24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

National Youth Day 2025:गर्ल्स विल बी गर्ल्स की प्रीति पाणिग्रही के परफॉरमेंस को देख शबाना आजमी ने कह दी थी ये बात..

नेशनल यूथ डे पर गर्ल्स विल बी गर्ल्स की अभिनेत्री प्रीती पाणिग्रही ने बताया कि छठवीं क्लास में ही वह एक्टिंग को लेकर सीरियस हो गयी थी.

national youth day 2025 :ऑस्कर की बेस्ट फिल्म कैटेगरी में नॉमिनेटेड फिल्म गर्ल्स विल बी गर्ल्स का चेहरा 23 वर्षीय प्रीति पाणिग्रही हैं. 2024 के सनडांस फिल्म फेस्टिवल में अभिनय का विशेष ज्यूरी पुरस्कार उन्होंने अपने नाम किया था.युवा अभिनेत्री कहती हैं कि मजा भी आ रहा है. थोड़ा डर भी लग रहा है. मेरे कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा था कि सक्सेस इज मोस्ट डिफिकल्ट टीचर. एक्टिंग में आपको बार-बार प्रूव करना पड़ता है. एक किरदार निभा लिया अच्छा लग रहा है,लेकिन बाकी की किरदारों को निभाने की प्यास है और उसके लिए जमकर मेहनत करने का मन है.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

आपकी फिल्म और आपकी परफॉर्मेंस की लगातार चर्चा हो रही है किसी खास शख्स ने कुछ कहा हो जो आप शेयर कर सके? 

शबाना जी से मुलाकात मामी फिल्म फेस्टिवल में हुई थी.वह फिल्म देखने आई थी. स्क्रीनिंग को तुरंत बाद वह मेरे पास आयी और मुझे गले लगा लिया. उन्होंने कहा कि तुम कहां पर थी अब तक. यह शब्द मेरे लिए बहुत खास थे.मैं अपने से ज्यादा अपनी फिल्म के प्रोड्यूसर,डायरेक्टर और अपनी कास्टिंग डायरेक्टर को सारा क्रेडिट देना चाहूंगी.उनकी वजह से ही मुझे यह सब मिल रहा है.

फैमिली बैकग्राउंड क्या रहा है और क्या हमेशा से ही फिल्मों की ओर रुझान था?

 मैं मूल रूप से भुवनेश्वर से हूं. मेरी मम्मी वाइस प्रिंसिपल हैं जबकि मेरे पिता गवर्नमेंट जॉब करते हैं.मेरी फैमिली काफी सपोर्टिव रही है. हमारे घर में बचपन से हम फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं. पापा मम्मी हमेशा कहते थे कि पढ़ाई होना चाहिए,लेकिन उसके साथ कुछ और एक्स्ट्रा भी होना चाहिए. मेरी दीदी ओडिसी डांसर है. मैंने बचपन से उनको डांस करते हुए देखा है. कभी कोई छोटा-मोटा पार्ट होता था. तो मुझे बुला लेती थी.जैसे कृष्णा बनना है. मुझे समझाती थी कि तुम्हें बस बीच में बैठकर बांसुरी पकड़ना है. कुछ नहीं करना है. स्टेज को लेकर जो लालच होता है. मेरा उधर से ही आया है. मेरे पापा मम्मी जो भी हमारा परफॉर्मेंस होता था.उसको रिकॉर्ड करके रखते थे.एक तरह से पूरी एक्टिविटी होती थी. तैयार होकर स्टेज पर जाओ. परफॉर्म करो। सब लोग आपकी तारीफ करेंगे, फिर घर पर जाकर वह पूरा वीडियो देखो कि आपने कैसा परफॉर्म किया है. तो बचपन से ही स्टेज मेरे साथ चलता रहा.

कब लगा कि एक्ट्रेस बनना है ?

क्लास छठी में मैं सीरियसली स्टेज को लेना शुरू कर दिया. नेशनल लेवल पर एक थिएटर का वर्कशॉप कैंप भी किया था जिसके लिए मुझे सम्मानित किया गया था. मेरी एक्टिंग की जर्नी में अपनी स्कूल टीचर संघमित्रा का भी नाम लेना चाहूंगी जब मुझे विश्वास नहीं था कि मैं अलग -अलग तरह का किरदार कर सकती हूं, उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया था. प्रेमचंद की कहानी है बूढ़ी काकी. उसको उन्होंने प्ले राइटिंग में कन्वर्ट किया था और मुझे बूढ़ी काकी का रोल करवाया था. उस वक्त मैं दसवीं क्लास में पढ़ रही थी. जो मेरे लिए बहुत बड़े चैलेंज की तरह था और मेरी संघमित्रा मैम ने मुझे कहा था कि मुझे यह चैलेंज लेना चाहिए सभी ने मेरी बहुत तारीफ की थी .जिसे और मोटिवेशन बढ़ा और मैंने कॉलेज में भी थिएटर लिया. मैं दिल्ली के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की. वहां पर भी हमने बहुत सारे नुक्कड़ नाटक किए. इसके बाद पेंडेमिक आ गया और हम घर चले गए. घर पर बैठे हुए मैंने फिल्म बनाने में ही दिलचस्पी ली. मैंने कैमरा लेकर खुद को रिकॉर्ड किया. खुद की फिल्में बनाई. एक्टर,डायरेक्ट सब कुछ मैं ही थी.मैंने यूट्यूब पर डाला.उस दौरान मैंने घर से ही ऑडिशन देना शुरू किया था,जिसकी वजह से मुझे दो-तीन ऐड फिल्में भी मिली.

गर्ल्स विल बी गर्ल्स किस तरह से आप तक पहुंची ? 

हिन्दू कॉलेज की मेरी फ्रेंड थी,जो कास्टिंग डायरेक्टर के साथ काम कर रही थी.उसे मालूम था कि मैंने ऐड फिल्में की है. उसने मुझे सजेस्ट किया कि तुम अपना एक ऑडिशन भेज दो.मैंने अपना एक इंट्रोडक्शन ऑडिशन उसके पास भेज दिया था. दरअसल निर्देशिका शुचि चाहती थी कि पहले मैं इंसान किस तरह से हूं वह जाने. उसके बाद स्क्रिप्ट के दो-तीन सीन मुझे भेजे गए थे.एक फिल्म में मेरी मां बनी कनी और मेरा डांस करने वाला सीन था,जिसमे मुझे डांस करना था और लास्ट में रिएक्शन देना था कि मेरी मां क्यों डांस कर रही है. वैसे जिस सीन की वजह से मुझे शुचि ने कास्ट किया वह केशव यानी श्रीनिवास के साथ मेरा एस्ट्रोनॉमी क्लास वाला सीन था.उन्होंने कहा कि मैंने अपने एक्सप्रेशन से बखूबी  दर्शाया कि मैं श्री को पसंद करती हूं ,लेकिन मैं दिखा नहीं रही हूं.उसके बाद उन्होंने मुझे केमिस्ट्री टेस्ट के बुलाया.केशव और कनी के साथ सीन परफॉर्म हुए और मालूम पड़ा कि हम तीनों एक साथ अच्छा काम कर रहे हैं.

फिल्म में आपकी मां कनी हैं ,जो उम्दा एक्ट्रेस हैं क्या शुरुआत में आप नर्वस थी ? 

कनी को मैं इस फिल्म से मिलने से पहले जानती हूं. मैं उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित रही हूं. मैंने उनका काम देखा है.वह काफी लाजवाब हैं.सच कहूं तो थोड़ी सी इंटीमीडिएट थी कि मुझे इनके साथ काम करना है.मुझे लगा था कि उनके काम करने का तरीका थोड़ा अलग होगा, लेकिन वह जमीन से जुड़ी हुई इंसान है.सबसे बहुत ज्यादा घुल मिलकर रहती है. अपनी सफलता को कभी अपने काम के दायरे में लेकर नहीं आती है.सक्सेस पर फोकस उनका होता ही नहीं है. वह अपने बस काम को इंजॉय करती हैं. इस तरह के इंसान से काफी कुछ सीखने को मिलता है कि इतना कुछ अचीव करने के बाद ही बहुत ही हम्बल हैं. इसके अलावा मैंने उनसे सेट पर रिलैक्स रहना भी सीखा , शुरुआत में मैं बहुत ही डरी हुई थी, लेकिन मैंने देखा उनका किरदार भी काफी काम्प्लेक्स है,लेकिन जैसे कैमरा ऑफ होता था.वह एकदम चिल मोड में चली जाती थी. एक्टिंग के बारे में हम लोगों ने बहुत कुछ बातें की. उन्होंने फ्रांस में जाकर थिएटर किया है. भारत में भी उन्होंने बहुत ही गहराई के साथ थिएटर में काम किया है.

इस फिल्म में आपके लिए सबसे मुश्किल सीन कौन सा था? 

एक सीक्वेंस है,जिसमें कुछ लड़के मुझे  फॉलो कर रहे हैं. वह सीन कुछ दिनों में शूट हुआ था.एक ही दिन में नहीं हुआ था. शेड्यूलिंग के अनुसार थोड़ा आगे पीछे शूट हुआ था. जब वह अंदर जाती और मम्मी से बात करती है. वह सीन पहले शूट हुआ था और जो भागा दौड़ी वाला पार्ट है.वह बाद में शूट हुआ था. जब मुझे फोन पर बात करना था,तो मुझे ऐसा एक रिएक्ट करना था कि हां मैं डरी हुई हूं. मुझे अभी लोगों ने बुली किया है.वह सब सिचुएशन मुझे खुद से दिमाग में क्रिएट करना पड़ा. हालांकि निर्देशिका ने हमारी बहुत मदद की. मेरे को एक्ट्रेस ने भी इसमें मेरी मदद की. फोन वाले सीन से पहले मुझे थोड़ा बहुत डराया भी गया ताकि आसानी से सिचुएशन चली जाऊं. सीक्वेंस की शूटिंग साड़ी में हुई थी. साड़ी में भागना आसान नहीं होता है और मेरे चप्पल भी बहुत ही बड़ा फ्लैट था तो मुझे फिसलने का भी डर लग रहा था,लेकिन सब कुछ सही ढंग से हो गया.

फिल्म में इंटिमेट सीन के लिए फीमेल कोऑर्डिनेटर सेट पर मौजूद होती थी ?

निर्देशिका शुचि ही हमारी इंटिमेसी कोऑर्डिनेटर थी. उनकी जो पिछली फ़िल्म थी.उसमें इंटिमेट सींस काफी थे, तो उनका अनुभव रहा है.उन्होंने काफी ध्यान से हमारे साथ शूट किया. इंटीमेट सीन में कम्युनिकेशन बहुत ही इंपोर्टेंट होता है. सुरक्षा की भावना महसूस होना महत्वपूर्ण होता है.मुझे खुशी है कि आज इंटिमेट कोर्डिनेटर फिल्मों के सेट पर रहने शुरू हो गए हैं. यह माहौल को सुरक्षित बनाता है.

निर्माता अली फजल और ऋचा चड्ढा को किस तरह से परिभाषित करेंगी ? 

वे बहुत ही अच्छे लोग हैं. हर चीज में हमें शामिल करते थे. हमें गाइड करते थे. फिल्म खत्म हो गई है ,लेकिन हमारी बॉन्डिंग अभी भी वैसी है. अगर मुझे कुछ भी किसी भी चीज को लेकर डाउट होता है, तो मैं उनको मैसेज करती हूं और आप यकीन नहीं करेंगे तुरंत उनका कॉल आता है. मुझे जो भी डाउट होता है. वह मुझे समझाते हैं.

गर्ल्स विल बी गर्ल्स इस फ्रेज को आप किस तरह से दिखती हैं पॉजिटिव सेंस में या नेगेटिव में?

मैं इस बात को पॉजिटिव सेंस में ही लेती हूं. कई दशकों से लड़कियों पर बहुत सारी पाबंदियां डाली जा रही है. लोग कोड ऑफ कंडक्ट डाल रहे हैं कि लड़कियों को ऐसा होना चाहिए. लड़कियों को वैसा होना चाहिए. कहने का मतलब है कि कैसा होना चाहिए. यह राय सभी के पास है.इस फ्रेज से हम लड़कियों को यह अधिकार अब दे रहे हैं कि आपको जैसे रहना है,जिस तरह से रहना है वैसे रहिए. वैसे लड़कियां बहुत ही रिस्पांसिबल होती हैं. वह हमेशा आसपास बहुत ही पीसफुल और सुरक्षित माहौल रखना चाहती है. हम बहुत जोर से यह फ्रेज दोहरा सकते हैं कि गर्ल्स विल बी गर्ल्स

.अपने करियर में क्या रिजेक्शन से भी गुजरी हैं ?

 मुझे रिजेक्शन का कोई डर नहीं है क्योंकि मुझे पता है कि यह इंडस्ट्री ऐसी है. यहां पर आपको हमेशा हर कदम पर रिजेक्ट किया जाएगा. मैं तो इस बात के लिए तैयार हूं कि अगर मुझे कहीं काम नहीं मिले तो खुद डायरेक्ट बनकर अपनी फिल्म बनाऊंगी. मैं फिल्में देखूंगी.मैं हमेशा फिल्मों से जुड़ी रहूंगी. बस मुझे इस जर्नी में डिमोटिवेट नहीं होना है.

क्या आपकी पसंद कमर्शियल सिनेमा भी रहेगी?

कमर्शियल फिल्में देख कर बड़ी हुई हूं. कमर्शियल फिल्में आपकी दिन भर की थकान को दूर कर देती हैं. मैं ने भी प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, कट्रीना कैफ के गानों की नकल उतारी है. मुझे कमर्शियल सिनेमा से इंकार नहीं है,बशर्तें अभिनेत्री के तौर पर मैं भी कुछ जोड़ सकूं .

उड़ीसा से मुंबई का सफर से आप अपनी तरह दूसरे युवाओं को क्या सन्देश देंगी ?

सफर आसान नहीं था.फिल्मी परिवार से नहीं होते हैं, तो एक्टिंग के चुनाव पर सभी सवाल उठाते हैं.सच कहूं तो ओपिनियन सबके होते हैं. फैमिली में नहीं तो स्कूल में और कोई नहीं तो कभी-कभी पड़ोसी में किसी ने कहा होगा कि फिल्म लाइन सही नहीं है. लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं है, लेकिन मेरे लिए वह लोग नहीं बल्कि मेरी फैमिली मायने रखती है. आपके सपनों के साथ आपकी फैमिली हो तो फिर आपको कुछ नहीं सोचना है. बस अपने सपने के पीछे भागना है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel