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tripti dimri को नेशनल क्रश से ज्यादा इन नामों से पुकारा जाना है पसंद.. खुद किया खुलासा 

तृप्ति डिमरी ने बताया कि वह अपने काम से अपनी पहचान बनाना चाहती हैं और उनकी ख्वाहिश है कि लोग उनके किरदारों के नाम याद रखें.

tripti dimri का एक नाम नेशनल क्रश भी है. अक्सर इस नाम से सोशल मीडिया से लेकर पैपराजी तक उन्हें इसी नाम से बुलाते रहते हैं। प्रभात खबर के साथ हुई हालिया बातचीत में उन्होंने बताया कि मुझे इस नाम से प्यार है. लोग आपको नेशनल क्रश बोलेंगे,इससे ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या होगी। इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगी कि मुझे तब ज्यादा खुशी होती है,जब लोग मुझे मेरे किरदारों के नाम से संबोधित करते हैं.उसकी ख़ुशी ही अलग होती है. आज भी जब मैं कश्मीर जाती हूं,तो लोग मुझे लैला कहकर बुलाते हैं, मुझे खुशी होती है कि मैंने दर्शकों के मन पर कुछ तो प्रभाव छोड़ा है. इससे बहुत मोटिवेशन मिलता है कि मैंने कुछ अच्छा काम किया है.मुझे उम्मीद है कि मेरी आनेवाली फिल्म बैड न्यूज के बाद लोग मुझे सलोनी के रूप में याद रखेंगे और अगर लोग मेरी अगली फिल्म आने से पहले तक उसी नाम से बुलाएँगे तो बहुत ख़ुशी मिलेगी.क्योंकि हर एक्टर चाहता है कि वह अपने परफॉरमेंस से किरदार को यादगार बना दे.

एनिमल नहीं बुलबुल है टर्निंग पॉइंट

एनिमल मेरे करियर की सबसे सफल फिल्म है,लेकिन मेरे करियर में बदलाव फिल्म बुलबुल के बाद आया है. बुलबुल की वजह से मुझे एनिमल मिला. बुलबुल की वजह से मुझे ही मेरी आने वाली फिल्मबैड न्यूज मिली, इसलिए मैं बुलबुल को अपने करियर का टर्निंग पॉइंट मानती हूं. बुलबुल जब मैं कर रही थी. कई लोगों ने मुझसे कहा था कि मैं वह फिल्म न करूं,लेकिन फिर भी मैंने वह फिल्म कर ली.  सभी ने कहा कि तुमने  लैला मजनू की है , जो थिएटर में रिलीज हुई थी और  यह ओटीटी पर है. यह मेरे करियर के लिए जोखिम हो सकता है ,लेकिन मैंने अपने दिल की सुनी उसके बाद   बाकी इतिहास है. मैं फिल्मों में सिर्फ एक सुंदर चेहरा बनकर नहीं रहना चाहती थी और उस फिल्म ने मुझे वह मौक़ा दिया. उस फिल्म के बाद लोग एक अभिनेत्री  के रूप में मेरा सम्मान करने लगे.

एनिमल को इंकार करने वाली थी

फिल्म के निर्देशक संदीप वांगा रेड्डी ने मेरी फिल्म  बुलबुल देखी थी. उन्हें मेरा काम पसंद आया था ,जिसके बाद उन्होंने मुझे एनिमल फिल्म के ऑडिशन के लिए बुलाया था.  मुझे शुरुआत में किरदार को लेकर संदेह था क्योंकि फिल्म में वह भूमिका बहुत छोटी थी .मैं फिल्म को इंकार करने वाली थी ,लेकिन निर्देशक ने मुझे आश्वासन दिया कि यह किरदार फिल्म में काफी आगे तक जाएगा और दर्शकों को पसंद आएगा और वही हुआ. दर्शक अभी तक इसकी सराहना कर रहे हैं, जबकि अभी उसका सेकेंड पार्ट आना बाकी है.

एनिमल ने फीस बढ़ा दी

बुलबुल के बाद मुझे अच्छे ऑफर्स आने लगे थे लेकिन फीस में इजाफा एनिमल की वजह से आया. वह कितना हुआ है. इस बारे में मैं डिटेल में नहीं बता सकती हूं , लेकिन मैं खुश हूँ. वैसे उस फिल्म में मुझे बहुत ही बड़े एक्टर्स के साथ काम  करने का मौका मिला था फिर चाहे रणबीर हो या बॉबी. शुरुआत में मैं बहुत नर्वस थी , लेकिन उनलोगों की अच्छी बात है कि वह आपको न्यूकमर की तरह ट्रीट नहीं करते हैं. वह आपको बहुत सम्मान देते हैं और एकदम नार्मल व्यवहार करते हैं.

सफलता से यह बदलाव आया है 

जब मैंने अपना करियर शुरू किया था तब कोई डर नहीं था. मुझे किसी बात की परवाह नहीं थी. मैंने बस अपने मनोरंजन के लिए फिल्में करती थी, इस बात का कोई डर नहीं था कि दर्शक मेरे परफॉरमेंस की सराहना करेंगे या नहीं.  अब जब मेरी फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, तो मैं जिम्मेदार महसूस करती हूं. दिल्ली से जब मैं मुंबई आयी थी.  मैं उसे बहुत साहसिक करार दूंगी क्योंकि मैं दिल्ली से अकेले मुंबई आयी थी, लेकिन आज अगर आप मुझसे पूछें तो मुझे नहीं लगता कि मैं ऐसा कोई कदम उठा पाऊंगी. उस वक़्त भी मुझे पता था कि यह आसान नहीं होगा क्योंकि मैं यहाँ किसी को नहीं जानती थी. इसके साथ ही मैं बहुत ही इंट्रोवर्ट किस्म की लड़की हूं. मैं जल्दी से किसी से बात नहीं कर पाती हूं. मैं अपने में रहना पसंद करती हूँ.  यहां तक कि घर पर भी मैं अपने कजिन या रिश्तेदारों से ज्यादा बातचीत नहीं करती थी. घर में गेट टुगेदर होता था ,तो मैं एक कोने में बैठी रहती थी. जब मैंने एक्टिंग फील्ड को चुना, तो मेरे माता-पिता भी हैरान रह गए थे कि ये इस फील्ड में क्या करेगी.यहां काम करने के बाद अब मेरे पास बहुत कुछ है. अब मैं अधिक आत्मविश्वासी हो गयी हूं  और अपने मुद्दों को अच्छे से निपटाती हूं.अपनी गलतियों को ढूंढना और उनसे सीखना ही जीवन है.

किस्मत को बहुत मानती हूं

मैं भगवान का बहुत आभारी हूं कि मुझे लगातार काम मिल रहा है.मैं किसी तरह की रेस में नहीं हूं. फिल्म  लैला मंजनू  के ऑडिशन में गयी थी,तो मुझे  उम्मीद नहीं थी.लेकिन मैं चुन ली गयी और वह मेरी किस्मत थी. मुझे वह मिल गया है,जो मेरे लिए है. मैं किस्मत में यकीन करती हूं .इसलिए यह भी मानती हूं कि जो मेरे लिए नहीं है.वह मुझे नहीं मिलेगा, ताकि उन चीज़ों के पीछे भागने का दबाव कभी मेरे ऊपर न रहे कि यार मेरे पास ये क्यों नहीं या ये फिल्म मुझे क्यों नहीं मिली. जो मेरे लिए नहीं हैं, वो मुझे देर-सवेर मिल जाएगा. इस बीच मुझे वो काम करते रहना होगा,जो मेरे लिए सही हो. मुझे लगता है कि अभिनय मेरे जीवन का उसी तरह हिस्सा है जैसे मेरा परिवार, मेरे भाई-बहन या मेरा स्पोर्ट्स. मैं नहीं चाहती  कि एक चीज़ दूसरों पर हावी हो. मैं चाहती हूं कि मेरा जीवन संतुलित हो. सफलता से मुझे नहीं बदलना चाहिए और भी बहुत सी चीज़ें हैं,जो जीवन में महत्वपूर्ण है. हां, जब मेरी फिल्म सफल होती है,तो मुझे खुशी होती है लेकिन उससे भी ज्यादा मैं चाहती हूं कि मेरे माता-पिता खुश रहें.वह मेरी सफलता और काम से संतुष्ट रहें.  मुझे पहले इन सभी चीजों के बारे में पता नहीं था,लेकिन मैंने किताबों और बड़े बुजुर्गों  से बात करके सीखा कि जीवन में संतुलन बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण है, कोई भी चीज आप पर भारी नहीं पड़नी चाहिए.


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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