maalik movie :राजकुमार राव की फिल्म ‘मालिक’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है है. बिहार के मुजफ्फरपुर से संबंध रखने वाले पुलकित इस फिल्म के निर्देशक हैं. उनका नाम बोस डेड ऑर अलाइव, भक्षक और डेढ़ बीघा जमीन जैसे प्रोजेक्ट्स से से जुड़ा हुआ है. फिल्म मालिक पर उनसे हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.
टीजर लॉन्च के बाद से ही राजकुमार राव के लार्जर देन लाइफ रोल के लिए यह फिल्म सुर्खियों में है.राजकुमार को इस तरह के रोल में कास्ट करने के पीछे की सोच क्या थी?
मैंने इससे पहले राजकुमार के साथ बोस सीरीज की थी. उसमें वह सुभाष चंद्र बोस की भूमिका में थे. मेरा हमेशा से था कि उनके पास कुछ ऐसा लेकर जाऊं, जिसमें कुछ अलग हो. चुनौतियां हो. जब इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहा था, तो उस वक्त भी राजकुमार मेरे जेहन में थे. जब स्क्रिप्ट पूरी हुई, तो मैं उनके पास गया. उन्हें भी कहानी और किरदार बहुत पसंद आया.
कहानी को 1988 में सेटअप करने की कोई खास वजह?
इसकी वजह ये थी कि 80 का दशक अमिताभ बच्चन के सिंड्रोम पर था. एंग्री यंग मैन का जमाना था, इसलिए मालिक के किरदार में भी बच्चन की छाप दिखेगी. मालिक भी कोल्हापुरी चप्पल पहनता है. कहानी फिक्शनल है. 1988 के दशक के साथ-साथ मैंने इलाहाबाद को इसलिए चुना, क्योंकि अमिताभ बच्चन मूल रूप से इलाहाबाद से हैं. फिल्म की शूटिंग इलाहाबाद में नहीं कर पाया हूं, लेकिन हां यूपी में ही फिल्म की शूटिंग हुई है. लखनऊ, कानपुर, उन्नाव और उसके आसपास के रियल लोकेशन में पूरी फिल्म शूट हुई है. सिर्फ हुमा के गाने को सेट पर शूट किया गया है. 60 दिनों में फिल्म की शूटिंग कर ली गयी थी.
रियल लोकेशन में राजकुमार के साथ शूट करना कितना चुनौतीपूर्ण था?
कानपुर में शूटिंग के वक्त दिक्कत हुई थी. एक रात हम शूट नहीं कर पाये थे. जब हम फिल्म शूट कर रहे थे, उस वक्त ‘स्त्री’थिएटर में चल रही थी. ऐसे में लोग राजकुमार को देखने इतनी संख्या में आ गये कि हम शूट नहीं कर पाये. मैं बताना चाहूंगा कि हमें बुरा नहीं लगा, बल्कि अच्छा लगा कि लोग इतना राजकुमार को चाहते हैं.
रियल लोकेशन में 80 के दशक को दर्शाना भी आसान नहीं रहा होगा?
अभी तो हो जा रहा है, लेकिन कुछ वर्षों बाद नहीं हो पायेगा. वैसे चुनौतियां थीं. मोबाइल टावर, एसी, गाड़ियों के बदले मॉडल, ये सबसे बचकर शूट करना था, क्योंकि 80 के दशक में ऐसा नहीं था. हमने शूट करने के बाद वीएफएक्स में क्लीनअप की मदद से उसे ठीक किया.
यह राजकुमार की पहली फुल फ्लेज्ड एक्शन फिल्म है?
हमने जमकर उनसे एक्शन करवाया है. काफी मजेदार एक्शन आपको फिल्म में देखने को मिलेगा. मजे की बात ये है कि राजकुमार ने खुद किया है. किसी बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं हुआ है. मैं बताना चाहूंगा कि राजकुमार ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हैं. उनके लिए एक्शन मुश्किल नहीं, बल्कि बहुत आसान है. पता नहीं किसी ने आज तक उनसे करवाया क्यों नहीं. चूंकि, कमाल के एक्टर हैं, तो एक्शन भी पूरे इमोशन के साथ करते हैं.
आप खुद भी छोटे शहर से हैं?
मैं बिहार के मुजफ्फरपुर में पैदा हुआ हूं. शुरुआती स्कूलिंग वहीं से हुई है. उसके बाद हरियाणा के बोर्डिंग स्कूल गया. फिर लखनऊ ग्रेजुएशन करने गया. पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 2011 से मुंबई में हूं. बिहार से मेरा जुड़ाव हमेशा बना रहेगा, क्योंकि मैं वहीं पैदा हुआ हूं. आज भी मेरे कई रिश्तेदार और दोस्त वहां रहते हैं.
यह आपकी पहली फिल्म है, जो थिएटर में रिलीज हुई है?
एक निर्देशक के तौर पर मुझे लगता है कि आपको जहां भी कहानी कहने का मौका मिले, आपको कहना चाहिए. आपके लिए माध्यम नहीं, बल्कि अपनी कहानी मायने रखती है. निर्माता माध्यम का चयन करें. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगा कि मालिक का टीजर जब मैंने बड़े पर्दे पर देखा तो मेरी आंखें नम हो गयी थीं, क्योंकि हम छोटे शहर से आते हैं. सिनेमा का मतलब मेरे लिए हमेशा से बड़ा पर्दा रहा है.