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sooraj barjatya :आज के दौर के लिए मैं रिलेवेंट हूं या नहीं सवाल आता है

निर्माता सूरज बड़जात्या ने राजश्री बैनर की पहली वेब सीरीज बड़ा नाम करेंगे की सफलता को बहुत खास बताते हैं.इस इंटरव्यू में उन्होंने इस सीरीज के साथ -साथ कई पहलुओं पर बात की है.

sooraj barjatya :ओटीटी वेब सीरीज का मतलब आमतौर पर जमकर गालियां, हिंसा और बोल्ड सीन्स माना जाता है,लेकिन इस भीड़ में राजश्री बैनर की सोनी लिव पर हालिया रिलीज हुई वेब सीरीज बड़ा नाम करेंगे ने परिवार, प्यार और संस्कारों की चमक एक बार फिर से बिखेरी है. यही वजह है कि यह वेब सीरीज सभी की पसंद बन चुकी हैं. राजश्री की इस पहली वेब सीरीज की मेकिंग, कास्टिंग और सफलता पर शो के निर्माता सूरज बड़जात्या के साथ उर्मिला कोरी की हुई बातचीत

इतने अच्छे रिव्युज किसी फिल्म के लिए भी नहीं मिले

बड़ा नाम करेंगे लोगों को इतनी पसंद आएगी. मैंने इतनी उम्मीद नहीं की थी.सच कहूं तो इतने अच्छे रिव्यू और रिस्पांस मुझे फिल्मों में भी नहीं आये हैं.कई लोगों ने मुझे मेसेज किया है कि आमतौर पर ओटीटी पर शो अकेले ही देखते हैं. आंखें झपका लेना या सब टाइटल को पढ़ते हुए बहुत कुछ शब्दों का अच्छा ना लगना आम था, लेकिन इस शो को देखते हुए पूरा परिवार साथ में था. हर संवाद को दुहरा सकते हैं. मेरा मानना है कि हर माध्यम में सबकुछ बनना चाहिए. फैमिली वीविंग कंटेंट भी ओटीटी पर होना चाहिए.

ओटीटी प्लेटफार्म ने कहा था दर्शक अब फैमिली कंटेंट नहीं चाहते

हम लोग पिछले पांच छह साल से कोशिश कर रहे थे कि ओटीटी प्लेटफार्म में हम अपनी कहानियां लेकर आये,लेकिन सभी को पता है कि हम फैमिली कहानियां बनाते हैं तो हम जहां पर भी गए लोगों ने कहा कि थ्रिलर चल रहा है.अभी दर्शकों का फॅमिली ड्रामा देखने का मन नहीं है.2020 में सोनी लिव ने सामने से कांटेक्ट किया. उन्होंने कहा कि हमें मासेस के बीच जाना है. विवाह और हम साथ -साथ के दर्शकों को ओटीटी से भी जोड़ना है.उसके बाद हमने वेब सीरीज पर काम करना शुरू किया.हमें बड़ा नाम करेंगे की कहानी मिली, जिसमें आज के बच्चों के साथ -साथ आज के समाज की भी बात है. पूरी फैमिली साथ में देख सकें.

पलाश को भी क्रेडिट जाना चाहिए

हम इस वेब सीरीज के लिए ऐसे निर्देशक की तलाश में थे, जो इस कहानी और किरदारों की दुनिया को जानता हो. पलाश वासवानी से मुलाक़ात हुई.उनकी सीरीज गुल्लक देखी थी. लगा कि ये सही रहेंगे और वह ग्वालियर, रायपुर ,छत्तीसगढ़ को भी जानते हैं. राजश्री के पारिवारिक मूल्यों को लेकर युवा लोगों के लिए शो बनाने का क्रेडिट उनको ही जाता है. लड़का लड़की से उन्होंने बहुत अच्छा काम लिया. मैंने बस ये बोला था कि लड़के लड़की में भोलापन रहना चाहिए.मैं शो के प्री प्रोडक्शन तक उसका हिस्सा था. शूटिंग की पूरी जिम्मेदारी पलाश की थी.

छोटा शहर कहानी की जरुरत

हमारे शो में छोटा शहर कहानी की जरुरत थी. दरअसल स्माल टाउन के जो बच्चे हैं. वो कहीं ना कहीं फंसे हैं. उन्हें आगे भी बढ़ना है और अपनी जड़ों को भी मजबूत रखना है और अपने परिवार को भी खुश रखना है.ये जो असमंजस में छोटे शहर का जेन जी गुजर रहा है.वो शायद बड़े शहर के लोग नहीं गुजरते हैं. मम्मी जब बेटी को बोलती है कि शाम छह के बाद ऑटो में मत निकलना,लेकिन बड़े शहर में काम करना है तो देर हो जाती ही है. एकदशी का उपवास भी भूलना नहीं है. बेटे को शहर में काम को मैनेज करने के साथ -साथ मंदिर भी जाना है. ये सब में कई बार वह घर वालों को बोल देते है कि हां मैं छह के बाद बाहर नहीं निकलती हूं या मंदिर जाता हूं. ऐसा वह झूठ बोलने के लिए नहीं बोलते हैं बल्कि घरवाले परेशान ना हो. उनकी ये सोच होती है.

यूथ को गलत पेश किया जाता है

हमारे शो का मकसद यूथ को सही तरीके से प्रस्तुत करना भी था. ज्यादातर आज यूथ को मिस रिप्रेजेंट किया जा रहा है. यूथ सिर्फ पार्टी नहीं करता है.बांद्रा ,अँधेरी और मलाड ये सिर्फ यूथ को रिप्रेजेंट नहीं कर सकते हैं. यूथ बहुत बड़ा है. जितने अंदर जाएंगे मालूम पड़ेगा कि असली यूथ कैसे हैं.आज का यूथ भी ग़लती फील करता है. गलतियां करके सुधारता है.फॅमिली से जुड़े रहते हैं. बदलता सिर्फ बेहेवियर है . मैं जब छोटा था तो मेरे पिता आते थे तो मैं बैठ नहीं सकता था. आज मेरे बेटे बैठे रहते हैं,लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि प्यार कम है. प्यार और सम्मान वही है. आज जेन जी के साथ क्यों जुड़ गया है. हमारे माता पिता बोलते थे कि शादी में जाना है. हम सवाल नहीं करते थे.आज के बच्चे पूछते हैं कि हमें क्यों जाना है,तो बताना पड़ता है कि बुआ के ससुराल की शादी में नहीं गए तो फिर वो लोग तुम्हारी शादी में नहीं आएंगे.

बड़ा नाम करने की सोच नहीं थी

मैंने जब मैंने प्यार किया का निर्देशन शुरू किया था तो उस वक़्त बड़ा नाम करने का कोई ख्याल नहीं था . बस जेहन में था कि राजश्री की लेगसी को अच्छे से आगे बढ़ा सकूँ. यही सोचा था. वो वक़्त वीएचएस का दौर था. हमारी फिल्में और बासु दा की फिल्में लोग घर में देख रहे थे. थिएटर में रिलीज हुई हमारी पिछली फिल्में नहीं चली थी. मैंने प्यार किया उस वक़्त की सबसे महंगी थी. अपने पापा और चाचा का शुक्रगुजार हूं ,जो उन्होंने मुझ पर इतना भरोसा जताया.

मैं रिलेवेंट हूं या नहीं सवाल आता है

ऊंचाई के लिए नेशनल अवार्ड मिलना सच कहूं तो बहुत ग्रेटफुल फील होता है. इतनी आउटडोर फिल्म मैंने कभी नहीं बनायीं थी. दो महीने बाहर शूट रहा था. हर निर्देशक की तरह मेरे मन में भी यह सवाल आता है कि मैं रिलेवेंट हूं या नहीं. नेशनल अवार्ड सही समय और सही फिल्म के लिए आया. मुझे इससे ये मोटिवेशन मिला कि अपने दायरे में रहकर एक्सपेरिमेंट करो. जो तुम्हारा मन है. वो चीज तुम आज बनाओ ना कि मार्केट के भेड़चाल में चलो.

वेब सीरीज का भी निर्देशन करूंगा

मैं एक निर्देशक हूं. मुझे हर जगह अच्छी कहानी कहनी है फिर चाहे माध्यम कोई भी हो. कुछ कहानियां ढाई घंटे की होती है तो उनपर फिल्म बनायीं जाती है. कुछ छह महीने के लिए होती है तो टीवी के लिए वह होती हैं और कुछ कहानियां आठ दस घंटे के लिए होती हैं तो उन्हें वेब सीरीज में बोलनी होती है. मुझे मौक़ा लगा तो मैं वेब सीरीज का भी निर्देशन करूंगा. फिलहाल मेरी अगली फिल्म की घोषणा जल्द ही करनेवाला हूं.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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