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sonali kulkarni: अभिनेत्री ने बताया एक वक्त सह अभिनेत्रियों के अच्छे कपड़े भी बढ़ाते थे टेंशन 

अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी ने इस इंटरव्यू में एक्ट्रेस के तौर पर अपनी असुरक्षा की भावना से लेकर गर्व के पल तक सभी अहम पहलुओं पर बातचीत की है.

sonali kulkarni:अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी इनदिनों सोनी लिव की वेब सीरीज मानवत मर्डर्स में अपने अभिनय के लिए सराही जा रही हैं. वह बताती हैं कि उन्होंने अपने अब तक के करियर में ऐसा किरदार नहीं किया है.उन्हें खुशी है कि उन्हें करियर के इस पड़ाव में इतने अलग – अलग किरदार करने को मिल रहे हैं. उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत  

रुक्मिणी जैसा किरदार कभी नहीं किया

 मैं निर्देशक आशीष की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने यह सोचा कि मैं रुक्मिणी का किरदार कर सकती हूं।  अपने अब तक के करियर में मैंने ऐसा किरदार नहीं किया था.रुक्मणी का किरदार पढ़ते  हुए मुझे यह समझ में आया कि यह चैलेंजिंग होगा,लेकिन साथ में यह भी समझ में आए कि इसे करते हुए बहुत मजा आएगा. मुझे किरदारों में लेयरिंग पसंद है जो मुझे चैलेंज करें कि मुझे कुछ अलग करने का मौका दे.

जमकर नौवारी साड़ी पहनी है 

इस सीरीज में कॉस्ट्यूम से लेकर हर बात बहुत काफी अलग थी.मैं मराठी हूं,लेकिन मैंने ज्यादा नौवारी साड़ी पहनी नहीं है,लेकिन इस सीरीज में मैं जमकर नौवारी साड़ी पहनी है. रुक्मणी किरदार बहुत ही सटल है, ना ज्यादा लाउड है ना ज्यादा स्लो है. बीच में है. मैं अपने को एक्टर्स को देख रही थी.मुझे लगता है कि लोकेशन आपको एनर्जी देता है. आपके कॉस्ट्यूम,आपके को एक्ट्रेस सब आपको एनर्जी देते हैं.ऐसे में आपको निर्भर करता है कि आप उसको किस तरह से खुद में आत्मसात करके परफॉर्म करते हैं. मानवत मर्डर्स की शूटिंग के वक्त मैंने वही काम किया है.

गड़े मुर्दे उखाड़ने का सराहनीय प्रयास

 मानवत मर्डर्स 1972 की रियल घटनाओं पर आधारित है.उस वक्त मैं छोटी थी,तो मैं इसके बारे में ज्यादा सुना नहीं था.  बड़े होते -होते मुझे इसके बारे में मालूम हो गया था. बड़े होने के बाद मैंने जिन लोगों से भी इसके बारे में सुना है. उनका एक ही कहना था कि मानवत मर्डर्स  बाप रे..  भयानक था. मैं सीरीज के लेखक और निर्देशक दोनों का अभिनंदन करना चाहूंगी कि उन्होंने इस सीरीज के जरिए गड़े मुर्दे उखाड़ने का जो प्रयास किया है वह काफी सराहनीय है.
सिर्फ छिपकली से डरती  सच कहूं तो मैं दर्शक  के तौर पर इस जॉनर की सीरीज या फिल्मों को ज्यादा एन्जॉय नहीं करती हूं, इसलिए कम देखती हूं. ऐसा नहीं है कि मैं डरती हूं. रियल लाइफ में मैं किसी से डरती नहीं हूं सिर्फ छिपकली को छोड़कर. 

अब किसी को साबित नहीं करना  

मुझे लगता है कि मैं करियर की इस पड़ाव पर हूं. जहां मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है. एक वक्त जब मुझे लगता था कि मुझे ह्यूमरस सीन  मिलना चाहिए। थोड़ा रोने धोने वाला भी सीन होना चाहिए ताकि दर्शकों की सिंपैथी मुझे ही मिल जाए.  दूसरी अभिनेत्री का ज्यादा क्लोजअप शॉट भी ले लिया जाता था,तो बुरा लग जाता था. मेकअप और कपड़ों की भी दूसरों से तुलना करती थी कि अरे इनका ज्यादा अच्छा हैं. मुझे तो बहुत सिंपल दिया है. ये सब चीजों से टेंशन आ जाती थी. (हंसते हुए )इतने साल  इंडस्ट्री में गुजारने के बाद अब  मैं बड़ी हो गई हूं. मुझे लगता है कि  बड़े होने का एक अपना मजा है. आपको समझ में आता है कि आपको हर बार खुद को साबित करने की जरूरत नहीं है. समझ आता है कि  ऐसे किरदार भी बेहद रोचक होते हैं , जो ना तो ज्यादा रोना धोना करते हैं और ना ही ज्यादा हंसते हंसाते हैं. 

ऑडिशन के जरिये ही हिंदी फिल्में मिली थी  

मैंने अपने करियर की ज्यादातर फिल्में ऑडिशन  के जरिये ही पाई है, फिर चाहे वह मिशन कश्मीर हो, दिल चाहता हो या फिर इटालियन फिल्म जो मैंने की थी. मैं ऑडिशन को जायज मानती हूं.  मुझे लगता है कि आप अभिनय कर सकते हो कि नहीं ऑडिशन इसके लिए नहीं होता है,  बल्कि इसके लिए होता है कि आप इस रोल में कितने परफेक्ट लगोगे. हां कई बार ऑडिशन देना बुरा लगता है. जब कोई 20 या  21 साल का कास्टिंग डायरेक्टर आपको कॉल करके कहता है कि आप ऑडिशन भेज दो. वो फिर ऑडिशन को जज करता है. अरे आपको मेरे या अभिनय की विधा के बारे में पता क्या है, जो आप जज कर रहे हो.(हंसते हुए )वैसे इस तरह की चीजें आपको ग्राउंडेड भी रखती हैं कि आपको जीरो से शुरुआत करना है. 

हम एक्टर्स को अवार्ड मिलने पर राष्ट्रीय गीत नहीं बजता 

एक्टर्स होने का सबसे प्राउड पल वो होते हैं, जब आपके काम को लोग सम्मानित करते हैं.हाल ही में  मुझे महाराष्ट्र सरकार से बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला था. बहुत खुशी हुई थी. स्पोर्ट्स पर्सन को अवार्ड मिलते हैं,तो राष्ट्रीय गीत बजता है। लेकिन हम एक्ट्रेस को अवार्ड मिलने पर राष्ट्रीय गीत नहीं बजता है. बुरा लगता है,लेकिन कहना चाहूंगी कि उस वक्त  मेरे दिल में यह राष्ट्रीय गीत बजता है.अवार्ड्स के अलावा मेरे आई बाबा और मेरे पति नचिकेत जब मेरे अभिनय की तारीफ करते हैं, तो वह भी मेरे लिए अवार्ड की तरह ही खुशी देता है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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