Heart Attack Myths Vs Facts: हार्ट अटैक का नाम सुनते ही डर लगता है क्योंकि इस मॉडर्न समय में हार्ट अटैक मौत का एक प्रमुख कारण बनते जा रहा है. एक जमाने में हार्ट अटैक के मामले बुजुर्ग लोगों में देखे जाते थे, लेकिन आज कम उम्र के फिट युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं. हार्ट से संबंधित रोगों ने करोड़ों लोगों को अपने जद में ले लिया है. पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी देखने मिला है. बच्चा, बूढ़ा और जवान हर किसी को हार्ट अटैक ने अपना शिकार बनाया है. पूरी तरह से तंदुरुस्त और फिट दिखने वाले फिटनेस फ्रिक्स को भी हार्ट अटैक के कारण जान गंवानी पड़ी है. आजकल की खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी आहार हार्ट अटैक के प्रमुख का कारण बन रहे हैं. आज के समय में सोने- उठने का समय निश्चित नहीं है, जबकि स्वाद के लालच में इंसान अनहेल्दी फूड्स भरपूर मात्रा में खाना शुरू कर दिया है जिसके कारण समय के साथ हार्ट पर दबाव बढ़ता जाता है जो हर हार्ट से जुड़े कई रोगों को जन्म देता है. हार्ट अटैक और हृदय की अन्य रोगों को लेकर आज भी लोगों में अवेयरनेस की कमी है इससे जुड़े कई मिथ्स आज भी लोगो के दिल में डर पैदा करते हैं तो आइए आज के इस आर्टिकल में हार्ट अटैक से जुड़े भ्रम और सच को जानते हैं.
भ्रम: हार्ट के रोग वाले व्यक्ति को कम कार्य ( मेहनत) करनी चाहिए
सच: बहुत से लोगों का ऐसा मानना है की हार्ट रोग से पीड़ित व्यक्ति को आराम करनी चाहिए या मेहनत नही करना चाहिए. लेकिन सच यह है की शारीरिक निष्क्रियता हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए बिल्कुल सही नही है, क्योंकि शारीरिक गतिविधि के कारण हार्ट की मसल्स मजबूत होती है और साथ ही पूरे शरीर में ब्लड का संचार बेहतर बना रहता है जो हार्ट रोगियों के लिए फायदेमंद होता है ,हालांकि हार्ट से पीड़ित लोगों को इंटेंस एक्सरसाइज से बचना चाहिए और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए एक्सरसाइज को ही करना चाहिए.
भ्रम: ज्यादा एक्सरसाइज करने से हार्ट अटैक का खतरा नही रहता है
सच: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर शरीर की अपनी क्षमता होती है. अगर आप ज्यादा इंटेंस एक्सरसाइज को लंबे समय तक करते हैं तो इससे शरीर के मसल्स और शरीर के ऑर्गन्स को हानि पहुंचने की संभावना होती है. इसलिए ज्यादा समय तक एक्सरसाइज करना और इंटेंस एक्सरसाइज सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है और इसका हार्ट पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
भ्रम: जो फिट होते हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा नही होता है
सच: शारीरिक तौर पर फिट होना इस बात की गारंटी नहीं है कि हार्ट अटैक नही हो सकता है. फिजिकली फिट रहने से हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है क्योंकि शारीरिक एक्सरसाइज से शरीर के मसल्स मजबूत होते हैं, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बना रहता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल नही बन पाता है. हार्ट अटैक फैमिली हिस्ट्री, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल जैसे कई कारणों से हो सकता है. इसलिए शारीरिक तौर पर फिट व्यक्ति को हार्ट अटैक का खतरा कम तो होता है लेकिन हार्ट अटैक नही आने की कोई गारंटी नही है.
भ्रम: युवाओं को हार्ट अटैक का खतरा नही है
सच: आमतौर पर युवाओं में हार्ट अटैक कम देखा जाता है ज्यादातर बुजुर्गों को हार्ट अटैक होता है लेकिन फिर भी यह पूरी तरह से गलत है कि युवाओं को हार्ट अटैक का खतरा नही होता है. हार्ट अटैक का उम्र से कोई संबंध नहीं है क्योंकि हार्ट अटैक फैमिली हिस्ट्री, तनाव शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा, खराब जीवनशैली, अनहेल्दी आहार, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और मोटापा जैसे कारणों से हो सकता है.
भ्रम: छाती में दर्द होना हार्ट अटैक के लक्षण है
सच: सीने में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं इसलिए यह जरूरी नहीं है कि सीने में दर्द का होना हार्ट अटैक का लक्षण है, हालांकि सीने का दर्द भी हार्ट अटैक का एक सिग्नल हो सकता है अगर दिल के आर्टरी में ब्लॉकेज है तो सीने में दर्द उठ सकता है जो हार्ट अटैक के कारण होता है. आपको बता दें की कंधे में दर्द, जबड़े में दर्द, गले में घुटन, पसीना, सांस की समस्या, मितली, चक्कर आना या थकान जैसी शिकायतें भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं. कहने का मतलब यह है कि सिर्फ सीने में दर्द का होना ही हार्ट अटैक का एकमात्र लक्षण नहीं है बल्कि इसमें शरीर के अन्य कुछ हिस्सों में भी दर्द उठ सकता है.
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भ्रम: सीने के दाएं तरफ दर्द है तो यह हार्ट अटैक नही है
सच: आमतौर पर यह माना जाता है की सीने के बाएं तरफ का दर्द हार्ट अटैक से जुड़ा होता है लेकिन सच यह है की हार्ट अटैक में सीने दाएं बाएं या दोनों तरफ दर्द या जकड़न हो सकता है. इसमें न सिर्फ सीने में बल्कि हाथ में, जबड़े में, गर्दन और कंधे में भी दर्द हो सकता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.