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Aayushmati Geeta Matric Pass Review:बेटी ही नहीं बहुओं को भी पढ़ाने की देती है सीख

वीकेंड पर आज रिलीज हुई फिल्म आयुष्मति गीता मैट्रिक पास देखने का मन बना रहे हैं,तो इससे पहले पढ़ ले ये रिव्यु

फिल्म -आयुष्मति गीता मैट्रिक पास

निर्देशक :प्रदीप खैरवार 

कलाकार: कशिका कपूर ,अनुज सैनी, अतुल श्रीवास्तव,अलका अमीन,प्रणय दीक्षित और अन्य 

प्लेटफार्म :सिनेमाघर  

रेटिंग : ढाई 

aayushmati geeta matric pass:हिंदी सिनेमा में शिक्षा पर आधारित फिल्में समय -समय पर आकर शिक्षा के महत्व को समझाती रही हैं. इस शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म आयुष्मति गीता मैट्रिक पास पास बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद करते हुए महिला सशक्तिकरण की कहानी है. ड्रामा और हास्य के रंग के साथ इस कहानी को कहने की कोशिश की गयी है, फिल्म की कहानी प्रेडिक्टेबल है, लेकिन इससे जुड़ा सन्देश इसे खास बनाता है.

 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद करती है कहानी 

फिल्म की कहानी बनारस के विद्वानपुर गांव की कहानी है. गांव का सिर्फ नाम ही विद्वानपुर है. वहां के लोगों का पढाई -लिखाई से दूर – दूर तक कोई नाता नहीं है. इन सबके बीच विद्याधर(अतुल श्रीवास्तव) ने अपनी स्वर्गवासी पत्नी चंदा को वादा किया है कि वह अपनी बेटी गीता (कशिका कपूर) की शादी मेट्रिक पास होने के बाद ही करवाएंगे ,जिससे गांव वाले हमेशा उसकी आलोचना करते रहते हैं . गांव की एक शादी में गीता की मुलाक़ात कुंदन (अनुज सैनी ) से होती है, जिसके बाद प्यार तो होना ही था. प्यार हो गया तो चट मंगनी पट विवाह की बात भी चल पड़ती है. कुंदन अपने परिवार के साथ शादी की बात करने के लिए गीता के घर पहुंच जाता है, लेकिन गीता के पिता शादी से इंकार कर देते हैं क्यूंकि गीता मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गयी है और उसके पिता चाहते हैं कि गीता के मैट्रिक पास होने के बाद ही उसकी शादी हो.कुंदन अपने प्यार के लिए गीता की मैट्रिक की परीक्षा में पास होने तक इंतजार करने का फैसला करता है, लेकिन हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि गीता पर परीक्षा में चीटिंग का आरोप लग जाता है,लेकिन उसके बाद भी हालात बनने के बजाय और बिगड़ जाते हैं, गीता के पिता भी उसका साथ छोड़ देते हैं,लेकिन कुंदन गीता का साथ देता है. वह तय करता है कि वह गीता का मैट्रिक पास करने का सपना वह जरूर पूरा करेगा. क्या वह गीता के मैट्रिक पास होने के सपने को पूरा कर पायेगा. यह सब कैसे होगा. यही आगे की कहानी है.


फिल्म की खूबियां और खामियां

 यह फिल्म बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद करती है.इसके साथ ही यह फिल्म बहुओं और पत्नियों की भी शिक्षा की वकालत करती है.जिससे महिला शिक्षा से जुड़ा इसका विषय और खास बन गया है,लेकिन इसके साथ ही फिल्म शिक्षा घोटाला, पितृसत्ता समाज, लड़कियों की शिक्षा से ज्यादा शादी की अहमियत और पढ़े लिखे होने के बावजूद लड़कियों को संभालना चूल्हा चौका ही है जैसी कई दूसरे मुद्दों को भी कहानी में लिए हुए हैं, लेकिन एक समय के बाद इन मुद्दों की अति होने लगती है.जिसकी वजह से फिल्म कई बार लड़खड़ा भी जाती है.हालांकि फिल्म आपको बांधे रखती है. गीत संगीत कहानी के अनुरूप हैं.फिल्म से जुड़े दूसरे पहलू ठीक ठाक हैं.फिल्म सीमित बजट में बनायी गयी है. फिल्म को देखते हुए यह बात समझ आती है.

अतुल श्रीवास्तव और अलका अमीन के अभिनय ने फिल्म को दी मजबूती   

कशिका कपूर की बतौर एक्ट्रेस अपनी शरुआत की है. वह गीता के किरदार के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश करती हैं.इमोशनल सीन और डायलॉग डिलीवरी  में उन्हें थोड़ा और खुद पर काम करने की जरुरत है. अनुज सैनी भी औसत रहे है। अतुल श्रीवास्तव और अलका अमीन मंझे हुए कलाकार हैं। उन्होंने अपने अभिनय से फिल्म को मजबूती दी है. प्रणय दीक्षित ने अपनी कॉमिक अंदाज से फिल्म में हास्य रंग भरने की सधी हुई कोशिश की है. बाकी के किरदार भी अपनी – अपनी भूमिका के साथ न्याय करने में सफल रहे हैं. 


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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