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sidhant gupta: शुरुआत में खुद में नेहरू जी को नहीं देख पा रहा था 

अभिनेता सिद्धांत गुप्ता ने इस इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह नेहरू की भूमिका करेंगे. यही वजह है कि उन्होंने फैसला करने से पहले निर्देशक निखिल आडवाणी से कुछ वक्त मांगा था.

sidhant gupta :सोनी लिव पर इनदिनों वेबसीरीज फ्रीडम एट मिडनाइट स्ट्रीम कर रही है. देश की आजादी और विभाजन से जुड़े अहम इतिहास में यह सीरीज झांकती है. अभिनेता सिद्धांत गुप्ता इस सीरीज में जवाहर लाल नेहरू की भूमिका को जीवंत करते नजर आ रहे हैं. इस सीरीज से जुड़ी  चुनौतियों और तैयारियों पर सिद्धांत गुप्ता की उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत

आपने इस शो को हां कहने से पहले फ्रीडम एट मिडनाइट बुक पढ़ी थी?

नहीं,दरअसल आप अगर बुक को पढ़ लेते हैं ,तो स्क्रिप्ट पढ़ते हुए आप उसमें फिर समानताएं ढूंढने लगते हो. मैं यह नहीं करना चाहता था. जवाहरलाल नेहरू के किरदार को करीब से जानने के लिए मैंने उनके द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ी. मेरी तरफ से उनको जानने के लिए ही मेरा यही रिसर्च था.

देश के पहले प्रधानमंत्री का किरदार किस तरह से आप तक पहुंचा ?

 मुझे नेहरू बनने का ऑफर सामने से निर्देशक  निखिल आडवाणी सर ने दिया था. उन्हें जुबली सीरीज में मेरा काम बेहद पसंद आया था. सच कहूं तो मैं खुद में नेहरू नहीं देख पा रहा था. मैं कभी नेहरू जी को प्ले  कर सकता हूं. यह मैंने कभी सोचा भी नहीं था. मैंने उनसे  कहा कि सर मुझे थोड़ा सा वक्त दे दीजिए दे दीजिए. ताकि मैं यह समझ सकूं कि मैं इस किरदार को निभा भी सकता हूं या  नहीं. क्योंकि यह भूमिका बहुत ही जिम्मेदारी वाली भूमिका थी. मैंने  स्क्रिप्ट और दूसरी चीजों के साथ समय बिताया तो इस किरदार से जो सम्मान जुड़ा हुआ था.  वह प्यार में बदल गया. मैंने महसूस किया कि इस इंसान ने इतना कुछ कहा है, जिसे लोगों ने अभी तक सुना भी नहीं है. मैं अगर उन  बातों को सामने ले आ पाऊं तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.

नेहरू जी को करीब से जानते हुए सबसे अधिक किस बात ने आपको प्रभावित किया?

उनकी नीयत ने. वे लोग पॉलिटिशियन बनने के लिए नहीं आए थे. वे लोग लोग देश को आजाद करने के लिए आए थे.देश को आजाद करने की उनकी बहुत ही प्योर फीलिंग थी. उन्हें धीरे-धीरे यह एहसास हुआ कि अंग्रेज जाएंगे ,तो यह देश चलाएगा कौन  तो एक पार्टी बनती है कांग्रेस. कांग्रेस पार्टी से लोगों का रिश्ता जुड़ता है.भरोसा बनता है. नेहरू जी ने देश की आजादी के लिए  9 साल जेल में बिताए थे. जेल में 9 साल बिताना कोई मामूली बात नहीं होती है. उनका दिमाग बहुत ही गिफ्टेड था. उन्होंने जेल में भी समय बर्बाद नहीं किया . वहां पर डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया किताब लिख दी और अपनी बेटी इंदिरा के लिए खत.

इस सीरीज से पहले नेहरूजी को लेकर आपको क्या जानकारी थी ?

सच कहूं तो मुझे ज्यादा नॉलेज नहीं था. वह चाचा नेहरू थे। देश के पहले प्रधानमंत्री थे. इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं मालूम था। मुझे लगता है कि देश के अधिकतर लोग उनके बारे में यही जानते हैं. आजादी में उनके योगदान को डिटेल में शायद ही कोई जानता है. बहुत कम लोगों में यह क्षमता होती है कि वह पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को साथ में लेकर चलते हैं। उनमें यह काबिलियत थी.

सोशल मीडिया पर नेहरू जी की एक अलग छवि कुछ सालों में बनी है,उस पर आपकी क्या राय है ? 

ओपिनियन हर इंसान के होते हैं और मुझे लगता है कि ओपिनियन होना बहुत अच्छी बात है. पहले जो मेरे उनको लेकर ओपिनियन थे. वह भी दो कश्ती में सवार जैसे ही थे. उसकी वजह यह थी कि सब सुने सुनाये थे. मेरे खुद के नहीं थे. जब मैंने  रिसर्च किया,तो मेरा ओपिनियन उनको लेकर काफी बदल गया. जो आप बातचीत करते हुए महसूस कर सकती हैं. उनका कोर बहुत ही प्योर था. आप उन पर सवाल ही नहीं उठा सकते हैं. अब हमें आजादी मिल गई है. हमारे पास रेट्रोस्पेक्ट में चीजों को देखने की सहूलियत है तो आसानी से कह सकते हैं कि वह फैसला गलत था या वह सही था. उनके पास वह सहूलियत नहीं थी.

सीरीज में आपने युवा नेहरू के साथ -साथ उम्रदराज वाले किरदार को भी निभाया है ?

हां उम्रदराज दिखने के लिए चार घंटे मेकअप से गुजरना पड़ता है.मैंने बॉडी लैंग्वेज पर भी इसके लिए काम किया और आवाज पर भी.  वैसे जब वह भाषण देते थे तो उनकी आवाज अलग होती थी और नार्मल बातचीत में अलग, तो मैंने भी इस विविधता को किरदार में जोड़ने की कोशिश की है.

नेहरू जी को बच्चों से बेहद लगाव था,आप बच्चों के साथ कैसे हैं ?

(हंसते हुए ) मैं अभी खुद ही बच्चा हूं और मैं अपने साथ बहुत अच्छा हूं.

आप सोशल मीडिया पर किसी को फॉलो नहीं करते उसकी क्या वजह है?

 मैं सोशल मीडिया से हट चुका था.मैं अपने लिए जो रास्ता अपना रहा हूं. उसमें बहुत ही फोकस की जरूरत है और कहीं ना कहीं सोशल मीडिया आपका ध्यान भटकाता है. उसमें 10 में से 9 चीज आपको देखनी नहीं है,लेकिन क्योंकि आप एक चीज देखने जाते हैं तो 10 देखने लगते हैं. सोशल मीडिया पर मैं तभी जाता हूं.जब मुझे कुछ कहने को है.अपने फैंस की वजह से मैं इंस्टा पर हूं.

आपको किसी की लाइफ प्रेरित  नहीं करती कि आप उसको फॉलो करें? 

यूट्यूब पर फॉलो करता हूं. वहां पर डिटेल में बातचीत होती है. इंस्टाग्राम रील में क्या होता है. एक फोटो और कुछ लाइंस होती है बस.उससे आप क्या ही किसी को जान लेंगे.

अपनी अब तक की जर्नी को कैसे परिभाषित करेंगे ?

उतार चढ़ाव रहा है ,लेकिन सबसे कुछ ना कुछ सीखने को मिला है. टीवी से फिल्म और अब वेब सीरीज. परिवार वाले भी खुश हैं पहले वह मेरे फैसले के खिलाफ थे. अब उन्हें लग रहा है कि कुछ तो बात मुझमे है. जुबली में मेरा काम सभी को पसंद आया था. फ्रीडम एट  मिडनाइट से भी वही फीलिंग आ रही है.


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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