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Social Media Side Effects: स्वास्थ्य और समय दोनो बर्बाद कर रहा है सोशल मीडिया, कहीं आप भी तो नहीं फंस चुके हैं इसके चंगुल में?

Social Media Side Effects: इस डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. लोग प्रतिदिन अपने दिनचर्या के कई महत्वपूर्ण घंटे सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं, जिसका आउटकम कई सारी शारीरिक समस्याओं के रूप में सामने आ रहा है.

Social Media Side Effects: आज के इस मॉडर्न समय में लगभग हर हाथ में स्मार्टफोन होता ही है. यहां तक देखने आ रहा है कि अगर घर में पांच सदस्य हैं तो उस घर में तीन या चार स्मार्टफोन भी होता है, अब इस बात की भी पूरी संभावना है की स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले लगभग सभी लोगों का अकाउंट किसी ना किसी सोशल साइट पर होगा ही. अगर आप भी सोशल मीडिया पर दस्तक दे चुके हैं तो आप खुद पर गौर फरमाएं. आप पाएंगे की आप इंस्टाग्राम पर रील्स स्क्रॉल करते हुए घंटों बिता देते हैं या फेसबुक पर वीडियो देखते हुए अपने कई जरूरी काम को भूल जाते हैं या आप शारीरिक तौर पर पहले की तुलना में ज्यादा निष्क्रिय हो चुके हैं, ऐसी कई समस्याएं हैं जो धीरे-धीरे आपके जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा बनते जा रही हैं लेकिन आप सोशल मीडिया के प्यार में इतने अंधे हो चुके हैं कि आपको ये सारी समस्याएं दिखाई ही नहीं दे रही हैं सोशल मीडिया ने ना सिर्फ घर के बड़ों को अपने चपेट में लेना शुरू किया है बल्कि घर के छोटे बच्चे भी इसके एडिक्ट बन चुके हैं. सोशल मीडिया के इस लत ने सेहत, स्वास्थ्य और समय तीनों को बर्बाद कर दिया है. आइए आज के इस लेख में सोशल मीडिया से होने वाले गंभीर परिणामों के बारे में जानते हैं.

खराब मानसिक स्थिति

सोशल मीडिया का सबसे अधिक प्रभाव दिमाग पर पड़ता है जिसके कारण इंसान की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है. सोशल मीडिया पर अपने आस-पास के लोगों ,अपने दोस्त और कलीग्स की सफलता-असफलता को लोग देखते रहते हैं. जिनसे खुद की तुलना करने लगते हैं जो धीरे-धीरे ईर्ष्या के भाव में बदल जाता है. सोशल मीडिया पर चल रही अधिकतर चीजों का रियल जिंदगी से ताल्लुक कम होता है लेकिन इसके यूजर अपनी जिंदगी की तुलना उस इंटरनेट की दुनिया से करने लग जाते हैं जिससे यूजर्स के मन में हीन भावना का जन्म होता है. इनसब के परिणामस्वरूप डिप्रेशन ,तनाव, एंजायटी और आत्मसम्मान में कमी जैसी कई मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

नींद की समस्या

सोशल मीडिया के इस्तेमाल के सबसे खराब परिणामों में एक है नींद की समस्या. सोशल मीडिया के लत के कारण लोग इसपर ज्यादा समय बिताने लग गए हैं. सोशल मीडिया पर एक के बाद एक लुभावने और इंगेजिंग कंटेंट मिलते हैं जिससे इंसान अलग ही दुनिया में चला जाता है जिसका परिणाम यह होता है की लाइक, कमेंट और स्टोरी के चक्कर में रात 10 बजे से सुबह के 3 कब बज जाता है पता ही नही चलता है. इस तरह सोशल मीडिया के वजह से लोगों के सोने और जगने के समय में बड़ा बदलाव हुआ है जो स्वास्थ्य के लिहाज से बिल्कुल भी उचित नहीं है.

शारीरिक क्षमता में गिरावट

एक लंबे समय तक मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप के इस्तेमाल से शरीर और दिमाग थक जाता है जिससे शारीरिक और मानसिक स्तर पर मेहनत करने की ताकत नही रह जाती है. इसका ज्यादा इस्तेमाल नींद और मानसिक क्षमता में कमी का कारण बनता है जिस वजह से कमजोर याददाश्त, खराब डिसीजन पावर और ऊर्जा की कमी हो जाती है यानी शारीरिक क्षमता में ह्रास. इतना ही नही सोशल मीडिया की आदत शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ाता है. इन सभी कारणों से शरीर की प्रोडक्टिविटी और क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो जाती है.

सामाजिक अलगाव

सोशल मीडिया इंसान को समाज से अलग कर देता है. इसका अधिक इस्तेमाल कर रहा व्यक्ति रियल जिंदगी से ज्यादा वर्चुअल दुनिया में समय बिताने लगता है. अपने परिवार के सदस्यों के बीच समय बिताने के बजाय अपने फोन के साथ समय बिताने लगता है. इंसान के पास अपने दोस्तों और कलीग्स से बात करने या मिलने का फुरसत नही रह जाता है. इन सभी कारणों से रिश्तो के बीच दूरियां बढ़ती है और धीरे धीरे रिश्ते खत्म हो जाते हैं.

ऑनलाइन हरासमेंट और साइबर बुलिंग

सोशल मीडिया पर साइबर बुलिंग और हरासमेंट के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. आजकल इसके जरिए अपमानजनक संदेश भेजना, अफवाहें फैलाना, किसी की निजी जानकारी या तस्वीरें लीक करना जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है. खास बात यह है कि साइबर बुलिंग 24×7 होती है और इससे बचना मुश्किल होता है.

शारीरिक स्वास्थ्य पर असर

कई बार इंसान रात में लगातार दो-तीन घटे झुककर बैठे सोशल मीडिया स्क्रॉल करते रहता है जिससे कमर दर्द, जोड़ों में दर्द, गर्दन दर्द ओर पीठ दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है. कई बार कमरे के लाइट को ऑफ करके यूज करता है. इसके कारण आंख खराब होने का डर होता है. इतना ही नही सोशल मीडिया की आदत ने शारीरिक गतिविधि को शून्य कर दिया है. आजकल घर के बच्चे इनडोर और आउटडोर गेम्स खेलने की बजाय मोबाइल पर समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं. शारीरिक गतिशीलता का कम होना स्वास्थ्य संबंधी कई अन्य चुनौतियों पेश कर रहा है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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