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superstars का हाइ मेंटेनेंस स्टाफ निर्माताओं के लिए बन रहा सिरदर्द..नवाज़ुद्दीन से लेकर कई सितारों ने जाहिर की नाराजगी 

सुपरस्टार्स का हाइ मेंटेनेंस स्टाफ कल्चर इन दिनों खूब सुर्ख़ियों में हैं. इस पर कलाकारों ने रखी अपनी बात.

superstars के साथ उनके हेयर, मेकअप आर्टिस्ट्स और उनकी मांओं की उपस्थिति की चर्चा एक वक़्त पर खूब सुर्खियां हिंदी सिनेमा के गलियारों में बटोरती थी, पर मौजूदा दौर में सुपरस्टार्स के स्टाफ की संख्या नौ के पार पहुंच गयी है. इससे न सिर्फ फिल्ममेकिंग का बजट बढ़ रहा है, बल्कि शूटिंग में दखलंदाजी भी बढ़ती जा रही है, जो फिल्म मेकर्स के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. निर्देशक अनुराग कश्यप से लेकर फराह खान ने इस पहलू पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. इस पर नवाज़ुद्दीन से लेकर कई और सेलिब्रिटीज ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है. उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी -इस समस्या पर इनदिनों बहुत चर्चा हो रही है.निजी तौर पर मैंने ऐसा कुछ नोटिस नहीं किया है क्योंकि मैं सेट पर जाता हूँ. अपना काम करता और वापस घर चला जाता हूं. मुझे लगता है कि इस पर सवाल या नाराजगी जाहिर करने के लिए सबसे उपयुक्त इंसान निर्माता हैं. उन्हें सवाल उठाना चाहिए. निर्माता इन सितारों की जरूरतें क्यों पूरी कर रहे हैं. अब तो उस तरह की फिल्में ज्यादा कमाई भी नहीं कर पा रही हैं. अब ज्यादातर कमर्शियल फिल्में फ्लॉप हो रही हैं. गिन कर चार से पांच फिल्में बड़ी हिट होती हैं. ऐसे में इन सितारों की उस तरह की जरूरतों को  पूरा करने का कोई मतलब नहीं है.

  सीमा कपूर : स्टार्स के हाई मेंटेनेंस स्टाफ कल्चर के अपने प्लस और माइनस हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करती हूं कि इससे कलाकार को सहज रहने में मदद मिलती है, जिससे वे बिना किसी परेशानी के अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं. हालांकि, यदि यह दूसरों के लिए कई बार परेशानी का कारण बनता है, तो जिम्मेदार अभिनेता हैं. इसे व्यवस्थित तरीके से मैनेज करना चाहिए. खर्चों के बारे में भी कलाकार और प्रोडक्शन बीच पहले से ही सब स्पष्ट होना चाहिए. शूटिंग में खलल डालने से बचने के लिए रील बनाना भी कुछ घंटों तक सीमित होना चाहिए. निजी तौर पर, मैं अपनी सुविधा के लिए एक ड्राइवर, एक स्पॉट बॉय और एक सहायक रखना पसंद करती हूं.

सानंद वर्मा :किसी स्टार के चारों ओर आभामंडल बनाने और शोर मचाने के लिए ऐसे स्टाफ को रखना आज अनिवार्य होता जा रहा है. मगर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि इससे सेट का माहौल न सिर्फ भीड़भाड़ वाला हो जाता है, बल्कि प्रोडक्शन में अतिरिक्त लागत भी जुड़ जाती है. हद तो यह हो गयी है कि सोशल मीडिया की टीमें भी सेट पर अब हमेशा मौजूद रहती हैं, जिससे कई बार स्टार अपने शूटिंग के काम पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय अनावश्यक ड्रामा रचते हैं. इससे सेट का रचनात्मक माहौल खराब हो जाता है. कई बार सेट पर मौजूद दूसरे कलाकारों की एकाग्रता भी भंग होती है, जिससे काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है. हाइ मेंटेनेंस स्टाफ सेटअप की यह संस्कृति इंडस्ट्री के लिए हानिकारक है.

अर्पित रांका : मुझे लगता है कि जब आप एक बड़ा नाम बन जाते हैं, तो आपकी सभी मांगें पूरी हो जाती हैं, क्योंकि उन्हें जरूरी माना जाता है. मसलन, अगर आज कोई मुझे नौकरी पर रखता है, यदि मैंने अच्छा काम किया है और मेरी उपस्थिति जरूरी है, तो वे मेरी मांगों को पूरा करेंगे. अन्यथा, उनके पास किसी और को लेने का विकल्प है. सोशल मीडिया की जो बात हो रही है, मैं बताना चाहूंगा कि सोशल मीडिया अब सिर्फ एक ऐड-ऑन नहीं रह गया है. आजकल यह प्रमोशन के लिए सबसे बड़े प्लेटफार्मों में से एक है, चाहे वह किसी फिल्म के लिए हो या किसी और चीज के लिए. अगर मैं किसी फिल्म की शूटिंग कर रहा हूं और रीलें बनायी जा रही हैं, तो यह फिल्म का प्रमोशन है. इसका लाभ फिल्म को भी मिलता है. यह फिल्म व अभिनेता दोनों को बढ़ावा देता है. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि यह गलत है. यदि आप रील बना रहे हैं, तो इसमें बुराई क्या है? हर कोई देखेगा कि हमारा अभिनेता कहां है और क्या हो रहा है, जो गलत नहीं है.

शिवांगी वर्मा : स्टाफ एक अभिनेता के जीवन को सरल बनाते हैं. निश्चित तौर पर अनुराग कश्यप के घर के काम  को संभालने के लिए ढेर सारे स्टाफ होंगे. वैसे ही अभिनेताओं को सेट पर सहायता क्यों नहीं मिलनी चाहिए? प्रोडक्शन हाउस को स्टार्स के लिए यह करना ही चाहिए. अनियमित घंटों और आवश्यक कड़ी मेहनत को देखते हुए बाल, मेकअप और सोशल मीडिया के लिए एक निजी टीम का होना फायदेमंद है. जहां तक मेरी बात है, मैं आमतौर पर एक सहायक और एक मेकअप टीम के साथ सेट पर जाती हूं. अगर कोई कार्यक्रम होता है, तो मेरा पीआर भी उसमें शामिल होता है. अगर प्रोडक्शन हाउस उनकी लागत को कवर नहीं करता है, तो मैं उन्हें खुद भुगतान करता हूं. वे मेरी ताकत हैं. मुझे बढ़ने में मदद करते हैं.

हर दिन का खर्च 25 से 30 लाख रुपये

मौजूदा दौर में एक स्टार की टीम की बात करें, तो मेकअप आर्टिस्ट, हेयर आर्टिस्ट के साथ उनके असिस्टेंट, मैनेजर की टीम, स्टाइलिस्ट,स्पॉट बॉय, बॉडी गार्ड, ड्राइवर की मौजूदगी निश्चित है, लेकिन एक-दो सालों से न्यूट्रिसिएंस के साथ दो से तीन कुक भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गये हैं. यह लिस्ट यही थमी नहीं है, बल्कि अब इसमें नया नाम सोशल मीडिया टीम का भी जुड़ गया है. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की मानें, तो सुपरस्टार का स्पॉट बॉय प्रतिदिन 25,000 रुपये चार्ज करता है. बॉडीगार्ड 15,000 रुपये और एक स्टाइलिस्ट 50 हजार से एक लाख रुपये तक चार्ज कर सकता है. सिर्फ यही नहीं, सुपरस्टार्स की यह टीम कई बार बिजनेस क्लास में सफर करने की मांग करती है और शूटिंग के दौरान उनके लिए अलग-अलग वैनिटी वन सेट पर होने जरूरी हैं. कुलमिलाकर एक स्टार का एक दिन का खर्च 25 से 30 लाख रुपये है. यदि किसी फिल्म की शूटिंग 60 से 70 दिनों के लिए की जाती है, तो यह बजट 20 से 25 करोड़ के पार चला जाता है. खास बात है कि यह स्टार्स की फीस में शामिल नहीं होता है. फीस अलग से देनी पड़ती है, जिसका सीधा असर फिल्म के बजट पर पड़ जाता है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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