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Mudassar Aziz:रणवीर अल्लाहबादिया के मुद्दे पर मुदस्सर अजीज ने कही ये बात 

कॉमेडी फिल्मों के लिए खास पहचान रखने वाले लेखक और निर्देशक मुदस्सर अजीज ने इस इंटरव्यू में कॉमेडी से जुड़ी चुनौतियों के साथ -साथ जिम्मेदारियों पर भी बात की है.

mudassar aziz :हैप्पी भाग जाएगी, पति पत्नी और वो,खेल खेल में और हालिया रिलीज फिल्म मेरे हसबैंड की बीवी से लेखक और निर्देशक के तौर पर मुदस्सर अजीज का नाम जुड़ा हुआ है. मुदस्सर अजीज इंडस्ट्री में अपनी कॉमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. कॉमेडी फिल्मों के लेखन और उससे जुड़ी चुनौती और विवादों पर उर्मिला कोरी से उनके साथ हुई बातचीत  

मेरे हसबैंड की बीवी में नया था प्रयोग

मेरी हालिया रिलीज फिल्म मेरे हसबैंड की बीवी में मैंने अलग तरह की कॉमेडी करने की कोशिश की.हमने पहली बार ऐसा प्रयास किया कि एक पूर्व प्रेमिका जीवन में वापस आती है. वह ऐसे समय में आती है,जहां वह हार नहीं मान सकती है. लव ट्रायंगल  पहले भी बनाए गए हैं। यह एक प्यारा संयोजन था और यह एक्स और फ्यूचर के बारे में था, जहां एक आदमी दोराहे पर खड़ा है और यह इस फिल्म की खासियत थी.मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं,इसलिए मुझे अपने देश की बहुत सी भाषाएं पसंद हैं, इसलिए जब भी मैं कोई फिल्म बनाता हूं और किसी खास क्षेत्र में शूटिंग करता हूं तो मैं अपनी फिल्मों में स्थानीय हास्य लाने की कोशिश करता हूं. हैप्पी भाग जाएगी, पति पत्नी और वो के अलावा मेरे हसबैंड की बीवी में भी आपको वो देखने को मिलेगा.

फिल्म लिखते हुए मां को ध्यान में रखता हूं

 मैं फिल्म इंडस्ट्री से नहीं हूं. मैं इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हूं, लेकिन  मुझे फिल्में बनाने का शौक था और मैं फिल्मों में आ गया। मैंने अपने परिवार के साथ जो फिल्में देखीं, वे मेरे साथ रहीं खासकर अपनी मां के साथ. अपनी मां के साथ फिल्मों पर चर्चा करता था. मेरे पिता सख्त अनुशासन प्रिय इंसान थे और कभी फिल्मों के बारे में चर्चा नहीं करते थे लेकिन मेरी मां को फिल्में देखने का बहुत शौक रहा है. खासकर कॉमेडी फिल्मों को हम बहुत एन्जॉय करते हैं. यही वजह है कि फिल्म या सीन लिखते हुए  मैं अपनी मां को ध्यान में रखता हूं. दूसरी बात यह है कि मैंने हमेशा मजबूत महिला किरदारों के बारे में लिखा है क्योंकि मां का मुझ पर बहुत प्रभाव था. अब तक मैंने ऐसी कोई फिल्म नहीं बनाई है जिसमें महिला का किरदार कमजोर हो. मेरी मां एक छोटे शहर से थीं और इस बड़े शहर में मेरे पिता के साथ घुलमिल गई थीं. उन्होंने उर्दू में पढ़ाई की थी और अंग्रेजी में बात नहीं कर पाती थीं, अंग्रेजी में बोलते समय उन्हें दिक्कत होती थी.फिल्म इंग्लिश विंग्लिश में श्रीदेवी जी का किरदार मेरी मां से प्रेरित था.

लोगों को हंसाना मुश्किल

फिल्म बनाना मुश्किल लेकिन सबसे मुश्किल काम लोगों को हंसाना है, खासकर थिएटर में लोगों को हंसाना. हो सकता है कि आपको कोई सीन मजेदार लगे और कोई नहीं. हास्य समय के साथ खुद को ढाल लेता है. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हमें किस तरह का अनुभव मिला है, कौन सा शब्द, कौन सी पंक्तियां हमें हंसाती हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी हास्य बदलता रहता है. बच्चे किसी बात पर हंस सकते हैं, लेकिन बड़े लोग उसका आनंद नहीं ले सकते हैं. यह अन्य भावनाओं जैसे कि सदमा, भय, क्रोध आदि के साथ नहीं आता है, लेकिन मेरा प्रयास एक अलग तरह की हास्य फिल्म बनाने का हमेशा होता है.

दर्शक इरादे समझ जाते हैं 

मैं इस बात को मानता हूं कि फिल्मों का लेखन लाइव कॉमेडी करने वालों से कहीं ज़्यादा आसान होता है क्योंकि मेरे द्वारा बनाए गए किरदार होते हैं और मैं उन्हें कंट्रोल कर सकता हूँ. लाइव शो में हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि हमें तुरंत रिस्पांस चाहिए होता है. जिससे कॉमेडी की परिभाषा पूरी तरह बदल जाती है. इसके बावजूद  जैसा कि मैंने कहा कि जब मैं लिखता हूँ तो अपनी माँ को ध्यान में रखता हूँ कि मेरी मां का इस लाइन पर क्या रिएक्शन होगा तो वो मुझे जिम्मेदार बनाता है. हमारे दर्शक बहुत समझदार हैं, वे आपके इरादे तुरंत समझ जाते हैं. अगर आपका इरादा साफ है और आपका उद्देश्य सिर्फ़ दर्शकों को हंसाना है, तो वे माफ़ करने के लिए तैयार रहते हैं. क्योंकि वे आपके इरादे जानते हैं. अगर आपका इरादा एक्साइटमेंट को बढ़ाना या तुरंत लोकप्रिय होना है, तो दर्शक तुरंत इसे समझ लेते हैं. हमारा देश की संस्कृति में समृद्ध है और हमने कविता, शायरी और लेखन के कई अन्य रूपों में हास्य का अनुभव किया है.जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया है.

नयी पीढ़ी  माहिर नहीं मशहूर होना चाहती है 

रणवीर अल्लाहबादिया मामले पर  मैं यही कहूंगा कि इससे पहले इससे बुरी बातें किसी शो में बोली नहीं गयी हैं. ऐसा नहीं है और आगे भी इससे बुरा नहीं बोला जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. दिक्कत सोच की है. अभी सब रातों रात फेमस हो जाना चाहते हैं. जब हम बड़े हो रहे थे तो हमारे घर वाले हमसे कहते थे कि माहिर बन जाओ तो मशहूर खुद ब खुद बन जाओगे. मौजूदा पीढ़ी की दिक्क्त है कि वह महशूर होना चाहते हैं,माहिर नहीं लेकिन युवा पीढ़ी को यह बात समझनी होगी कि अगर आप क्रिएटिव फील्ड में आ रहे हो,तो आपको एक जिम्मेदारी के साथ आना होगा. आप कुछ भी ऐसा ना बोलें,जो सिर्फ सनसनी के लिए और दूसरों को असहज कर दें.   

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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