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नवजात शिशु के लिए स्तनपान सर्वोत्तम आहार

मां के दूध में शिशु के विकास और पोषण के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं. यही वजह है कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान माना जाता है.

मां का पहला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है, जो नवजात शिशु के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. कोलोस्ट्रम में बीटा कैरोटीन की उच्च मात्रा के कारण इसका रंग गहरा पीला होता है. शिशु को पहली बार पॉटी करने में भी यह मदद करता है और बच्चे के शरीर से बिलीरुबिन को निकालकर पीलिया होने को रोकता है. मां के दूध में फैटी एसिड्स (डीएचए) की मात्रा पायी जाती है, जो शिशु की इम्युनिटी को मजबूत बनाने के साथ शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत ही जरूरी होता है. इससे बच्चा रोगों से लड़ने में सक्षम बनता है. यह नवजात शिशु के अनुरूप होता है, खासकर समय पूर्व जन्मलेने वाले बच्चों के लिए मां का दूध जीवनदायी होता है.

जन्म के पहले घंटे स्तनपान के लाभ

नवजात के जन्म के पहले घंटे को गोल्डन ऑवर कहा जाता है. इस दौरान शिशु और मां के बीच त्वचा-से-त्वचा का संपर्क होने पर दोनों के बीच का रिश्ता तो मजबूत होता ही है. साथ ही हाइपोथर्मिया से नवजात को सुरक्षा मिलती है तथा निमोनिया व डायरिया जैसे रोगों से भी बचाव होता है. इससे मां के स्तनों में दूध के जल्दी स्त्राव में भी मदद मिलती है. शिशु भी जन्म के पहले घंटे में बहुत सक्रिय होता है और तेजी से दूध पीना सीखता है.

दिन में कितनी बार कराएं स्तनपान

बच्चे को जब भूख लगे, तब स्तनपान कराना चाहिए. शुरुआती कुछ दिनों तक बच्चे को स्तनपान करना सीखने में समय लगता है, ऐसे में हो सकता है कि कम अंतराल पर दूध पिलाना पड़े, लेकिन धीरे-धीरे तीन-चार घंटे का एक चक्र बन जाता है. रात को भी मां को कम-से-कम दो बार बच्चे को दूध पिलाना चाहिए. स्तनपान कराने वाली मांओं को एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि एकतरफ के स्तन का पूरा दूध पिलाने के बाद ही दूसरी तरफ लगाना चाहिए, क्योंकि शुरुआती दूध भूख मिटाता है और बाद वाला हिस्सा फैट रिच होता है, जो एनर्जी देता है.

इसका विकल्प नहीं डिब्बा बंद दूध

मां के दूध में जो विटामिन होते हैं, वे प्राकृतिक होते हैं, जबकि फॉर्मूला मिल्क में सिंथेटिक. ऐसे में पहले छह महीने तक मां का दूध बच्चे के लिए एक अनिवार्य आहार होता है. इसके बाद से डेढ़ से दो वर्ष तक ठोस आहार के साथ मां का दूध दिया जा सकता है.

स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे

मां का दूध शिशुओं की इम्युनिटी को मजबूत बनाता है और उन्हें एंटीबॉडी प्रदान करता है, जिससे भविष्य में बच्चे विभिन्न संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो पाते हैं.

मां का दूध पीने से बच्चों में एलर्जी, अस्थमा व विभिन्न इंफेक्शन का जोखिम कम हो जाता है. स्तनपान से बच्चों की श्वसन तंत्र भी मजबूत बनती है.

मां का दूध शिशु के लिए एक सुपाच्य आहार होता है. ऐसे में स्तनपान से शिशु को कब्ज व डायरिया जैसी पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं.

स्तनपान का लाभ शिशु को तात्कालिक ही नहीं होता, बल्कि बड़े होने पर मोटापा, हृदय संबंधी रोगों तथा डायबिटीज से भी उनका बचाव होता है.

स्तनपान से मां को भी लाभ

स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच भावनात्मक लगाव मजबूत होता है.

गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजन को कम व उसे नियंत्रित बनाये रखने में स्तनपान मददगार साबित होता है.

स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन कैंसर व ओवरी का कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar News Desk
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