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sawan 2025:कैलाश खेर ने कहा मेरे गाने यूथ को भगवान शिव से जोड़ते हैं

कैलाश खेर ने इस इंटरव्यू में भगवान शिव और श्रावण माह से अपने जुड़ाव पर बातचीत की है.

sawan 2025 :संगीतकार और गायक पद्म श्री कैलाश खेर का भगवान शिव के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है. कैलाश खेर का संगीत अक्सर भगवान शिव के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है.बम लाहिरी, आदियोगी,जय जयकारा,हर हर शंभू, जय केदारा जैसे भक्ति गीतों ने शिव की भक्तों के सम्बन्ध  को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है. श्रावण के इस पावन महीने में शिव के साथ उनके कनेक्शन और यूथ के जुड़ाव पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत 

भगवान शिव की आपकी परिभाषा क्या है ?

जो कण कण में रमें हैं. वही शिव है और जो मन मन में रमें हैं.वही शिव है.शिव एक ऐसी अनुभूति और आभास है, जो हमें जीने का संतुलन सिखाता है. संतुलन का नाम ही शिव है.प्रकृति और पूरे जितने भी ग्रह हैं,जिन्हे हम कॉस्मिक कहते हैं.जब उनके संतुलन को हम देखते हैं तो हम शिव हो जाते हैं.प्रकृति जो है वो चंचला है और शिव गंभीर हैं. प्रकृति शक्ति का स्वरूप है और पूरा ब्रह्माण्ड शिव का स्वरूप है. इस तरह से हमारी जीवन शैली बनती है.

आपका नाम कैलाश शिव से जुड़ा हुआ है शिव से और क्या चीजें आपको जोड़ती हैं ?? 

इस बात को जानते हैं कि मैं ब्राह्मण हूं और मंदिर में ही पला बढ़ा हूं,लेकिन भगवान शिव की ओर मेरा बहुत रुझान रहा है.वो कहते हैं ना परमात्मा बीज जैसा बोता है फल वैसा ही बनता है.मैं बताना चाहूंगा कि मेरा जन्म श्रावण  में हुआ है. हमारा जन्म 7 जुलाई को है तो श्रावण में ही वह आया था.नाम हमारा कैलाश है और 7 का अंक भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है.हमारे भाई का नाम महेश है.भगवान् की बड़ी माया होती है. वह खुद ही अपने भक्त चुन लेता है, जब आपका जन्म ऐसे कॉस्मिक अरेंजमेंटस में होता है तो आप भगवान् से जुड़ ही जाते हैं. वैसे शुरुआत में हमारी यात्रा बहुत कष्टदायक रही है. हम छोटी उम्र में घर छोड़कर चले गए थे, जिस वजह से हमें अनायास ही बहुत कष्ट मिले हैं. जब कष्ट मिलते हैं तो शिव का मार्ग प्रशस्त होता है. जितने कष्ट मिले भक्ति और बढ़ी.मुझे लगता है कि शिव का अनुगामी बनाना था इसलिए उन्होंने इस तरह की जर्नी दी.

श्रावण महीने में कितना समय आप पूजा अर्चना को देते हैं ?

श्रावण में अनुष्ठान होते हैं. श्रवण में जितने भी संकल्प, प्रण और प्रतिज्ञाएं होती हैं.वह चातुर्मास में ही होते हैं.चूंकि मैं ब्राह्मण परिवार से हूं और मैं कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार से हूं. मैं सीखने वही गया था, लेकिन भगवान ने संगीत की ओर उन्मुख कर दिया तो गीत संगीत ही मेरे लिए पूजा अर्चना है.जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि मेरा जन्मदिन भी इसी में आता है तो पूजा अर्चना और बढ़ जाती है. अभी हाल ही में गए मेरे जन्मदिन के लिए चार जगह रुद्राभिषेक यज्ञ और भंडारे  हुए. दो हजार साधुओं को अन्नदान और दक्षिणा दी गयी. यह सब मेरी बहन की देख रेख में हर साल ही होता है.

भगवान शिव के लिए भक्ति गीत बनाने में आपका कोई सानी नहीं है, इस श्रावण में भी क्या कोई खास तैयारी है ?

मेरा पहला एल्बम ही कैलासा था, जिसके मेरे नाम से नहीं बल्कि शिव के अलौकिक धाम से जुड़ाव था. हर शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा पर मेरा एक भक्तिगीत आता ही है.इस बार भी हम श्रावण में  भक्ति गीत लांच करने जा रहे हैं.इस बार रुद्राष्टकम भक्ति गीत श्रोताओं से रूबरू होगा.”नमामि शमीशान निर्वाण रूपं”इसके बोल होंगे.उम्मीद है कि दर्शक इसे भी बहुत प्यार देंगे।

कभी किसी गाने की रिकॉर्डिंग या लाइव कॉन्सर्ट में शिव के साथ आपने सीधा कनेक्शन महसूस किया हो ?

मेरे लिए मेरी गायिकी ही भगवन शिव के साथ मेरा जुड़ाव है.वह मुझे अपना सुमिरन करवाते रहते हैं.हाँ केदारा सांग की रिकॉर्डिंग के वक़्त लगा कि महादेव ही लिख रहे हैं और गा रहे हैं. बहुत दिव्य अनुभूति थी. लाइव कॉन्सर्ट में तो वह हमेशा मेरे साथ ही रहते हैं. छह महीने पहले बिहार के सोनपुर मेले में कॉन्सर्ट के लिए गया था. बम लहरी गाना शुरू किया।  पचास हज़ार की भीड़ झूमने लगी थी. पूरा यूथ नाच रहा था. जब इतने लोग झूमते हैं तो व्यवस्थाएं थोड़ी बिगड़ती ही हैं. कॉन्सर्ट खत्म हुआ.लोग इतने ज्यादा भाव बिहोर हो गए कि मेरी गाडी पर चढ़ गए थे ,लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी.ऐसी तमाम चीजों को मेरे शिव संभाल लेते हैं.  

शिव भक्ति में युवा पीढ़ी भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है, इस बदलाव को किस तरह से देखते हैं?

मंदिरों और देवी देवताओं  के बारे में कहां पहले बात होती थी.लोग टीका लगाकर ऑफिस चले जाए तो उनका उपहास उड़ाया जाता था. कई दशकों से सनातन की अनदेखी से मेरे महादेव की भृकुटि तनी होगी और उसने इस पृथ्वी सत्ता पर अपने कुछ मुखिया बिठा दिए हैं, जिनका उद्देश्य ही सनातन की रक्षा है.युवा भी इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहा है.इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. टैटू, टी-शर्ट, पेंडेंट सभी के जरिये वह शिव को खुद से जोड़ता है. कई बार युवा मुझसे यह भी कहते हैं कि मेरे गानों से भी वह भगवान् शिव के साथ कनेक्शन महसूस करते हैं, तो ख़ुशी और बढ़ जाती है .

यह बातें भी आती हैं कि यूथ के लिए शिव की स्वीकार्यता उनके लिए सहजता है क्योंकि शिव के साथ मनमौजीपन, औघड़ छवि भी जुड़ी हुई है ?

यूथ को सही राह दिखाना भी हमारा काम है. जब भी मैं कॉन्सर्ट करता हूं, जिसमें मैं सीधे यूथ से जुड़ता हूं तो उनसे यह जरूर कहता हूं. टैटू  बनवाने या नशा करने से शिव नहीं आएंगे. शिव मार्गी बनना पड़ता है. उसके लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है माता पिता की सेवा करनी पड़ती है.भगवान शिव की भक्ति आसान नहीं होती है.हम ये बात खुलकर बताते हैं. कुछ लोगों के  दिल तक यह उतरता है.आपके पेपर के माध्यम से भी मैं यही दोहराना चाहूंगा.

यूथ को आप श्रावण मास में क्या सन्देश देना चाहेंगे ?

मरो ये जोगी मरो.मरण है मीठा. जो टूटकर बना, जिसे मौत ने जना वो और क्या टूटे वो और क्या मरे. शिवमार्गी को कोई भी कष्ट विचलित नहीं कर सकता है तो कष्ट से लड़ो और अच्छा करने की जिद्द करो. 


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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