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राज बब्बर और नसीर साहब से प्रेरित थे मनोज बाजपेयी, बचपन में करते थे गुरु दत्त और संजीव कुमार की नकल

अपनी नयी फिल्म जोरम के प्रचार के लिए मंगलवार को अभिनेता मनोज बाजपेयी पटना पहुंचे. जहां उनका भव्य स्वागत हुआ. मनोज ने सबसे पहले होटल मौर्या में पत्रकारों से बातचीत की. इसके बाद वो प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपने जीवन और करियर से जुड़े सवालों के जवाब दिए...

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी की थ्रिलर फिल्म ‘जोरम’ 8 दिसंबर को रिलीज हो रही है. इस फिल्म के प्रमोशन के लिए मनोज मंगलवार को फिल्म के निर्देशक देवाशीष मखीजा के साथ पटना पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने पूरी एनर्जी के साथ पटना के होटल मौर्या में पत्रकारों से बात करते हुए फिल्म ‘जोरम’ देखने की अपील की. इस दौरान उन्होंने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए,कहा कि जब हम पटना आते हैं, तो यहां के लोग हमें हमेशा बहुत प्यार और सम्मान देते हैं. यहां आकर बहुत खुश हूं, यह मेरा घर है. होटल मौर्य के बाद प्रभात खबर के कार्यालय में उन्होंने अपनी फिल्म और फिल्मी सफर के बारे में बताया. पढ़िए मनोज बाजपेयी से बातचीत के कुछ अंश…

बचपन से पता था अभिनेता बनना है

मनोज बाजपेयी ने कहा कि वो उन खुशनसीब लोगों में से हैं जिन्हें बचपन से ही पता होता है कि उन्हें बड़े होकर क्या करना है. अपने बचपन के बारे में बताते हुए मनोज कहते है कि उन्हें छठी कक्षा में पता चल गया था कि उन्हें अभिनय में रुचि है. वो कमरे में जाकर गुरुदत्त और संजीव कुमार की फिल्म देखने के बड़ उनकी एक्टिंग किया करते थे. उन्होंने बताया कि राज बब्बर और नसीर साहब के इंटरव्यू को पढ़ने से अभिनय में ही कैरियर बनाने की प्रेरणा मिली थी. उन्होंने 17 साल की उम्र में ही एक्टर बनने का निर्णय कर लिया था. लेकिन, वो इस क्षेत्र में आगे बढ़ने से पहले इस क्राफ्ट को अच्छे से सीखना चाहते थे. इसलिए वो दिल्ली चले गए.

10 साल तक मंडी हाउस में रंगमंच किया

एक्टिंग को निखारने के लिए दिल्ली पहुंचे मनोज बाजपेयी ने 10 साल तक मंडी हाउस में रंगमंच किया. वो कहते हैं कि मेरे जीवन में दिल्ली का बहुत बड़ा योगदान है. जो सीखा, वहीं सीखा. मुंबई में उसको आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि एक्टिंग में भाषा की शुद्धता और सही तलफ्फुज होना बहुत जरूरी है. इसलिए उन्होंने व्याकरण सही-सही बोलने का अभ्यास किया. रसियन, चाइनीज लिटरेचर भी पढ़े. इस बीच तीन बार एनएसडी में दाखिल की कोशिश की, लेकिन तीनों बार रिजेक्ट कर दिया गया.

निर्माता-निर्देशकों के गार्ड उनसे मिलने नहीं देते थे

10 साल तक दिल्ली में रंगमंच करने के बाद मनोज बाजपेयी को बैंडिट शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन फिल्म का का ऑफर मिला. वो दिल्ली से मुंबई पहुंचे तो निर्माता-निर्देशकों के घर और ऑफिस के बाहर लंबी लाइने देखी. उनके गार्ड उनसे मिलने नहीं देते थे. लगातार आठ-दस बार रिजेक्ट हों तो अपने ऊपर से भी भरोसा खत्म होने लगता है. मुंबई के शुरुआती पांच साल काफी तनाव वाले दिन थे. भयानक सपने की तरह, जहां लगातार रिजेक्शन पर रिजेक्शन मिल रहे थे. लेकिन, इन रिजेक्शन ने मुझे काफी मजबूत बनाया. कई बार भूखे भी सोना पड़ा.

रिजेक्शन आदमी को मजबूत बनाता है : मनोज

मुंबई में एक सीरियल की शूटिंग की कहानी बताते हुए मनोज ने कहा कि मुंबई में भी रिजेक्ट किया गया. एक सीरियल की शूटिंग के दौरान एक डायरेक्टर ने अपने असिस्टेंट से कहा था कि यार इसका क्या किया जाए. ये न तो हीरो के लायक है और न ही विलेन के. मुझे लगता है कि रिजेक्शन आदमी को मजबूत बनाता है. लेकिन यह उस आदमी को ठान लेना होगा कि रिजेक्ट करने के बावजूद वह जो चाहता है, करके ही रहेगा.

क्या है जोरम की कहानी ?

मनोज बाजपेयी और जोरम फिल्म के डायरेक्टर देवाशीष मखेजा ने इस दौरान बताया कि फिल्म जोरम की कहानी झारखंड के आदिवासी जीवन पर आधारित है. इस फिल्म में जल, जंगल, जमीन से विस्थापित आदिवासियों के संघर्ष को बड़ी ही संजीदगी से परोसा गया है. इसमें तीन महीने की बच्ची भी किरदार है जिसने अभी बोलना नहीं आता और उसके पिता जिसका गला दबा है और बोल नहीं पाता. पिता और बेटी के बीच संवाद की अनोखी कहानी है. इसकी शूटिंग झारखंड के इलाके में हुई है. शूटिंग को लेकर उन्होंने बताया कि तीन माह की बच्ची के साथ

मनोज ने फ्यूचर प्रोजेक्ट्स के बारे में भी बताया

मनोज बाजपेयी ने बताया कि नेटफिल्क्स के लिए एक सीरिज किलर शूट कर रहा हूं. कोंकणा सेन शर्मा के साथ यह सीरिज जनवरी तक आयेगी. इसके साथ ही जी फाइव के लिए साइलेंस टू पर काम चल रहा है. एक मेन स्ट्रीम की फिल्म भैय्या जी भी 24 मई तक आयेगी, जिसमें मैं भी निर्माता हूं. इसकी शूटिंग लखनऊ में की गई है. इसके साथ ही मार्च से ऐमज़ान प्राइम की फैमिली मैन थ्री की शूटिंग शुरू कर रहा हूं. इस दौरान उन्होंने कहा कि और भी प्रोजेक्ट्स हैं, जैसे-जैसे आएंगे पता चलता जाएगा.

8 दिसंबर को रिलीज हो रही ‘जोरम’

देवाशीष मखीजा द्वारा निर्देशित, लिखित और शारिक पटेल, आशिमा अवस्थी चौधरी, अनुपमा बोस और देवाशीष मखीजा द्वारा निर्मित, ‘जोरम’ में मनोज बाजपेयी के साथ जीशान अय्यूब, पीयूष पुट्टी की सिनेमाई दृष्टि और अभ्रो बनर्जी की संपादन विशेषज्ञता के तहत बनी हैं. रूह कंपा देने वाला संगीत मंगेश धाकड़े द्वारा रचित है. ज़ी स्टूडियोज और मखीजा फिल्म्स के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास, ‘जोरम’ एक सिनेमाई मील का पत्थर साबित होने के लिए तैयार है, जिसका प्रशंसकों और आलोचकों को समान रूप से बेसब्री से इंतजार है और यह 8 दिसंबर को रिलीज होने के लिए तैयार है.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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