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Mirzapur 3 लिए ट्रोलिंग करने वालों को श्वेता त्रिपाठी शर्मा का दो टूक जवाब.. जानिये क्या कहा

mirzapur 3 में अपने परफॉरमेंस के लिए तारीफें पाने के साथ श्वेता ट्रोल भी हुई हैं. उनका कहना है  कि इससे सबसे ज्यादा परेशान सीरीज के निर्देशक गुरमीत हुए हैं .

Mirzapur 3 में अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने सशक्त ढंग से अपनी उपस्थिति दर्शायी है. वह मानती हैं कि मिर्जापुर ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, लेकिन उनके लिए संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. अच्छे काम के लिए उन्हें अभी भी इंतजार करना पड़ता है. इस सीजन, उससे जुड़ी तारीफ, ट्रॉलिंग सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के अंश.

मिर्जापुर के लिए सबसे बेस्ट कॉम्पलिमेंट क्या मिला है?
हाल ही में मैं चीता के साथ कॉफी पीने गयी थी. वेटर ने मेरे पास आकर एक नैपकिन पर लिखा नोट दिया, जिसे पढ़कर मैं बहुत ही भावुक हो गयी थी. हम कब तक अपने जेंडर और अपनी साइज से डिफाइन होंगे. अब हमारा समाज भी सोशल मीडिया की वजह से बहुत ही नॉलेजबल हो रहा है. सोशल मीडिया को लोग इतनी गालियां देते हैं, लेकिन उसकी वजह से ही समाज में परिवर्तन देखने को भी मिल रहा है. मुझे लगता है कि छोटी-छोटी जीत को सेलिब्रेट करना बहुत जरूरी है. कॉफी शॉप में जिन्होंने मुझे नैपकिन का नोट दिया था, मैं उनसे जाकर मिली. उन्होंने कहा कि अब तक गाड़ियों पर किंग ऑफ मिर्जापुर लिखा हुआ आता था, लेकिन आपके किरदार को देखने के बाद लगता है कि अब गाड़ियों पर क्वीन ऑफ मिर्जापुर लिखा नजर आयेगा. मुझे यहां पर बहुत ही सम्मानजनक लगी. लड़कियां गोलू की तरह कपड़े पहन रही हैं. मुझे लगा नहीं था कि गोलू का किरदार पॉप कल्चर का इतना अहम हिस्सा बन सकती है.

आप तारीफों के साथ ट्रॉलिंग का भी शिकार हुईं?
कई पुरुषों को लगता है कि मिर्जापुर की इस कहानी में औरत बाहुबली कैसे है. इस वजह से मुझे कई लोग ट्रोल भी कर रहे हैं, लेकिन मैं उनसे यही कहूंगी कि गालियों से ज्यादा मुझे तालियां मिल रही है. जो लोग गालियां दे रहे हैं, वह मेरी नहीं, उनकी सोच है. वैसे इस ट्रॉल्लिंग से मेरे सीरीज के निर्देशक गुरमीत को बहुत बुरा लगा. मैंने सोचा नहीं था कि गोलू बाहुबली है. दर्शकों ने यह टैग उसको दिया है, जिससे कुछ पुरुषों का ईगो परेशान हो रहा है. मुझे अपनी आलोचना से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर वह कंस्ट्रक्टिव हो. एक आर्टिस्ट के तौर पर मैं भी ग्रो करना चाहती हूं, लेकिन अगर आपको सिर्फ मुझे नीचा दिखाना है, छोटा बताना है, घर या अपनी निजी जिंदगी की झुंझलाहट को निकालने के लिए मुझे गालियां देनी है, तो मैं उस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती हूं, क्योंकि मुझे पता है कि वहां कीचड़ है. वैसे सभी पुरुष ऐसे नहीं है. सोशल मीडिया में मेरे 70 प्रतिशत फॉलोअर्स पुरुष हैं, जो मुझे मिर्जापुर क्वीन, गोलू दीदी, गोलू देवी ना जाने क्या-क्या कहकर बुला रहे हैं.

सीरीज के रिलीज के बाद जेहन में क्या ये चल रहा था कि फॉलोअर्स की संख्या बढ़ेगी?

मैं इस बात को स्वीकार करूंगी कि सीरीज के रिलीज के पहले मेरे 1.3 मिलियन फॉलोवर्स थे. जब नया सीजन रिलीज हो गया, तो मैं लगातार चेक कर रही थी कि 1.4 मिलियन हुआ या नहीं. फिर मैंने महसूस किया कि 1.4 मिलियन हो जायेगा, तो क्या हो जायेगा. उसके बाद दो मिलियन की लालसा बढ़ेगी. फिर ऐसे ही नंबर्स बढ़ते जायेंगे. क्या मुझे अपनी जिंदगी में इसी के पीछे भागना है. एक्टिंग में मैं इसलिए आयी हूं कि मैं अलग-अलग किरदार पर्दे पर ला पाऊं. अगर वैसा कुछ हो रहा है और सोशल मीडिया में मेरे 900 भी फॉलोअर्स रहेंगे, तो वह मुझे 20 मिलियन से ज्यादा खुशी देंगे. नंबर्स के चक्कर में क्या होता है कि आप दर्शकों को पसंद आने वाला ही काम लगातार करने लगते हो. खुद को बार-बार रिपीट करने लगते हो. उसमें कहीं आप खो जाते हैं. मुझे अपने आप को नहीं खोना है. एक आर्टिस्ट के तौर पर यह बहुत जरूरी है कि खुद को बचा कर रखा जाये.

इस बार गोलू के किरदार के लिए आपने अपनी फिटनेस के लिए बहुत ध्यान दिया है, तो यह आपका फैसला था या मेकर्स ने आपको कहा था?

हम जब किसी रास्ते पर चलना शुरू करते हैं, तो दरवाजा नहीं, तो कम से कम खिड़की तो खुलेगी. ऐसा मेरा मानना है. मैं तो खुद को पहले सीजन में भी फिट मानती थी, लेकिन अब समझ में आ रहा है कि उस वक्त मैं उतनी फिट नहीं थी जितना हो सकती थी. मैं चाहती थी कि जब मैं बंदूक उठाऊं, तो लगे कि मैं मानसिक ही नहीं शारीरिक तौर पर भी इसके लिए सक्षम हूं. मुझे लगता है कि गोली गोली होती है, उस पर जेंडर नहीं लिखा होता है. एक किताब है ‘आर्ट ऑफ वार’ करके, मैंने किताब पढ़ी थी. मेरी तैयारी भी गोलू की तरह ही रही है. मैंने किताब पढ़कर, इंटरव्यू सुनकर खुद को तैयार किया है. मैंने अपने बल पर भी काम किया है. हमारी जो ट्रेनर हैं पांडे जी, वह बनारस से ही हैं. उनके साथ 4 साल से मेरी ट्रेनिंग चल रही है.

मिर्जापुर के 3 सीजन की आप शूटिंग कर चुकी हैं. क्या कभी शो मस्ट गो ऑन वाला भी मामला हुआ है?

मैं बताना चाहूंगी कि सीजन तीन के पहले दिन के शूट में मुझे 102 डिग्री बुखार था. शूट से एक दिन पहले मैं रो रही थी. मुझे सेट पर जाकर शूट करना था. मुझे कोविड का डर लग रहा था. लग रहा था कि कहीं मैं सभी को कोविड न फैला दूं. शूटिंग सेट मेरे लिए बहुत ही पवित्र जगह होती है, क्योंकि उस जगह पर जाकर मैं वह काम करती हूं, जो मैं दिल और दिमाग से करना चाहती हूं. मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं मेरी वजह से ये शूटिंग रुक ना जाये. थैंक गॉड मेरा कॉविड टेस्ट नेगेटिव आया, लेकिन बुखार कम नहीं हुआ था. इस प्रकार मैंने त्रिपाठी हाउस वाले सीन किये थे. मैं कह रही हूं कि यह समय वायलेंस का नहीं, कांसोलेडिशन का है. एक सीन में जहां मुझे अली वर्कआउट करा रहे हैं. वह सीन भी मैंने तपते बुखार में किया था.

मिर्जापुर के बाद चीज बदली है या आपके लिए संघर्ष अभी भी वैसा ही है?

मिर्जापुर से जुड़ने से बहुत फायदे मिले हैं, मैं इस बात से कभी इंकार नहीं करूंगी. मेरे फॉलोवर्स बढ़े हैं या मैं अपने ब्रांड एंडोर्समेंट की बात करूं, तो मुझे जितना कुछ मिला है वह ‘मसान’ और ‘मिर्जापुर’ की वजह से मिला है. मैं अभी भी उसका फल खा रही हूं. इस बात को कहने के साथ मैं यह भी कहूंगी कि किस तरह की रोल मुझे करने हैं, क्या मुझे इस तरह के रोल मिल रहे हैं, तो मैं कहूंगी नहीं. जिस तरह की कहानी मुझे बतानी है, उस तरह की नहीं मिल रही है. मेरे पापा आइएएस ऑफिसर है और मम्मी टीचर है. एक बैकग्राउंड से आता हूं, तो मेरी सोच है कि समाज में जो गुस्सा या डर है मैं उसे पर्दे पर ला सकूं.

क्या काम न मिलने की वजह से डिप्रेशन में भी गयी हैं?
हां, होता रहता है, लेकिन अब मैंने इसे स्वीकार कर लिया है. हाल ही में मैंने ‘हाउस ऑफ ड्रैगन’ के आर्टिस्ट का इंटरव्यू देखा. वह भी यही बात कर रहे थे जो मैं अभी कह रही हूं. उनसे भी यही पूछा गया कि ‘हाउस ऑफ ड्रैगन’ में आपकी जिंदगी कितनी बदल दी है, तो उन्होंने भी यही कहा कि जब शो रिलीज होता है, तो बहुत उत्साह होता है. लगातार चर्चा होती रहती है, लेकिन फिर उसके बाद सब खत्म. उन्होंने यह भी कहा कि यह चलता रहता है.

क्या आपको लगता है कि आउटसाइडर होने की वजह से आपको खुद को हर बार साबित करते रहना पड़ता है?
हां, मैं आउटसाइडर हूं, लेकिन इंडस्ट्री का सिस्टम हमने जाकर हिलाया है. इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. मैं इस बात को कहने के साथ यह भी कहूंगी कि इनसाइडर भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. आलिया भट्ट की च्वाइस मुझे इंप्रेस करती है. अच्छा काम अच्छा काम होता है और सभी को इतनी ही मेहनत लगती है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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