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mirzapur में मुन्ना त्रिपाठी के किरदार को यह कहते हुए कहा था अली फजल ने ना..बतायी सीजन 3 से जुड़ी ये खास बातें भी

mirzapur के इस सीजन में बाहुबली गुड्डू भैया का किरदार कितना भौकाल मचाने वाला है. अली फजल ने किरदार के फिटनेस और एक्शन पर दी जानकारी

mirzapur 3 की रिलीज में अब कुछ घंटे ही बचे हैं. सीरीज में गुड्डू पंडित के किरदार के किरदार को जीवंत करने वाले अली फजल इस सीरीज को अपने करियर का अहम् पड़ाव मानते हैं. जिसने उन्हें आम लोगों से पूरी तरह से जोड़ दिया और उनके करियर को एक नयी ऊंचाई दी.वह उम्मीद करते हैं कि सीजन 3 में भी दर्शकों को उनका परफॉरमेंस छू जाएगा.मिर्जापुर के नए सीजन और उससे जुड़े पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत

गुड्डू पंडित के किरदार में फिर से जाने का आपका प्रोसेस क्या होता है ?
हम दो सीजन शूट कर चुके हैं,तो ये एक तरह की यादों जैसा हैं. उसमें झांकने के लिए ज़्यादा टटोलना नहीं पड़ता हैं.एक आम आदमी की याददाश्त भी वैसी ही होती है. वेग सी होती हैं ,जब मैंने सीजन थ्री किया तो पहले और दूसरे सीजन को नहीं देखा था,जो याद आया वो इस्तेमाल किया. जो स्क्रिप्ट में था वैसा परफॉर्म किया और हो गया .

गुड्डू पंडित के किरदार में मसल्स की भी बहुत अहमियत रही है ?
गुड्डू पंडित का बॉडी टाइप इस बार अलग है. वो स्टोरी की जरूरत भी है. सीजन २ में गुड्डू पंडित चिल्लाने वाले जोन में था. एक दर्द में था, तो उसको बल्की दिखाया गया था. धीरे – धीरे आप उसके माइंड को समझने लगते है. मैं चाहता हूं कि लोग इस बार उधर पहुंचे. (हंसते हुए)वैसे इस सीजन गुड्डू भैया को अपनी बॉडी से शिकायत रहेगी कि हम सूखा गए हैं.

हर सीजन आप चोटिल भी होते हैं ?
हां ,हर साल कुछ ना कुछ चोट लगती रहती है,लेकिन हमारी काफी अच्छी एक्शन टीम है. हमेशा की तरह इस बार भी बहुत अच्छी उनकी कोरियोग्राफी हुई है. इस बार भी आपको जबरदस्त एक्शन गुड्डू भैया का देखने को मिलेगा. गुड्डू भैया गन से ज्यादा हाथों का इस्तेमाल इस बार करते दिखेंगे.

आपको मुन्ना भैया का किरदार भी ऑफर हुआ था , क्या पता था कि वो किरदार आगे के सीजन में नहीं होगा ?
हम जब पहला सीजन करने वाले थे तो हमको ये तक नहीं पता था कि इसका दूसरा सीजन बनेगा. जहां तक बात मुन्ना के बजाय गुड्डू को चुनने की है,तो यह किरदार मुझे ज्यादा पसंद आया था. (हंसते हुए) मेकर्स को एकदम से मुन्ना के लिए ना बोलने के लिए हिचक रहा था,तो मैंने बीच का रास्ता निकाला.मैंने कहा कि मुझे लगता है कि मुन्ना के किरदार के बजाय मैं गुड्डू किरदार में अपनी तरफ से मैं कुछ जोड़ सकता हूं. मुझे लगता है कि मेकर्स को मेरी यह बहानेबाजी पसंद आ गयी और मुझे गुड्डू का किरदार मिल गया.

गुड्डू के किरदार की सबसे खास बात आपको क्या लगती है ?
अपने आसपास के भ्रष्टाचार के बावजूद इस किरदार में एक मासूमियत है, जो उसने बरकरार रखा है. वैसे किरदार को निभाते हुए मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि बिना जजमेंटल हुए इसे देखना और उसके विजन को समझना.मैंने वही करने की कोशिश की.

मिर्जापुर में कुर्सी की जंग देखने को मिल रही है , रियल लाइफ में कॉम्पिटिशन में कितना यकीन करते हैं ?
हेल्थी कॉम्पिटिशन हमेशा अच्छा है. मैं स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से हूं. मेरा हाथ टूट गया, जिसके बाद मैं एक्टिंग में आया हूं. मुझे ये बात पता है कि मेरा को एक्टर अच्छा है तो काम आसान होने के साथ साथ अच्छा भी हो जाता है.

सीरीज बहुत ही इंटेंस हैं , सेट पर कैसा माहौल रहता है ?
सारा टेंशन पेपर पर होता है. असल में सेट पर बहुत हैप्पी स्पेस होता है. इस सीरीज से जुड़े सभी लोग बहुत टैलेंटेड हैं और सभी शो को बेहतरीन बनाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं. किसी का किसी के साथ कोई टेंशन नहीं, टशन नहीं है. सबकी आपस में बहुत बनती है ,तो ऐसा नहीं है कि कुछ ईगो जैसा है. ये पहले आएंगे,वो बाद में आएंगे. सभी बराबर हैं और सभी लोग इन सब बातों में नहीं पड़ते हैं,बल्कि अपना बेस्ट देना चाहते हैं.

शूटिंग के वक़्त क्या कैमरा देखते हैं कि मैं शॉट में परफेक्ट हूं या नहीं ?
मैं अब देखने लगा हूं थोड़ा ,लेकिन उसकी वजह दूसरी है क्योंकि लाइफ में मैं राइटिंग भी कर रहा हूं. हम फिल्मों का निर्माण भी कर रहे हैं. ऐसे में मुझमें एक चुल मचने लगती है. मुझे फ्रेम में ज्यादा दिलचस्पी होने लगी है. मैं कैमरा डिपार्टमेंट के साथ बैठा रहता हूं. मैं लाइट समझता हूं. कैसे फ्रेम होना चाहिए. कैमरा क्यों मूव कर रहा है. आजकल अलग-अलग एंगल से कैमरा शूट करता है,पहले ये सब नहीं था.पहले एक कैमरा लग जाता था और आपको उस नरेटिव में यकींन करना पड़ता है.अभी भी नरेटिव मजबूत है,मिर्जापुर की टीम को ही देख लो,लेकिन कैमरा भी मूव होता है. अभी सबकुछ एक पेंटिंग की तरह है, जिसमें सबकी अहमियत है.

इस सीरीज के सीन ४ की भी बात शुरू हो गयी है, एक सीरीज के कितने सीजन बनने चाहिए ?
ओटीटी का हिसाब है कि जब तक दर्शकों का प्यार मिल रहा है. आप कहानी को आगे बढ़ा सकते हैं. वेब सीरीज में खेलने को बहुत होता है. फिल्मों में आपका इमेजिनेशन थोड़ा कम इस्तेमाल होता है क्योंकि एक टाइप का स्क्रीनप्ले होता है. पूरे डेढ़ दो घंटे में ही आपको पूरी कहानी सुनानी है. किरदार जीना है.मरना है. जो भी है करना है.उसी में आपको करना है. सीरीज में आप बहुत खेल सकते हैं. बहुत सारे किरदार होते हैं. उनके आर्क को दिखाकर आप बहुत खेल सकते हैं.

आप इंटरनेशनल फिल्मों का भी चेहरा हैं ,आप सबसे ज्यादा क्या एन्जॉय करते हैं ?
कल्चर और इकोनॉमिक्स अलग अलग होता है. अपनी यहां की फिल्में और सीरीज करने में बहुत प्यार मिलता है.इसके साथ ही हमारी कहानियों में मुझे ज्यादा रूचि है, इसलिए मैं यहां रह गया वरना वहां जाने के बहुत मौके थे. वैसे दुनिया बहुत छोटी हो रही है. हम ग्लोबल स्टेज पर पहुंच गए हैं. हमें फिल्मों के लिए वहां नहीं जाना पड़ेगा , मुझे यहां की कहानियां वहां ले जानी है. अपने प्रोडक्शन हाउस से मैं और ऋचा वही करने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी प्रोडक्शन की फिल्म गर्ल्स विल बी गर्ल्स इनदिनों सभी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में सराही जा रही है.

आप जल्द ही पिता बनने वाले हैं ?
बहुत उत्साहित हूं. मैं शब्दों में बता नहीं पाऊंगा. किताबें पढ़कर ऋचा का ख्याल रखने की कोशिश कर रहा हूं  .

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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