यह है कि वे हमें अतीत की गलतियों से सीखने का अवसर देती हैं. उदाहरण के लिए, “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम” पर आधारित फिल्में हमें यह सिखाती हैं कि किस प्रकार विदेशी ताकतों ने हमारी कमजोरियों का फायदा उठाया और हमें गुलाम बनाया. वहीं, “पानीपत” जैसी फिल्में हमें यह सिखाती हैं कि कैसे रणनीतिक भूलों के कारण बड़ी सेनाओं को हार का सामना करना पड़ा.

ऐतिहासिक फिल्मों को बनाने में इन चुनौतियों का करना पड़ता है सामना

  • ऐतिहासिक घटनाओं पर फिल्में बनाना आसान नहीं होता. इसके पीछे कई चुनौतियां होती हैं. जिसमें सबसे पहले तो तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लग सकता है. उदाहरण के लिए, “पद्मावत” और “पानीपत” जैसी फिल्मों को लेकर विवाद हुए थे.
  • कई बार फिल्में राजनीतिक और सामाजिक समूहों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देती हैं, जिससे विवाद और प्रदर्शन होने लगते हैं. वहीं सेंसर बोर्ड भी सीन्स को काटने के लिए कहते हैं.
  • फिल्ममेकर्स को यह संतुलन बनाना पड़ता है कि वे दर्शकों को बांधकर भी रखें और तथ्यों के साथ भी न्याय करें.

टेक्नोलॉजी और वीएफएक्स से ऐतिहासिक फिल्मों का मिला नया लुक

आज के डिजिटल युग में वीएफएक्स और नई टेक्नोलॉजी ने ऐतिहासिक फिल्मों को और अधिक प्रभावशाली बना दिया है. जिसमें वॉर एरिया से लेकर खूंखार लड़ाई तक शामिल है. उदाहरण के लिए “बाहुबली” भले ही एक काल्पनिक फिल्म थी, लेकिन इसके ऐतिहासिक संदर्भ और ग्रैंड विजुअल्स देखने को मिले. इसी तरह, “आरआरआर” ने स्वतंत्रता संग्राम के दो नायकों की काल्पनिक कहानी को अविश्वसनीय विजुअल इफेक्ट्स के साथ प्रस्तुत किया, जिससे यह एक ऐतिहासिक फैंटेसी बन गई.

भविष्य में ऐतिहासिक फिल्में कर सकती हैं शानदार कमाई

बॉलीवुड में ऐतिहासिक फिल्मों का भविष्य उज्जवल है. छावा की रिलीज़ इस उभरती प्रवृत्ति का एक प्रमाण है. यह फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालती है. इस फिल्म ने न केवल दर्शकों को ऐतिहासिक प्रवृत्ति समझाया, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी धुआंधार कमाई की. पीरियड ड्रामा ने 15 दिनों में 400 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया.

Ashish Lata
Ashish Lata
आशीष लता, प्रभात खबर.कॉम में एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट के रूप में कार्यरत हैं. फिल्म, टीवी और ओटीटी इंडस्ट्री से जुड़ी बड़ी खबरों को ब्रेक करने से लेकर बेबाक विश्लेषण और ट्रेंडिंग रिपोर्टिंग में इनकी खास पहचान है. इनका लेखन फिल्म रिव्यू, ट्रेलर एनालिसिस, बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट, कलाकारों के इंटरव्यू और गॉसिप अपडेट्स तक फैला हुआ है. मनोरंजन की दुनिया को दर्शकों की नब्ज के हिसाब से सरल और रोचक अंदाज में पेश करना इनकी विशेषता है.

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