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National Youth Day 2025:सिनेमा के इन युवा अचीवर्स ने छोटी उम्र में बनाई है पहचान खास

नेशनल यूथ डे के इस मौके पर आइये जानते हैं सिनेमा से जुड़े कुछ खास युवा अचीवर्स को

national youth day 2025:भारत के आध्यात्म गुरु स्वामी विवेकानंद की जयंती आज 12 जनवरी को मनाई जा रही है. इस दिन को देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है क्योंकि उनके अनमोल विचार युवा पीढ़ी के लिए सफलता का मूलमंत्र रहे हैं। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं के लिए कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए. भारतीय सिनेमा के कुछ  युवा अचीवर्स ने उनकी इस कथनी को अपनी मेहनत ,जूनून,संघर्ष और समपर्ण से साकार किया है. उन्होंने अपनी काबिलियत से छोटी उम्र में खास पहचान बनायीं है. आइये जानते हैं सिनेमा के इन युवा अचीवर्स को और उनके संघर्ष को करीब से 

 13 साल की उम्र से इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहा हूं  -स्पर्श श्रीवास्त्व 

वेब सीरीज जामताड़ा से सुर्ख़ियों में आये 29 वर्षीय अभिनेता स्पर्श श्रीवास्तव मौजूदा दौर में अपने एक के बाद एक प्रोजेक्ट्स में अभिनय के लिए लगातार सराहे जा रहे हैं. उनकी प्रसंशकों की फेहरिस्त में आमिर खान , सलमान खान, फरहान अख्तर और शबाना आजमी का नाम शामिल हैं. उन्हें युवा चेहरों में काफी प्रॉमिसिंग माना जाता है. मूल रूप से आगरा के रहने वाले अभिनेता स्पर्श बताते हैं कि सभी को लगता है कि मैं इंडस्ट्री में नया हूं, लेकिन मैं इंडस्ट्री में नया नहीं हूं.मैं साल  2010 में मुंबई डांस रियलिटी शो चक धूम धूम के लिए आया था. मैं उसका विनर बना. उस वक़्त मेरी उम्र 13  साल थी. मिडिल क्लास परिवार से था, लगा कि अब सब ठीक हो जायेगा लेकिन उसके बाद संघर्ष शुरू हुआ. डांस रियलिटी शो का विनर था तो टेलीविज़न शो में छोटे मोटे काम मिलने लगे और मैं एक्टिंग को एन्जॉय करने लगा, लेकिन कुछ ऐसा काम नहीं मिल रहा था जो  यादगार बन पाए. जामताड़ा में नोटिस होने से पहले तक इंडस्ट्री में मैंने दस साल का लंबा संघर्ष किया था. सर्वाइव करने के लिए राइटिंग का भी काम किया. काफी ऑडिशन के बाद जामताड़ा मिला. निर्देशक सौमेंद्र पाधि को छोड़ किसी को भी यकीन नहीं था कि मैं सनी के किरदार को कर पाऊंगा लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं अपना बेस्ट दूंगा और मैंने खुद को साबित किय.।स्पर्श आगे बताते हैं कि मैं एक्टिंग को बहुत एन्जॉय करता हूं ,लेकिन मुझे मौक़ा मिला तो मैं और भी चीजें साथ -साथ करना चाहूंगा. डांसिंग से लेकर राइटिंग तक सबकुछ. 


जमशेदपुर से मुंबई आना आसान नहीं था :आदर्श गौरव 

मूल रूप से जमेशदपुर के 30 वर्षीय आदर्श गौरव की अभिनेता के तौर पर पहचान इंटरनेशनल है. वह फिल्म वाइट टाइगर के लिए जबरदस्त फेम बटोर चुके हैं. वह हिंदी फिल्मों ,वेब सीरीज के साथ -साथ इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स का भी लगातार हिस्सा बनते रहते हैं.इस साल इंटरनेशनल टेलीविजन सीरीज एलियन में दिखेंगे.इसके अलावा उनकी हिंदी  फिल्म सुपरबॉय ऑफ़ मालेगाव भी रिलीज होगी.आदर्श की मानें तो वह शुरुआत में सिंगर बनना चाहते थे.वह बताते हैं कि हिंदुस्तानी क्लासिकल में मेरी ट्रेनिंग साढ़े चार साल की उम्र में शुरू हो गयी थी.उस वक़्त पढ़ना भी नहीं जानता था.सुनकर सीखता था.मैंने जमशेदपुर के कई लोकल म्यूजिक कॉम्पिटिशन में हिस्सा भी लिया था.मैं हमेशा से सिंगिंग में ही अपना कैरियर बनाना चाहता था,लेकिन जब हमलोग जमशेदपुर से मुम्बई शिफ्ट हुए.मेरे पिता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में काम करते थे.उनकी पोस्टिंग जमशेदपुर से मुम्बई हो गयी थी.उसके बाद एक्टिंग की ओर मेरा रुझान गया क्योंकि किसी ने कहा कि तुम्हें एक्टिंग में किस्मत आज़माना चाहिए. शायद मेरे अंदर भी यह चाहत थी. बस उसे एक पुश मिलने की जरूरत थी.मैंने उसके बाद अपना पोर्टफोलियो बनाया और मैंने विज्ञापन फिल्मों और उसके बाद फिल्मों के लिए ऑडिशन देना शुरू किया. इसके साथ ही ड्रामा स्कूल ऑफ मुम्बई का भी हिस्सा बना. 13 साल की उम्र में जमशेदपुर से  मुंबई आया था. शुरुआत में जब मैं मुम्बई आया था तो मेरे लिए कुछ साल टफ थे क्योंकि मैंने अपना पूरा बचपन जमशेदपुर में ही बिताया था. वहां का माहौल और रहन सहन मुंबई से बिल्कुल ही अलग था. यहां स्कूल में बच्चों के बीच ब्रांड्स की ही बात होती थी कि उन्होंने इस ब्रांड के कपडे पहने हैं या शूज. मुझे बहुत हीन महसूस होता था. मैं अपने माता पिता को कहता था कि मुझे जमशेदपुर पढ़ाई के लिए भेज दे।पढ़ाई के बाद मैं मुंबई आ जाऊंगा.उन्होंने मुझे कहा कि अब मुम्बई भी हमारा घर है.कुछ साल लगे मुंबई को अपनाने और अपनी सोच बदलने में. वैसे इस अनुभव ने इंसान के तौर पर मुझे काफी परिपक्व किया। इसके अलावा मेरे पिता की जॉब  की वजह से हर डेढ़ साल में हमें घर बदलना पड़ता है. इसने ही मुझे हर नए सिचुएशन के लिए हमेशा तैयार रखना सिखाया है. 

11 वीं क्लास में तय कर लिया फिल्में बनाना है :अचल मिश्रा 

मैथिलि सिनेमा की पहचान को इंटरनेशनल बनाने में जुटे लोगों में एक खास नाम दरभंगा के चैत्राबाद के रहने वाले 28 वर्षीय निर्देशक और लेखक अचल मिश्रा का है.उनकी पहली फिल्म गामक घर का प्रीमियर 21वें मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल 2019 में हुआ, जहां इसने भारतीय सिनेमा में नई आवाज बनने के लिए मनीष आचार्य पुरस्कार जीता था, तो 2022 में रिलीज हुई धुईं ने फ्रांस के प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल कान में स्क्रीन हुई थी. अचल की 2023 में आयी फिल्म री भी कई इंटरनेशनल फेस्टिवल का हिस्सा रही है. फिल्मों से अपने जुड़ाव पर अचल बताते हैं कि मेरे पिता डॉक्टर हैं.मेरे माता पिता दरभंगा में ही रहते हैं. मेरी पढ़ाई अलग अलग बोर्डिंग स्कूल से हुई है.स्कूल के दौरान से ही मैं शार्ट फिल्में बना रहा हूं. उसके बाद मैं फिल्म  की पढ़ाई के लिए लंदन चला गया.वहां से आकर मैं फिल्में बनाने लगा.एक छोटी फ़िल्म बनायी फिर 2018 में गामक घर और फिर धुईं. मेरे मम्मी पापा बहुत सपोर्टिव हैं. परिवार के दूसरे लोग जरूर बोलते थे कि आईएएस कर लो. मुझे फोटोग्राफी,ड्राइंग ,लिखने ये सबका बहुत शौक रहा है.जब फिल्म  बनायी तो लगा कि ये सबका मिक्चर है तो मैं उस प्रोसेस को बहुत एन्जॉय करता था.11 क्लास में ही मैंने तय कर लिया था कि मुझे फिल्म  बनाना है। मैं बताना चाहूंगा कि आमतौर पर सभी की पसंद बॉलीवुड फिल्में होती हैं लेकिन मैंने शुरूआती सालों में  ज़्यादा एशियाई ,इरानियन,जापानी सिनेमा देखा था। उन सबसे ज़्यादा प्रभावित था. मैं बॉलीवुड की फिल्म तलवार का अस्सिटेंट डायरेक्टर रह चुका.उस वक़्त ही मुझे समझ आ गया था कि मैं बॉलीवुड के  पॉपुलर सिनेमा को नहीं बना सकता.मुझे अलग तरह की फिल्में बनानी हैं. जो सभी की दिल को छुए. इस दौरान मैंने यह भी महसूस किया कि मैथिलि भाषा में फिल्में नहीं बन रही हैं. मैं चाहता हूं कि मैथिली में और लोग फिल्में बनाएं.

          शूटिंग के ब्रेक में पढाई करती हूं –  नीतांशी गोयल 

बीते साल भारत से ऑस्कर के लिए भेजी गयी आमिर खान के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म लापता लेडीज में फूल कुमारी का किरदार निभाकर जबरदस्त सुर्खियां 17 वर्षीय नीतांशी गोयल ने बटोरी थी. उस वक़्त उनकी उम्र 15 साल की थी।  इसके लिए आईएमडीबी ब्रेकआउट स्टार स्टारमीटर पुरस्कार भी जीता था. खास बात है कि  वह विश्व स्तर पर इस पुरस्कार की सबसेकम उम्र में पानेवाली अभिनेत्री हैं.नीतांशी एक मध्यम वर्ग परिवार की लड़की हैं, जिसका कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है नीतांशी एक्टिंग से जुड़ाव पर कहती हैं कि मंच के लिए मेरा प्यार स्कूल ड्रामा प्रतियोगिताओं से शुरू हुआ था. मिस नोएडा और मिस जूनियर नॉर्थ इंडिया जीतना मेरे लिए एक कदम था.वहां से, मैं टीवी शो में चली गई.थपकी प्यार की , कर्मफल दाता ,इश्कबाज जैसे शोज का लगातार हिस्सा बनती रही थी फिर धोनी और इंदु सरकार जैसी फिल्में मिली. मैं एक्टिंग  में काम करना था इसलिए मेरी मां ने टीचर की सरकारी नौकरी छोड़ दी और पापा ने भी मुंबई में नया जॉब किया। बस मेरे पेरेंट्स की एक ही मांग थी कि मैं पढाई को पूरी करूंगी.  मैंने अपनी पढ़ाई और अभिनय के बीच संतुलन बनाया. सेट पर भी, मेरे पास हमेशा मेरी स्कूल की किताबें होती हैं. अभी मैं 12 क्लास में हूं और इस साल मेरे बोर्ड एग्जाम हैं. एक्टिंग बहुत ही डिमांडिंग जॉब होता है ऐसे में पढाई को भी मैनेज करना आसान नहीं होता है।  मुझे एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ती है. कई दिन बहुत हेक्टिक होते हैं लेकिन मैं समझौता नहीं करती हूं. फिल्म लापता लेडीज की शूटिंग के दौरान मेरे 9 क्लास के फाइनल एग्जाम था, शॉट्स के बीच पढ़ती थी. इसके लिए मैं फॅमिली , फ्रेंड्स के साथ अपने टीचर्स की भी बहुत शुक्रगुजार हूं, जो उन्होंने हमेशा सपोर्ट कर चीजें आसान की. 


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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