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Raju Srivastav: नॉवेल तकनीक से क्यों हुआ राजू श्रीवास्तव का पोस्टमार्टम? जानें इसके बारे में

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि पोस्टमॉर्टम की नई तकनीक को 'वर्चुअल ऑटोप्सी' के रूप में भी जाना जाता है जो विच्छेदन से रहित है. यह हाई-टेक डिजिटल एक्स-रे और सीटी स्कैन की मदद से किया जाता है.

जानेमाने कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) अब हमारे बीच नहीं रहे. 42 दिनों से ज्यादा एम्स के आईसीयू में वो भर्ती रहे और बुधवार को आखिरकार जिंदगी की जंग हार गये. अस्पताल के सूत्रों ने बुधवार को पुष्टि की कि राजू श्रीवास्तव की मृत्यु सुबह 10.20 बजे हुई. बता दें कि राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को जिम में वर्कआउट करने के दौरान हार्ट अटैक आया था. राजू श्रीवास्तव का अंतिम संस्कार गुरुवार 22 सितंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर हुआ. एम्स फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ सुधीर गुप्ता ने बताया कि राजू श्रीवास्तव का पोस्टमॉर्टम ‘नॉवेल तकनीक’ से की गई. जानें क्या है ये तकनीक?

What is novel technique?

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि पोस्टमॉर्टम की नई तकनीक को ‘वर्चुअल ऑटोप्सी’ के रूप में भी जाना जाता है जो विच्छेदन से रहित है. यह हाई-टेक डिजिटल एक्स-रे और सीटी स्कैन की मदद से किया जाता है. एम्स के अधिकारी ने बताया कि वर्चुअल ऑटोप्सी के लिए नई तकनीक पारंपरिक पोस्टमॉर्टम की तुलना में पोस्टमॉर्टम की कम समय लेने वाली प्रक्रिया है. उनके मुताबिक, एम्स दिल्ली दक्षिण पूर्व एशिया का एकमात्र संस्थान है जो पिछले दो साल से वर्चुअल ऑटोप्सी कर रहा है.

राजू श्रीवास्तव के मामले में वर्चुअल ऑटोप्सी क्यों?

इस मामले में वर्चुअल ऑटोप्सी करने के पीछे का कारण स्पष्ट करते हुए डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि, “जब राजू श्रीवास्तव को शुरू में ही एम्स लाया गया था, तो वह होश में नहीं थे और ट्रेडमिल पर दौड़ने के दौरान गिरने का स्पष्ट कारण भी उस समय ठीक से नहीं बताया गया था. यही कारण है कि यह एक मेडिको-लीगल केस बन गया था. ऐसे मामलों में पुलिस पोस्टमॉर्टम का विकल्प चुनती है, अगर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.” डॉ गुप्ता ने कहा, रेडियोलॉजिकल में फ्रैक्चर और रक्त के थक्कों का पता लगाया जा सकता है जो नग्न आंखों के लिए अदृश्य हैं.”

डॉ सुधीर गुप्ता ने आगे कहा कि अक्सर छिपे हुए फ्रैक्चर और चोटें होती हैं, जिनका पता लगाना मुश्किल होता है, हालांकि वर्चुअल ऑटोप्सी या नॉवेल टेक्नीक से रक्तस्राव के साथ-साथ हड्डियों में हेयरलाइन या चिप फ्रैक्चर जैसे छोटे फ्रैक्चर का भी पता लगाने में मदद करती है, जो कि एंटीमॉर्टम चोटों के संकेत हैं.”

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संक्रमण की वजह से राजू श्रीवास्तव से बार बार मिलने की नहीं थी इजाजत

हाल ही में डॉक्टरों ने संक्रमण से बचने के लिए उनके वेंटिलेटर का पाइप बदल दिया था. वहीं संक्रमण के चलते उनकी पत्नी शिखा और बेटी अंतरा को भी बार-बार बुखार आने के कारण कॉमेडियन से मिलने नहीं दिया गया. उनके भाई दीपू श्रीवास्तव ने कल पीटीआई-भाषा को बताया, “मुझे परिवार से करीब आधे घंटे पहले फोन आया कि वह नहीं रहे. यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण खबर है. वह 40 दिनों से अधिक समय से अस्पताल में लड़ रहे थे.”

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Budhmani Minj
Budhmani Minj
Senior Journalist having over 10 years experience in Digital, Print and Electronic Media.Good writing skill in Entertainment Beat. Fellow of Centre for Cultural Resources and Training .

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